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साल 2016 : टीम इंडिया के सितारे बुलंदी पर, बीसीसीआई के गर्दिश में

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नई दिल्ली। भारतीय क्रिकेट टीम ने विराट कोहली की कप्तानी में 2016 में आसमानी बुलंदियों को छुआ और दुनिया की नंबर 1 टेस्ट टीम बनने का गौरव हासिल किया जबकि देश में क्रिकेट को चलाने वाली संस्था भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) पूरे साल विवादों में उलझकर अदालत के चक्कर लगाती रही और उसके सितारे गर्दिश में चले गए।
विराट की कप्तानी में टीम इंडिया ने 2016 में एक के बाद एक जबरदस्त प्रदर्शन किए और साल का समापन दुनिया की नंबर 1 टीम के रूप में किया। भारतीय टीम महेंद्र सिंह धोनी की कप्तानी में देश में हुए ट्वंटी-20 विश्व कप में सेमीफाइनल तक पहुंची, लेकिन जहां खेल के सबसे बड़े प्रारूप की बात है तो टीम इंडिया का अजेय रथ सरपट दौड़ता रहा और उसने लगातार सीरीज जीत हासिल की।
 
भारत को इस साल उल्लेखनीय प्रदर्शन के रूप में कई युवा स्टार खिलाड़ी मिले जिनमें करुण नायर का नाम सबसे ऊपर लिया जा सकता है जिन्होंने इंग्लैंड के खिलाफ चेन्नई में नाबाद 303 रन की ऐतिहासिक पारी खेली और टेस्ट क्रिकेट में तिहरे शतक बनाने वाले वीरेंद्र सहवाग के बाद दूसरे भारतीय बन गए। 
 
2016 में कप्तान विराट 1215 रन बनाकर सर्वाधिक रन बनाने वाले बल्लेबाजों की सूची में चौथे स्थान पर रहे। विराट ने इंग्लैंड के खिलाफ 5 मैचों की सीरीज में 655 रन बनाए और 'मैन ऑफ द सीरीज' का खिताब जीता। विराट ने इंग्लैंड के खिलाफ टेस्ट सीरीज 4-0 से जीतकर पूर्व कप्तान मोहम्मद अजहरुद्दीन की 14 जीतों की भी बराबरी की और देश के संयुक्त रूप से तीसरे सबसे सफल कप्तान बने।
 
ऑफ स्पिनर रविचन्द्रन अश्विन ने पूरे साल कमाल की गेंदबाजी की और 12 मैचों में 72 विकेट लेकर शीर्ष गेंदबाज रहे। उनका यह रिकॉर्ड इस साल बना रहेगा, क्योंकि कोई अन्य गेंदबान उनसे आगे निकलने की स्थिति में नहीं है। वेस्टइंडीज, न्यूजीलैंड और इंग्लैंड के खिलाफ भारत की लगातार सीरीज जीत में अश्विन की गेंदबाजी की जबरदस्त भूमिका रही। इंग्लैंड के खिलाफ उन्होंने कुल 28 विकेट हासिल किए और दुनिया के नंबर 1 टेस्ट गेंदबाज और नंबर 1 टेस्ट ऑलराउंडर भी बने।
 
अश्विन के साथ लेफ्ट आर्म स्पिनर रवीन्द्र जडेजा की जोड़ी खूब जमी। जडेजा ने इस साल 9 टेस्टों में कुल 43 विकेट लिए। इंग्लैंड के खिलाफ जडेजा ने चेन्नई में आखिरी टेस्ट में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया और दूसरी पारी में 7 विकेट लेकर भारत को पारी और 75 रन से जीत दिलाई। जडेजा ने इस सीरीज में कुल 26 विकेट हासिल किए जिसकी बदौलत वे टेस्ट रैंकिंग में नंबर 2 गेंदबाज और नंबर 3 ऑलराउंडर बन गए।
 
साल की शुरुआत भारत ने लगातार ट्वंटी-20 मुकाबलों से की। भारत ने जनवरी में ऑस्ट्रेलिया में 3 मैचों की ट्वंटी-20 सीरीज में पहली बार 3-0 की क्लीन स्वीप की। भारत ने इसके बाद बांग्लादेश में हुए एशिया कप में मेजबान बांग्लादेश को हराकर एशिया कप भी जीता। अपनी मेजबानी में ट्वंटी-20 विश्व कप में भारत ने लगातार अच्छा प्रदर्शन किया लेकिन सेमीफाइनल में उसका विजय रथ वेस्टइंडीज ने 7 विकेट की जीत से रोक दिया।
 
भारत ने जिम्बाब्वे में ट्वंटी-20 सीरीज 2-1 से जीती, लेकिन अमेरिका में विश्व चैंपियन वेस्टइंडीज के खिलाफ उसे 2 मैचों की सीरीज में 1-0 से हार का सामना करना पड़ा। एकदिवसीय मुकाबलों की बात की जाए तो भारत ने जनवरी में ऑस्ट्रेलिया में वनडे सीरीज 1-4 से गंवाई, जिम्बाब्वे को 3-0 से धोया और न्यूजीलैंड के खिलाफ घरेलू वनडे सीरीज 3-2 से जीती।
 
टीम इंडिया का असली प्रदर्शन टेस्ट मैचों में देखने को मिला, जहां विराट कोहली की युवा टीम ने कई दिग्गज टीमों का मान-मर्दन किया। भारत ने गत वर्ष दक्षिण अफ्रीका को घरेलू सीरीज में 3-0 से हराया था और उसी लय को बरकरार रखते हुए उसने इस साल वेस्टइंडीज को 4 मैचों की सीरीज में 2-0 से, न्यूजीलैंड को 3 मैचों की सीरीज में 3-0 से और इंग्लैंड को 5 मैचों की सीरीज में 4-0 से धो डाला।
 
निश्चित रूप से भारत का यह प्रदर्शन इतना जबरदस्त था कि उसने आईसीसी रैंकिंग में नंबर 1 स्थान हासिल कर लिया और दूसरी बार साल का समापन नंबर 1 टीम के रूप में किया। भारत ने इंग्लैंड के खिलाफ 4-0 की जीत से पिछली 3 सीरीज पराजयों का बदला एकसाथ चुका लिया और टेस्ट रैंकिंग में दूसरे नंबर की टीम ऑस्ट्रेलिया से अपना फासला 15 अंकों का कर दिया।
 
वर्ष 2016 में विराट कोहली (1215) के बाद चेतेश्वर पुजारा (836), रविचन्द्रन अश्विन (612), मुरली विजय (550), लोकेश राहुल (539), रवीन्द्र जडेजा (375) और करुण नायर (320) के प्रदर्शन उल्लेखनीय रहे। राहुल चेन्नई टेस्ट में जहां 199 पर आउट हुए वहीं नायर ने तिहरा शतक बनाकर अपना नाम रिकॉर्ड बुक में दर्ज करा दिया।
 
गेंदबाजी में देखा जाए तो अश्विन और जडेजा ने कमाल का प्रदर्शन किया और दोनों गेंदबाजों ने इस साल कुल 115 विकेट झटके। अश्विन के हिस्से में 72 और जडेजा के हिस्से में 43 विकेट आए। उमेश यादव ने 15, ईशांत शर्मा ने 11 और अमित मिश्रा ने 11 विकेट लिए। मिश्रा का जिम्बाब्वे दौरे में एकदिवसीय सीरीज में 18 विकेट लेना एक रिकॉर्ड प्रदर्शन रहा।
 
साल में किसी खिलाड़ी की वापसी को देखा जाए तो विकेटकीपर बल्लेबाज पार्थिव पटेल ने 8 साल बाद क्रिकेट मैदान पर सफल वापसी की और इंग्लैंड सीरीज में उल्लेखनीय प्रदर्शन किया। बाएं हाथ के ओपनर गौतम गंभीर भी टीम में लौटे लेकिन 2 मैचों के बाद बाहर कर दिए गए। 
शिखर धवन और रोहित शर्मा चोटों से जूझते रहे और मैदान में अपनी प्रतिष्ठा के अनुरूप प्रदर्शन नहीं कर सके। उनकी जगह युवा खिलाड़ियों ने अच्छा प्रदर्शन कर अपनी पहचान बनाई।
 
मैदान से बाहर देखा जाए तो बीसीसीआई का विवादों में उलझे रहना साल में लगातार चर्चा का विषय बना रहा। शशांक मनोहर के बोर्ड अध्यक्ष पद छोड़कर आईसीसी चेयरमैन बनने के बाद अनुराग ठाकुर के जिम्मे बोर्ड अध्यक्ष की जिम्मेदारी आई और यह उनके लिए कांटों का ताज साबित हुआ। साल के आखिर तक जाते-जाते ठाकुर के लिए उच्चतम न्यायालय का निर्देश आ चुका है कि यदि उनका हलफनामा झूठा साबित होता है तो उन्हें या तो माफी मांगनी होगी या जेल जाना होगा।
 
बीसीसीआई ने लोढ़ा समिति की सुधार की कई सिफारिशों को माना है लेकिन उसने आयु सीमा, एक राज्य एक वोट और 3 साल की कूलिंग अवधि की सिफारिशों का विरोध किया है। पूरे साल यह विवाद चलता रहा और न्यूजीलैंड तथा इंग्लैंड की सीरीज पर खतरा भी मंडराया, जब बीसीसीआई के खाते फ्रीज कर दिए गए थे लेकिन सर्वोच्च अदालत ने बीसीसीआई को राज्य संघों को उतना धन जारी करने की अनुमति दी जिनसे मैच आयोजित हो सकें। अदालत ने साथ ही कहा कि भुगतान सीधे वेंडरों को किया जाए।
 
वर्ष के आखिरी महीने दिसंबर में बीसीसीआई को उच्चतम न्यायालय ने लगभग पूरी तरह हथियार डालने पर मजबूर कर दिया और बोर्ड की समीक्षा याचिका के बाद उसकी क्यूरेटिव याचिका को भी रद्द कर दिया जिससे दुनिया के सबसे धनी बोर्ड के पास लोढ़ा समिति की सिफारिशों को मानने के अलावा कोई चारा नहीं बचा है। (वार्ता)

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