नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय द्वारा नियुक्त किए गए बीसीसीआई के चार प्रशासकों में से एक इतिहासकार रामचंद्र गुहा ने गुरुवार को न्यायालय को बताया कि उन्होंने पद से इस्तीफा दे दिया है और ऐसा व्यक्तिगत कारणों से किया गया है।
न्यायमूर्ति एमएम शांतनागौदर और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की अवकाशकालीन पीठ को गुहा के अधिवक्ता ने बताया कि उन्होंने गत 28 मई को भारतीय क्रिकेट बोर्ड की प्रशासकों की समिति के अध्यक्ष विनोद राय को अपना इस्तीफा सौंप दिया था।
न्यायालय ने कहा कि इस मामले पर विशेष पीठ विचार कर रही है और याचिका रजिस्ट्री में दायर की जानी चाहिए।
पीठ को मामले की जानकारी देने वाले अधिवक्ता राकेश सिन्हा ने कहा कि उन्होंने यह याचिका अदालत को गुहा के इस्तीफे के फैसले के बारे में सूचित करने के लिए दायर की है और मुख्य मामले पर सुनवाई जुलाई में होनी है।
शीर्ष अदालत ने गत 30 जनवरी को पूर्व नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक विनोद राय की अध्यक्षता में चार सदस्यीय प्रशासकों की समिति नियुक्त की थी। इस समिति को बीसीसीआई को संचालित करने और क्रिकेट संस्था में सुधार के लिए न्यायमूर्ति आरएम लोढ़ा समिति की अदालत द्वारा मंजूर की गई सिफारिशों को लागू करने की जिम्मेदारी सौंपी थी।
उच्चतम न्यायालय द्वारा नियुक्त किए गए प्रशासकों में इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट फाइनेंस कंपनी के प्रबंध निदेशक विक्रम लिमये और भारतीय महिला क्रिकेट टीम की पूर्व कप्तान डायना एडुल्जी भी शामिल हैं।
जनवरी में सीओए के गठन की घोषणा करते हुए न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी के केंद्रीय खेल मंत्रालय के सचिव को प्रशासकों में से एक बनाने का सुझाव यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि शीर्ष अदालत ने 18 जुलाई, 2016 के अपने आदेश में मंत्रियों और सरकारी कर्मचारियों को बीसीसीआई में कोई भी पद दिए जाने पर विशेष तौर पर रोक लगाई है।
पीठ ने यह भी साफ कर दिया कि बीसीसीआई के सीईओ, सीओए को रिपोर्ट करेंगे और बोर्ड के अधिवक्ता की मदद से शीर्ष अदालत द्वारा स्वीकृत लोढा समिति की सिफारिशों के क्रियान्वयन के बारे में प्रशासकों को सूचित करेंगे।
शीर्ष अदालत ने 18 जुलाई, 2016 को लोढा समिति की प्रमुख सिफारिशें स्वीकार कर ली थीं। इसमें मंत्रियों, सरकारी कर्मचारियों और 70 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों के इसके सदस्य बनने पर रोक लगाने का सुझाव भी शामिल था। (भाषा)