भारत के युवा बल्लेबाज करुण नायर ने तीसरे ही टेस्ट में 303 रनों की नाबाद पारी खेलकर भारतीय दर्शकों का दिल जीत लिया। आइए जानते हैं इंग्लैंड का बैंड बजाने वाले मि. 303 के बारे में 10 खास बातें...
* करुण नायर कर्नाटक के लिए घरेलू क्रिकेट खेलते हैं। 2013-14 में अपने पहले ही रणजी सीजन में उन्होंने तीन शतकीय पारियां खेली थी।
* इंग्लैंड के खिलाफ घरेलू टेस्ट सीरीज के लिए जब कर्नाटक के युवा बल्लेबाज करुण नायर का चयन हुआ था तो इसे 'सरप्राइजि़ंग कॉल' कहा गया था।
* करुण नायर को मध्यक्रम के अतिरिक्त बल्लेबाज के तौर पर टीम में रखा गया था। सीरीज के पहले दो टेस्ट के बाद अजिंक्य रहाणे को चोट लगी और नायर को अंतिम ग्यारह में जगह मिली।
* मोहली टेस्ट में नायर को अपना करियर शुरू करने का मौका मिला, लेकिन वे 4 रन ही बना पाए और रन आउट हो गए। मुंबई टेस्ट में भी वे केवल 13 रन ही बना पाए।
* यहां तक सभी सोच रहे थे कि रहाणे के फिट होते ही नायर की छुट्टी तय है, लेकिन चेन्नई टेस्ट के चौथे दिन जो हुआ उसने भारतीय क्रिकेट के इतिहास को बहुत सारे सुनहरे पल दिए। नायर ने खुद को साबित किया, अब उन्हें नजरअंदाज करना आसान नहीं होगा।
* राजस्थान में जन्मे 25 वर्षीय नायर ने रिकॉर्डों से भरी अपनी पारी में 381 गेंदें खेली तथा 32 चौके और चार छक्के लगाए। वे वीरेंद्र सहवाग के बाद टेस्ट मैचों में तिहरा शतक जड़ने वाले दूसरे भारतीय बल्लेबाज हैं। सहवाग ने दो तिहरे शतक (319 और 309) लगाए हैं।
* नायर ने एक ही दिन में तिहरा शतक लगाया। याने जब वे अपने कल के स्कोर 71 रन से आगे खलेने आए तो 100, 200 और 300 रनों का स्कोर उन्होंने एक ही दिन में पूरा कर लिया। यह अपनेआप में बड़ा रिकॉर्ड है।
* नायर एक दिन के खेल में ही भारतीय क्रिकेट इतिहास में उस मुकाम पर पहुंच गए हैं, जहां अब तक केवल वीरेंद्र सहवाग ही खड़े थे। सचिन तेंदुलकर अपने करियर में कभी तिहरा शतक नहीं बना पाए।
* कुछ विशेषज्ञ कहते थे, क्योंकि सचिन चौथे नंबर पर बल्लेबाजी करते हैं इसलिए वे तिहरा शतक नहीं बना पाए। करुण नायर ने पांचवें नंबर पर आकर तिहरा शतक बनाया। यह भी अपने आप में एक रिकॉर्ड है कि पांचवें नंबर पर आकर किसी ने तिहरा शतक जमाया।
* करुण ने अपने डूबते क्रिकेट करियर को बचाने के लिए भगवान पार्थसारथी के दर्शन करने का संकल्प लिया। चूंकि यह मन्नत थी, लिहाजा उसे पूरा तो करना ही था। वैसे भी तब केरल का पारंपरिक त्योहार ‘वल्ला सैद्या’ मनाया जा रहा था, लिहाजा बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ थी। चूंकि पार्थसारथी मंदिर में जाने के लिए पम्पा नदी को पार करना होता है, लिहाजा वे भी 17 जुलाई 2016 के दिन पारंपरिक बड़ी बोट में सवार हो गए। पार्थसारथी मंदिर के ठीक पूर्व अर्नममुलाला मंदिर पड़ता है। इसी स्थान पर बोट यात्रियों का वजन सहन नहीं कर सकी और पलट गई। चूंकि बचाव दल अर्नममुलाला मंदिर के पास ही तैनात था, लिहाजा युद्ध स्तर पर डूबने वाले श्रद्धालुओं को बचाने का काम शुरू हुआ। चूंकि करुण नायर को भी तैरना नहीं आता था, लिहाजा वे नदी में डूबने लगे। एक बचावकर्मी की नजर करुण पर पड़ी, फौरन उसने करुण नायर को डूबने से बचा लिया।