रांची। महेंद्रसिंह धोनी ने यहां स्टेडियम के उद्घाटन के दौरान नगाड़ा बजाया था और उनकी यह छवि सभी स्थानीय लोगों के जेहन में है लेकिन चार साल बाद अब यह शहर भारत का 26वां टेस्ट केंद्र बनने जा रहा है तो यहां का मूड बहुत ही फीका है।
रांची दो दिन के अंदर बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी के लिए भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच तीसरे क्रिकेट टेस्ट के जरिए टेस्ट पदार्पण करने जा रहा है, लेकिन शहर का सबसे लोकप्रिय बेटा दिल्ली में घरेलू वन-डे में अपनी टीम की अगुवाई करने में व्यस्त होगा।
वर्ष 2014 के अंत में धोनी ने छोटे प्रारूप में अपना करियर बढ़ाने के लिए टेस्ट नहीं खेलने का फैसला किया था और इस समय वे दिल्ली में हैं और कल विजय हजारे ट्रॉफी के क्वार्टर फाइनल में विदर्भ के खिलाफ खेलेंगे। रांची टेस्ट की तैयारियां जोर शोर से चल रही हैं और निश्चित रूप से धोनी की कमी खलेगी जिसका अंदाजा टिकट काउंटर के खाली होने से लगाया जा सकता है।
धोनी के बचपन के कोच केशव बनर्जी ने कहा कि ये सब धोनी की वजह से ही है कि हम यहां पहले टेस्ट की मेजबानी कर रहे हैं। उसकी प्रसिद्धि ने शहर को अंतरराष्ट्रीय मानचित्र पर ला दिया है, लेकिन इस समय हम चाहते हैं कि वे नई दिल्ली में अच्छा प्रदर्शन करें। साथ ही हम उम्मीद करते हैं कि रांची टीम इंडिया के लिये भाग्यशाली साबित हो। ’’
संघ ने स्कूलों और संस्थानों को मुफ्त पास वितरित किए हैं, जिसमें श्यामली स्थित धोनी का स्कूल जवाहर विद्या मंदिर भी शामिल है और इसके सचिव ने कहा कि प्रत्येक दिन 10,000 छात्र स्टेडियम में मौजूद होंगे। झारखंड राज्य क्रिकेट संघ के सचिव देबाशीष चक्रवर्ती ने 40,000 क्षमता के स्टेडियम के बारे में कहा कि धोनी यहां से एकमात्र आइकन हैं।
निश्चित रूप से इस ऐतिहासिक मौके पर दर्शकों को उसकी कमी खलेगी, लेकिन हम स्टैंड भरने के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ करने की कोशिश कर रहे हैं। हमें कम से 30,000 लोगों के प्रत्येक दिन आने की उम्मीद है। संघ 18 जनवरी 2013 को भारत और इंग्लैंड के बीच वन-डे की पूर्व संध्या में स्टेडियम के उद्घाटन के दौरान हुए सांस्कृतिक कार्यक्रम की तरह तो नहीं, लेकिन इस मौके पर धोनी को सम्मानित करना चाहता था पर विजय हजारे ट्रॉफी में झारखंड के अच्छे प्रदर्शन से ऐसा नहीं हो सका। उन्होंने कहा कि हमारी टीम घरेलू वन-डे टूर्नामेंट में अहम चरण में हैं और हम चाहते हैं कि धोनी विजय हजारे ट्रॉफी के साथ लौटें। (भाषा)