बॉर्डर गावस्कर सीरीज में जितनी आपदाएं अजिंक्य रहाणे के सामने आयी हैं उतनी शायद ही किसी कप्तान के सामने आयी हों।
रहाणे ने टीम की कमान तब संभाली जब एडीलेड टेस्ट में टीम को तीन दिनों के अंदर शर्मनाक हार का सामना करना पड़ा और नियमित कप्तान विराट कोहली श्रृंखला के पहले टेस्ट मैच के बाद पितृत्व अवकाश पर भारत लौट गये। रहाणे और कोहली का व्यक्तित्व एक-दूसरे से काफी अलग है, लेकिन शांत रहने वाले रहाणे ने शानदार तरीके से टीम का नेतृत्व किया।
लगातार चोटिल होते रहे मुख्य खिलाड़ी
तेज गेंदबाज मोहमद शमी एडिलेड में पहले टेस्ट में चोटिल हुए जबकि दूसरे तेज गेंदबाज उमेश यादव मेलबोर्न में दूसरे टेस्ट में चोटिल हुए। लेफ्ट आर्म स्पिन आल राउंडर रवींद्र जडेजा का बाएं हाथ का अंगूठा सिडनी में तीसरे टेस्ट में टूट गया और वह ब्रिस्बेन में होने वाले चौथे टेस्ट से बाहर हो गए। तीसरे टेस्ट में टीम के शीर्ष तेज गेंदबाज जसप्रीत बुमराह पेट में खिंचाव के शिकार हो गए।
वरिष्ठ खिलाड़ियों की चोटों के बावजूद उन्होंने लगभग पदार्पण करने वाले खिलाड़ियों को सही दिशा दी और भारत ब्रिस्बेन को 3 विकेट से जीतने में सफल हुआ।
तीनों टॉस हारे
एडिलेड टेस्ट के बाद रहाणे को एक बार भी अपने मनमुताबिक फैसला लेने का मौका नहीं मिला क्योंकि वह एक बार भी सिक्के का उछाल अपनी तरफ नहीं कर पाए। मेलबर्न, सिडनी और ब्रिस्बेन में वह टॉस हार गए। लेकिन फिर भी तीन में से दो टेस्ट जीतने और एक ड्रॉ करवाने में सफल रहे।
मेलबर्न टेस्ट में उतरने से पहले कप्तान रहाणे दो टेस्ट जीत चुके थे। अब वह 4 टेस्ट जीत चुके हैं और उनकी अगवाई में सिर्फ 1 टेस्ट ड्रॉ हुआ है। कप्तान के तौर पर रहाणे अब तक एक भी टेस्ट नहीं हारे हैं। (वेबदुनिया डेस्क)