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घर की पिच पर धोनी की 'अग्निपरीक्षा'

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हमें फॉलो करें Mahendra Singh Dhoni
, गुरुवार, 11 फ़रवरी 2016 (18:40 IST)
रांची। पुणे की घसियाली पिच पर फिसली भारतीय टीम ‘अंडर डॉग’ कही जा रही श्रीलंकाई टीम के सामने खुद ही नौसिखिया साबित हुई और अब शुक्रवार को जब वह ट्वंटी-20 सीरीज के दूसरे 'करो या मरो' के मैच में कप्तान धोनी के गृह नगर रांची में उतरेगी तो उसे अपनी उम्मीदें बनाए रखने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगाना होगा।
बदलाव के दौर से गुजर रही और कई अनुभवी खिलाड़ियों की गैरमौजूदगी में उतरी श्रीलंका की युवा टीम ने पहले मैच में भारतीय शेरों को जमकर पानी पिलाया और मेजबान 100 रन तक बमुश्किल से पहुंचे और मैच भी गंवाया। जाहिर है कि यह मैच विश्व कप की तैयारियों में जुटी टीम इंडिया के लिए आंखें खोलने वाला साबित हुआ है और टीम के पास गलतियां सुधारने का मौका भी है।
 
3 मैचों की सीरीज में 0-1 से पिछड़ने के बाद अब भारत कप्तान धोनी के गृह नगर रांची में सीरीज बचाने के लिए उतरेगा। राहत की बात यह है कि टीम इंडिया पुणे की जिस घास वाली पिच पर पूरी तरह विफल हुई थी वहीं अब रांची में उसके सामने भूरी पिच होगी, जहां घास बिलकुल नहीं है और इससे क्षेत्ररक्षकों को कुछ दिक्कत हो सकती है। रांची की यह पिच काफी धीमी मानी जाती है और भारतीय खिलाड़ियों के खेलने के तरीके के कुछ अनुकूल है।
 
दिल्ली के फिरोजशाह कोटला से दूसरे मैच को स्थानांतरित कर रांची में कराया जा रहा है जिससे धोनी को अपने घर में खेलने का मौका मिल गया है। वे यहां की पिच को पहचानते हैं और उम्मीद की जा सकती है कि वह यहां की परिस्थितियों का फायदा उठा सकेंगे। 
 
पिछले कुछ समय से अपनी निजी फॉर्म से जूझ रहे कप्तान ने पुणे की पिच की जमकर आलोचना की थी लेकिन इस बात में कोई दो राय नहीं है कि टीम इंडिया ने पहले मैच में बेहद निराशाजनक बल्लेबाजी की थी जिसे हार की मुख्य वजह माना जाना चाहिए।
 
रोहित शर्मा, शिखर धवन, अजिंक्य रहाणे दहाई के आंकड़े तक नहीं पहुंच सके तो सर्वश्रेष्ठ फिनिशर माने जाने वाले धोनी भी 2 रन बनाकर आउट हुए। निचले क्रम में नए खिलाड़ी हार्दिक पांड्या और अनुभवी ऑलराउंडर रवीन्द्र जडेजा भी कोई अपवाद साबित नहीं हो सके। 
 
भारतीय टीम के लिए पुणे के मैच में मिली हार ने मध्य और निचले क्रम की कमजोरियों को उजागर कर दिया है और एशिया और फिर विश्व कप से पहले इस दिशा में सुधार का अच्छा मौका है। ऑस्ट्रेलिया में ट्वंटी-20 सीरीज में 3-0 की क्लीन करने वाली टीम इंडिया के निचले क्रम को वैसे भी परखने का मौका नहीं मिला था। 
 
भारत की इसी टीम को आगामी बड़े टूर्नामेंटों में खेलना है और तैयारी के लिहाज से जरूरी है कि प्रत्येक खिलाड़ी अपनी भूमिका को निभा सके। ओपनिंग क्रम में भारत के पास रोहित, धवन और रहाणे जैसे अच्छे खिलाड़ी हैं लेकिन मध्य और निचले क्रम में हमेशा से ही वे फिसड्डी साबित हुए हैं। टीम में वापसी कर रहे अनुभवी ऑलराउंडर युवराज सिंह को मध्यक्रम की जिम्मेदारी को निभाना होगा जबकि रैना, हरभजन, पवन नेगी तथा रविचंद्रन अश्विन भी यह जिम्मेदारी निभाने में सक्षम हैं। 
 
अश्विन ने पुणे में भी नौवें नंबर पर बल्लेबाजी करते हुए नाबाद 31 रन की सर्वाधिक पारी खेली थी। उम्मीद यही है कि धोनी रांची में भी बड़े बदलावों के साथ नहीं उतरेंगे। यदि ऐसा होता है तो पांड्या खराब प्रदर्शन के बावजूद एक और मौका पा सकते हैं और इस स्थिति में नेगी को कुछ इंतजार करना पड़ सकता है। 
 
अपने घर रांची में सबसे बड़े हीरो माने जाने वाले धोनी को देखने के लिए झारखंड क्रिकेट संघ को स्टेडियम के खचाखच भरे रहने की उम्मीद है और ऐसे में धोनी को भी खुद को साबित करना होगा। 
 
करियर के आखिरी दौर में पहुंच चुके धोनी के बल्ले में उतनी आक्रामकता दिखाई नहीं देती है। धोनी ने पुणे में जहां केवल 2 रन बनाए वहीं ऑस्ट्रेलिया में 3 ट्वंटी-20 मैचों की सीरीज में उन्होंने 25 के निराशाजनक औसत से केवल 25 रन बनाए थे जिसमें 14 रन उनका सर्वश्रेष्ठ स्कोर था। हालांकि भारत के सबसे सफल कप्तान हैरान करना जानते हैं।
 
भारत यदि रांची में मैच गंवाता है तो वह सीरीज गंवा देगा और हार के साथ एशिया कप में उतरना मनोबल गिराने वाला होगा इसलिए उसे कमियों को पीछे छोड़ते हुए वापसी करनी होगी। बल्लेबाजी में सुधार के साथ गेंदबाजी और क्षेत्ररक्षण में भी सुधार की अपार संभावनाएं दिखती हैं। आखिरी ओवरों में गेंदबाजों का अधिक रन लुटाना उसे हमेशा भारी पड़ता है। 
 
गेंदबाजी में मध्यम तेज गेंदबाज जसप्रीत बुमराह को नई खोज माना जा रहा है। ऑस्ट्रेलिया में ट्वंटी-20 सीरीज में 17.16 के औसत से 6 विकेट लेकर सबसे सफल रहे बुमराह पुणे में 19 रन देकर कोई विकेट नहीं निकाल सके, लेकिन उन्होंने अपना इकोनोमी रेट 5 से कम रखा। वहीं आईपीएल में अपने प्रदर्शन से प्रभावित कर टीम में वापसी करने वाले 36 साल के तेज गेंदबाज आशीष नेहरा भी फॉर्म में हैं। पुणे में नेहरा ने 2 विकेट लिए थे।
 
वहीं अनुभवी ऑफ स्पिनर रविचंद्रन अश्विन ने भी अच्छी बल्लेबाजी के साथ कमाल की गेंदबाजी की थी और 3 ओवर में 4.33 के सबसे सफल इकोनोमी रेट से 13 रन देकर 2 विकेट लिए थे। अश्विन के साथ ही अनुभवी ऑफ स्पिनर हरभजन सिंह यदि रांची में खेलने का मौका पाते हैं तो वे भी स्पिन गेंदबाजी में अहम साबित हो सकते हैं।
 
सीरीज में बने रहने के लिए भारत को हर हाल में युवा कप्तान दिनेश चांडीमल की श्रीलंकाई टीम से सतर्क रहना होगा। चांडीमल ने पिछले मैच में जीत के लिए सर्वाधिक 35 रन का योगदान दिया था तो वहीं पदार्पण गेंदबाज कसून रजीता, दसुन शनाका और दुष्मंत चमीरा इस बार भारतीय खिलाड़ियों के निशाने पर प्रमुखता से होंगे।  भारत जैसी मजबूत टीम के खिलाफ पदार्पण मैच में ही 3 विकेट लेने वाले रजीता ने जिस तरह से भारतीय बल्लेबाजों की हवा निकाली थी, वह काबिलेतारीफ है और इसलिए पूर्व ट्वंटी-20 चैंपियन का इस बार पूरी गंभीरता से भारत को सामना करना होगा। (वार्ता)

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