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27 नवंबर : भारतीय क्रिकेट के लिए यादगार दिन

हमें फॉलो करें 27 नवंबर : भारतीय क्रिकेट के लिए यादगार दिन
वेबदुनिया डेस्क  

27 नवंबर भारतीय क्रिकेट का एक स्वर्णीय के रूप में याद किया जाता है। आज 27 नवंबर है और आज ही के दिन 21 साल पहले भारतीय टीम  ने एक ऐसे मैच में जीत दर्ज की जिसमें कई कीर्तिमान स्थापित हुए। 1992 के विश्वकप में भारत कुछ ज्यादा कर नहीं पाया। उसके एक साल  बाद वेस्टइंडीज के खिलाफ हीरो कप फाइनल मैच भारतीय टीम ने केवल खिताबी जीत हासिल की, बल्कि वेस्टइंडीज़ जैसी ताकतवर टीम को 123  रनों के बड़े अंतर से हराकर वनडे क्रिकेट में नई शुरुआत की।  

दरअसल, 1993 में वेस्टइंडीज उतनी मजबूत टीम तो नहीं थी जितनी की वह 70 और 80 के दशक में हुआ करती थी, लेकिन इसके बावजूद  भारतीय टीम के लिए उससे जीतना बड़ी बात हुआ करती थी। रिची रिर्चडसन की कप्तानी में प्रतिभाशाली खिलाड़ियों की कमी भी नहीं थी। 50  ओवर के ईडन गार्डन में खेले गए इस वनडे इंटरनेशनल की याद आज भी कोलकाता के दर्शकों के जेहन में एक सुनहरी याद बन कर बसी हुई है।

मैच में पहले बल्लेबाजी करते हुए भारतीय टीम ने खराब शुरुआत के बाद शुरुआती झटकों से उबरते हुए विनोद कांबली के अर्धशतक (68) की  बदौलत 225 रनों का सम्मानजनक स्कोर खड़ा किया। इसके अलावा कप्तान मोहम्मद अजहारुद्दीन, अजय जडेजा व सचिन तेंदुलकर ने भी योगदान  दिया।

इसके बाद शुरू हुई वेस्टइंडीज की पारी को शुरुआत में ही बड़ा झटका लगा जब ओपनर फिल सिमंस शून्य रन बनाकर मनोज प्रभाकर की गेंद पर  बोल्ड आउट होकर पवेलियन लौट गए। इसके बाद लारा ने ताबड़तोड बैटिंग करना शुरू किया। इसी बीच लारा ने अजय जड़ेजा के एक ओवर से  18 रन कूट दिए।

लारा के तीखे तेवर देखकर ऐसा लग रहा ता मानों वेस्टइंडीज टीम मैच बड़ी आसानी से जीत जाएगी। जहां सब बॉलरों की पिटाई हो रही थी ऐसे  में भारत के कप्तान अजहर ने अप्रत्याशित निर्णय लिया और उन्होंने 21 साल के सचिन तेंदुलकर के हाथों में गेंद थमा दी।

सचिन ने आते ही खतरनाक लग रहे ब्रायन लारा को पवेलियन की राह दिखा दी। इसका परिणाम यह हुआ कि लारा के आउट होते ही वेस्टइंडीज  टीम के निश्चित अंतराल पर विेकेट गिरने का सिलसिला शुरू हो गया और भारत मैच आसानी से जीत गया।

इसके अलावा इस मैच ने एक और रिकॉर्ड अपने नाम किया। अनिल कुंबले ने रोलैंड होल्डर को जिस तरह बोल्ड किया वह आजतक याद किया  जाता है। दरअसल हुआ यूं कि कुंबले की गेंद पर रोलेंड होल्डर बोल्ड हो गए पर अंपायर को लगा कि स्टंप्स की गिल्लयां विकेटकीपर के ग्लब्ज से  गिरी हैं। जिसके चलते अंपायर ने निर्णय तीसरे अंपायर को स्थानांतरित कर दिया।

तीसरे अंपायर ने अपने फैसले में होल्डर को आउट करार दिया, तब से यह बोल्ड आउट पर थर्ड अंपायर के निर्णय का पहला मामला बन गया। यह मैच कपिल के शानदार कैच के बिना तो अधूरा ही माना जाएगा। कपिल ने जिस प्रकार से रिची रिर्चडसन का बेहद नीचा कैंच पकड़कर  पवेलियन का रास्ता दिखाया वह वास्तव में एक बेहतरीन कैच था।

इसके अलावा अनिल कुंबले ने इस प्रकार अपनी फिरकी के जाल में वेस्टइंडीज के धुरंधरों को नचाया कि उनसे पार पाने में क्या कार्ल हूपर क्या होल्डर सब अपने ङथियार डालते नजर आए। वेस्टइंडीज टीम के लगातार विकेट लेते हुए कुंबले ने वेस्टइंडीज टीम की रीढ़ की हड्डी तोड़ दी। मैच में 12 रन पर 6 विकेट लेते हुए कुंबले ने भारत की एकतरफा जीत को प्रशस्त कर दिया। भारतीय टीम की यह जीत सुनहरे अक्षरों में दर्ज है।

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