आकलैंड:न्यूजीलैंड के बल्लेबाज डेवोन कोंवे अगले महीने भारत के खिलाफ विश्व टेस्ट चैम्पियनशिप फाइनल में रविचंद्रन अश्विन जैसे स्पिनरों का सामना करने के लिये विकेट पर दानेदार मिट्टी (किटी लिटर) डालकर अभ्यास कर रहे है।
29 वर्ष के कोंवे को दो जून से इंग्लैंड में होने वाले विश्व टेस्ट चैम्पियनशिप फाइनल के लिये न्यूजीलैंड की 20 सदस्यीय टीम में रखा गया है।साउथम्पटन में 18 जून से होने वाले फाइनल से पहले 15 सदस्यीय टीम का ऐलान किया जायेगा।
कोंवे ने कहा कि वह गेंदबाज के पैरों के निशान से कठोर हो जाने वाली पिच पर पड़ने वाली स्पिन गेंदबाजी के अभ्यास के लिये विकेटों पर दानेदार मिट्टी डाल रहे हैं।
उन्होंने कहा ,यह कठोर होता है लेकिन अच्छा अभ्यास मिल रहा है। स्पिनरों का सामना करने के लिये रणनीति बनाना जरूरी था और उसी तरीके से अभ्यास भी।
भारत के लिए क्यों फायदेमंद है साउथम्पटन
इंग्लैंड,ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण अफ्रीका की पिचें तेज गेंदबाजों के लिए जानी जाती है लेकिन हर देश में कोई न कोई पिच ऐसी है जो स्पिन को थोड़ी मदद जरुर करती है।
दक्षिण अफ्रीका की बात करें तो पोर्ट एलिजाबेथ की पिच स्पिनर को मदद करती है। वहीं ऑस्ट्रेलिया के मैदानों को देखें तो सिडनी में टेस्ट होता है तो स्पिनर ढेरों विकेट झटकते हैं। इंग्लैंड में अगर कोई पिच है जो स्पिन को थोड़ी बहुत मदद दे सके तो वह साउथम्पटन की पिच है।
भारत बनाम न्यूजीलैंड का यह मैच लॉर्ड्स की जगह साउथहैम्पटन के एजेस बाउल में खेला जाएगा। साउथम्पटन की पिच इंग्लैंड की दूसरी पिचों की तुलना में धीमी है और न्यूजीलैंड के खिलाफ यहां स्पिनरों की भूमिका अहम होगी।
गौरतलब है कि न्यूजीलैंड की टीम शीर्ष तेज गेंदबाजों से सुसज्जित है। ट्रेंट बोल्ट नील वॉगनर, लॉकी फर्ग्यूसन, टिम साउदी, एडम मिल्ने, कुछ गेंदबाज अपनी तेजी के लिए जाने जाते हैं तो कुछ अपनी लाइन और लैंग्थ के लिए।
कुछ महीने पहले जैसे ही आईसीसी टेस्ट चैंपियनशिप का वेन्यू लॉर्ड्स से साउथम्पटन में बदला गया तो भारतीय फैंस के चहरे पर मुस्कान आयी कि कम से कम इन घातक कीवी गेंदबाजों का फायदा कुछ कम हुआ हालांकि साउथम्पटन में हवा की भूमिका अहम होगी अगर पिच से खास मदद नहीं मिली तो।