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क्यों उग्र हो जाते हैं ईशांत

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हमें फॉलो करें Ishant Sharma
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देवव्रत वाजपेयी

, शुक्रवार, 4 सितम्बर 2015 (18:49 IST)
एकदम से ईशांत शर्मा आग उगलने लगे हैं। एक कुशल, परिश्रमी गेंदबाज से उन्होंने अपने आपको एक ऐसे धारदार गेंदबाज के रूप में ईजाद किया है, जो मैदान पर बल्लेबाज को सोचने पर मजबूर कर देता है।

ईशांत जो पहले बल्लेबाज से मार खाने के बाद अपनी बगले झांकते नजर आते थे अब बल्लेबाज के चेहरे को घूरकर निकल जाते हैं। अब वे तेज, आक्रामक और खतरनाक हो गए हैं।
 
भारत पिछले महीनों से लगातार विदेशी सीरीजों में हार का सामना कर रहा था, लेकिन ईशांत ने भारत  की प्रतिष्ठा को लौटाने में एड़ी-चोटी का जोर लगाया और अंततः भारत ने श्रीलंका को उसी की मांद में  हराकर श्रृंखला अपने नाम की। वे अब भारतीय गेंदबाजी के नुकीले अगुवा दिखाई देने लगे हैं, जो हर  समय जिम्मेदारी लेने को तैयार हो और जहीर खान की टीम में भरपाई करे। लेकिन सवाल उठता है कि  ईशांत का यह विजय रथ कब तक जारी रहेगा? 
 
ईशांत कोई नई चिंगारी नहीं हैं, बल्कि ईशांत इसके पहले भी विदेशी टीमों के कई बार छक्के छुड़ा चुके  हैं। 2008 में ऑस्ट्रेलिया के दौरे पर गई भारतीय टीम में शामिल ईशांत ने रिकी पोंटिग को लगातार  आउट किया था और यह युवा क्रिकेटर तबसे ही प्रकाश में आया था। 
 
ईशांत अब तक कुल 65 टेस्ट मैच खेल चुके हैं और अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट खेलने का उनके पास 8 साल से  ऊपर का अनुभव है। जब ईशांत शर्मा शुरुआत में टीम में आए थे तब वे वे एक उत्साही, ताजा और प्रखर  खिलाड़ी थे और उनसे भारतीय टीम को भविष्य में बहुत आशाएं थीं। 
 
लेकिन जब विश्व कप 2011 जीत के बाद जहीर खान एकदम से असफल होने लगे तब आशा की जा  रही थी कि ईशांत भारतीय टीम की गेंदबाजी के अगुआ बनेंगे। दुर्भाग्य से ऐसा हो नहीं पाया जिसने  भारतीय क्रिकेटप्रेमियों का खूब दिल दुखाया। 
 
ईशांत सन् 2011 से भारत, इंग्लैंड व ऑस्ट्रेलिया के दौरे पर दो-दो बार जा चुके हैं और साथ ही  वेस्टइंडीज, दक्षिण अफ्रीका और न्यूजीलैंड का दौरा भी किया है। ईशांत इन सभी दौरों में खेले हैं, लेकिन  इस दौरान वे एकमात्र प्रतिभागी रहे। 
 
वेस्टइंडीज दौरे को छोड़कर कहीं भारतीय टीम जीतने में सफल नहीं हुई। एक बात भी महत्वपूर्ण रही कि  ईशांत को इन मुकाबलों में मौके भी कम दिए गए। लेकिन जब कप्तान विराट कोहली की अगुआई में युवा  भारतीय टीम श्रीलंका दौरे के लिए गई, तब बहुत से कम लोगों को पता था कि क्या होने वाला है। 
 
श्रीलंका के खिलाफ गाले में खेले गए पहले टेस्ट में ईशांत के पहले स्पैल ने ही उन्हें आत्मविश्वास से  सराबोर कर दिया और लंबी चोट से उबरने के बाद वापसी कर रहे इस तेज गेंदबाज ने उपमहाद्वीप की  पिचों में कुछ इस तरह की घातक गेंदबाजी की जैसे वह ऑस्ट्रेलिया व दक्षिण अफ्रीका की पिचों पर कर  रहा हो। 
 
ईशांत की गेंदों में हमेशा तेज और उछाल रहा है, लेकिन उस दिन जो उन्होंने गेंदबाजी की उसका जवाब  किसी भी बल्लेबाज के पास नहीं था। भारतीय प्रशंसक और क्रिकेट विशेषज्ञ इस बात को याद करने में  कठिनाई महसूस कर रहे थे कि कब ईशांत ने इस तरह जहर उगलती हुई गेंदबाजी पिछली बार की थी।  जी हां, उन्होंने ऐसी ही धारदार गेंदबाजी 2008 ऑस्ट्रेलिया दौरे में भी की थी, जहां उन्होंने रिकी पोंटिंग  समेत कई ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाजों को धराशायी कर दिया था। 
 
लंबे ब्रेक के बाद भारतीय टीम में वापसी करने वाले ईशांत शर्मा ने लंबे ब्रेक का भरपूर फायदा उठाया है।  वे निःसंदेह भारतीय गेंदबाजी के अगुआ के रूप में उभरे हैं। उन्होंने पिछले 3 टेस्ट मैचों में लगातार  बेहतरीन गेंदबाजी की है। ईशांत का इस तरह से बढ़ता हुआ कद जरूर दक्षिण अफ्रीकी टीम को 2 बार  सोचने को मजबूर करेगा, जब वे भारत के दौरे पर आएंगे। 
 
यह बहुत की वेदनीय बात है कि पहले टेस्ट में ईशांत नहीं खेलेंगे। अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद ने ईशांत  पर एक टेस्ट मैच खेलने पर प्रतिबंध लगा दिया है। दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ 4 टेस्ट मैचों की सीरीज  के पहले मैच में जब मैच के शुरुआती क्षणो में एक टोन सेट करने की जरूरत होगी तब भारतीय टीम  अपने अगुआ ईशांत को जरूर याद करेगी। 
 
श्रीलंका के खिलाफ 117 रन की विशाल जीत के बाद भारतीय कप्तान विराट कोहली ने कहा था कि एक  गुस्सैल तेज गेंदबाज कप्तान को खुश करता है। यह सच भी है, जब तेज गेंदबाज गुस्सा होते हैं तब वे  दानव बन जाते हैं। मिचेल जॉनसन और डेल स्टेन जब उस जोन में पहुंच जाते हैं तो उन्हें कोई नहीं  खेल पाता। अब यह देखने वाली बात होगी कि ईशांत कहां तक जा पाते हैं। 
 
जरूर कोहली ईशांत के प्रदर्शन, उनके आग उगलते शब्दों से आनंद की अनुभूति ले रहे हों, लेकिन तेज  गेंदबाज की असल परीक्षा उपमहाद्वीप के बाहर होती है। इंग्लैंड, दक्षिण अफ्रीका और ऑस्ट्रेलिया की पिचों  पर भारतीय टीम को ईशांत की जरूरत महसूस होगी।

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