Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

लाजवाब, बेमिसाल एमएस धोनी नए 'अवतार' में

हमें फॉलो करें लाजवाब, बेमिसाल एमएस धोनी नए 'अवतार' में
- सीमान्त सुवीर
 
चेन्नई के चेपाक स्टेडियम में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ एमएस धोनी ने 79 रनों की जो पारी खेली, वो लाजवाब और बेमिसाल रही...लंबे अरसे बाद धोनी का यह 'नया अवतार' देखने  को मिला, जिसने टीम इंडिया के लिए आशा की नई किरण जगा दी। 36 बरस के धोनी ने अपनी इस पारी से साबित किया कि उनके बाजुओं में अभी भी लोहा भरा हुआ है।
 
सोशल मीडिया पर हाल ही में गुलज़ार साहब को सुना, जिसमें उन्होंने सुर साम्राज्ञी लता मंगेशकर का सम्मान किया। गुलज़ार ने जब लताजी को मंच पर बुलाया तो उन्होंने कहा  'मेरी आवाज़ ही पहचान है, गर याद रहे...' ठीक यही बात महेन्द्रसिंह धोनी पर लागू होती है और से कुछ इस तरह बयां किया जा सकता है...'मेरा बल्ला ही मेरी पहचान है...' 
webdunia
अकसर बोला गया है कि जिसने लाहौर नहीं देखा, उसने कुछ नहीं देखा लेकिन मेरा मत है कि जिसने आज चेन्नई में धोनी की पारी नहीं देखी, उसने कभी क्रिकेट नहीं देखा...302वें एक दिवसीय अंतरराष्ट्रीय मैच में जब धोनी छठे नंबर बल्लेबाजी करने उतरे, तब टीम इंडिया का  ड्रेसिंग रूम गहरे अवसाद में डूबा हुआ था क्योंकि मैदान पर 87 रनों के कुल स्कोर पांच सूरमा बल्लेबाज आउट हो चुके थे। 
 
भारत 11 रन पर तीन विकेट ( रहाणे 5, विराट 0, मनीष पांडे 0) गंवा चुका था। नथैन कुल्टन नाइल ने तीनों विकेट पर अपना नाम लिखा। तब स्टीव स्मिथ की कप्तानी वाली ऑस्ट्रेलियाई सेना गुरुर में थी और लग रहा था कि 150 के आसपास टीम सिमट जाएगी...लेकिन ऑस्ट्रेलिया की यह खुशी ज्यादा देर कायम नहीं रही...क्योंकि केदार जाधव 40 और रोहित शर्मा 28 रन बनाकर स्कोर को 87 तक ले गए थे। 
 
एमएस धोनी ने मैदान पर उतरने के बाद हार्दिक पांड्‍या का जोश बढ़ाया और दूसरे छोर से वे उन्हें यह समझाते रहे कि किस तरह ऑस्ट्रेलिया के गेंदबाजों को कूटना है...हार्दिक ने पहले गेंद पर आंखें जमाईं और फिर वे भूखे शेर की तरह गेंदबाजों पर टूट पड़े.. न केवल टूट पड़े बल्कि उनके छक्के भी छुड़ा दिए।
 
65 गेंदों पर 83 रनों की पारी (5 चौके, 5 छक्के) खेलने के बाद हार्दिक स्पिनर एडम जम्पा को छक्का लगाने के प्रयास में आउट हुए लेकिन तब तक वे धोनी के साथ मिलकर 118 रनों  की भागीदारी निभा चुके थे। 87 पर 5 और 206 पर 6 विकेट का स्कोर भी सुरक्षित नहीं था। यहीं पर धोनी से तमाम उम्मीदें बंध गई और फिर उनका सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन का इंतजार पूरा स्टेडियम ही नहीं देश कर रहा था..
 
धोनी की यही खासियत है कि जब टीम भंवर में फंसी हो, तब उसे कैसे बाहर निकाला जाए, यह कला वे बखूबी जानते हैं। 40 रन में उनका एक भी चौका नहीं था और जब उन्होंने क्रिकेट के तीनों फॉर्मेट (टेस्ट, वनडे, टी-20) का अपना 100वां अर्द्धशतक पूरा किया, तब भी केवल एक बार ही गेंद सीमा पार गई थी।
webdunia
सहज अंदाज लगाया जा सकता है कि धोनी ने खुद के कंधों के ऊपर कितनी बड़ी जिम्मेदारी का भार डाल रखा था। इसके बाद पुछल्ले बल्लेबाज भुवनेश्वर को साथ लेकर सातवें विकेट के लिए धोनी  ने 72 रन जोड़े, जिसकी बदौलत उनके आउट होने के वक्त टीम इंडिया का स्कोर 49.4 ओवर  में 277 रनों तक पहुंच चुका था। धोनी के 79 रन 88 गेंदों में 4 चौकों और 2 छक्कों की  मदद से बने।
 
फाल्कनर के अंतिम ओवर में धोनी ने जो छक्का उड़ाया, वो पूरी पारी का सबसे बेहतरीन स्ट्रोक था, जिसका स्वागत हजारों दर्शकों ने खड़े होकर किया। 36 साल की उम्र में इस तरह की पारी  खेलना, वाकई अपने आप में एक महान काम है। धोनी की फिटनेस इसमें सबसे बड़ा किरदार अदा कर रही थी। 
 
दो साल पहले तक धोनी ने जिम की कभी सूरत नहीं देखी थी लेकिन अब वे लगातार जिम में पसीना बहाकर खुद को फिट रखे हुए हैं। श्रीलंका में जब धोनी ने क्रिकेट कॅरियर का 300वां  वनडे मैच खेला था, तब कप्तान विराट कोहली समेत सभी खिलाड़ियों ने अपने ऑटोग्राफ वाला बल्ला धोनी को भेंट किया था और उस पर लिखा था 'आप हमारे बेस्ट कप्तान हो और हमेशा रहोगे।' 
 
धोनी न केवल भारत के बल्कि दुनिया के सबसे सफल कप्तान हैं और एक सफल कप्तान किस तरह टीम को गर्त से बाहर निकालने का हौंसला रखता है, यह बात चेन्नई में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ पहले वनडे मैच में साबित भी कर दी। मैच का नतीजा चाहे जो हो, लेकिन धोनी की ये पारी जिसने भी देखी, वो इसे बरसों बरस तक जरूर याद रखेगा...एमएस धोनी एक भरोसे का नाम है, एक विश्वास का नाम है...

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

कोहली शीर्ष पर कायम, बुमराह टी-20 रैंकिंग में दूसरे स्थान पर