मेलबोर्न। पर्थ के दूसरे टेस्ट की हार और उसके बाद ऑलराउंडर रवीन्द्र जडेजा की दबी चोट को लेकर उठे विवाद के बाद विश्व की नंबर एक टीम भारत के कोच रवि शास्त्री की प्रतिष्ठा भी दांव पर लग गई है।
शास्त्री ने रविवार को मेलबोर्न में जडेजा की चोट को लेकर खुलासा किया था कि उन्हें ऑस्ट्रेलिया पहुंचने के बाद बाएं कंधे की चोट के लिए इंजेक्शन दिए गए थे। शास्त्री ने इसके साथ ही पूर्व भारतीय कप्तान सुनील गावस्कर का नाम लिए बिना उन पर निशाना साधा था कि हजारों मील दूर बैठकर आलोचना करना आसान है।
इससे पहले शास्त्री अपने उस बयान को लेकर भी विवादों में रहे थे जिसमें उन्होंने कहा था कि यह भारतीय टीम पिछले 15 वर्षों में विदेशी दौरा करने वाली सर्वश्रेष्ठ टीम है। बीसीसीआई का संचालन देख रही प्रशासकों की समिति ने भी शास्त्री के इस बयान पर आपत्ति उठाई थी।
भारतीय कोच की यह बात एडिलेड टेस्ट में भारत की शानदार जीत तक ठीक लग रही थी लेकिन पर्थ में हार के साथ ही टीम इंडिया में छिपी हुई वे तमाम बातें बाहर आने लगीं, जो आमतौर पर ड्रेसिंग रूम का हिस्सा रहती हैं। भारत के ऑस्ट्रेलिया पहुंचने के एक महीने बाद जाकर टीम इंडिया के कोच मीडिया को यह बताते हैं कि टीम के एक प्रमुख स्पिनर चोट के साथ ऑस्ट्रेलिया पहुंचे और इसके बावजूद उन्हें पर्थ टेस्ट के लिए 13 सदस्यीय टीम में शामिल कर लिया गया।
शास्त्री के बयान से उठे विवाद पर लीपापोती करने के लिए भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) को आनन-फानन में रविवार रात ही एक बयान जारी कर जडेजा की पूरी चोट के लिए सफाई देनी पड़ी और बीसीसीआई ने साथ ही यह भी बता दिया कि जडेजा मेलबोर्न टेस्ट में खेलने को लेकर उपलब्ध हैं।
टीम इंडिया के कोच ने जिस तरह गावस्कर को आड़े हाथों लिया, वह निश्चित रूप से आगे आने वाले तूफान का संकेत है। मेलबोर्न में भारतीय टीम को हर लिहाज से बेहतरीन प्रदर्शन करना होगा और जीत हासिल करनी होगी अन्यथा टीम के साथ-साथ कोच को भी आलोचनाओं के नए तीरों के लिए तैयार रहना होगा।
शास्त्री की कॉन्फ्रेंस का सबसे बड़ा मुद्दा जडेजा की चोट बन गई जिसे अब तक दबाकर रखा गया था। यह हैरानी की बात है कि पिछले लगभग एक महीने में टीम से बाहर किसी को भी यह जानकारी नहीं थी और न ही टीम प्रबंधन ने बताया था कि जडेजा के बाएं कंधे में चोट है और उसके इलाज के लिए उन्हें ऑस्ट्रेलिया पहुंचने के लिए उन्हें इंजेक्शन दिए गए हैं।
दरअसल, यह सारा मामला पर्थ टेस्ट की हार के बाद सामने आया जिसमें भारतीय टीम प्रबंधन ने विशेषज्ञ स्पिनर को बाहर रख 4 तेज गेंदबाजों को खेलाया और मेजबान ऑस्ट्रेलियाई टीम अपने विशेषज्ञ स्पिनर नाथन लियोन की बदौलत मैच जीतकर सीरीज में बराबरी हासिल करने में कामयाब रही।
ऑफ स्पिनर रविचंद्रन अश्विन पेट की मांसपेशियों में खिंचाव के कारण दूसरे टेस्ट से बाहर हो गए थे जबकि जडेजा को बाहर रखने के पीछे कोई कारण नहीं बताया गया था। कप्तान विराट कोहली ने दूसरे टेस्ट की पूर्व संध्या पर कहा था कि उन्हें कोई कारण नहीं दिखाई देता कि इस मैच में विशेषज्ञ स्पिनर को खेलाया जाए। विराट ने यहां तक कहा कि यदि अश्विन फिट भी होते तो भी वे 4 तेज गेंदबाजों के साथ उतरते।
टीम चयन के इसी फैसले की गावस्कर ने कड़ी आलोचना की थी जिस पर शास्त्री ने उलटा सवाल उठाते हुए कहा था कि आलोचकों को तथ्यों के बारे में कोई जानकारी नहीं है और वे हजारों मील दूर बैठकर अपने हिसाब से टिप्पणी करते रहते हैं।
यह भी दिलचस्प है कि जहां शास्त्री जडेजा को पूरी तरह फिट नहीं बैठा रहे हैं, वहीं इस ऑलराउंडर ने पर्थ के दूसरे टेस्ट में ऑस्ट्रेलिया की पारी में क्षेत्ररक्षण किया था। पर्थ टेस्ट की पूर्व संध्या पर खिलाड़ियों की फिटनेस को लेकर बीसीसीआई के बुलेटिन में जडेजा की चोट का कोई जिक्र नहीं था। टीम प्रबंधन ने भी यह बात किसी को पता नहीं लगने दी कि जडेजा पूरी तरह फिट नहीं हैं।
जडेजा को 30 नवंबर को अभ्यास मैच के दौरान इंजेक्शन दिया गया था और उसके 23 दिन बाद जाकर यह बात सामने आती है कि उनके बाएं कंधे में जकड़न थी जिसके इलाज के लिए उन्हें इंजेक्शन दिया गया। यह भी हैरानी की बात है कि विराट ने पर्थ टेस्ट के लिए जडेजा को 13 सदस्यीय टीम में शामिल किया लेकिन बाद में कहा कि अंतिम एकादश का चयन परिस्थितियों के आधार पर था, फिटनेस के आधार पर नहीं। मेलबोर्न टेस्ट से 3 दिन पहले कोच के जडेजा को चोटिल बताने और उन्हें इंजेक्शन दिए जाने के खुलासे से बड़ा विवाद खड़ा हुआ है।
मेलबोर्न टेस्ट शास्त्री के लिए अब प्रतिष्ठा का सवाल बन गया है और इस मैच में उनकी प्रतिष्ठा टीम के खिलाड़ियों से ज्यादा दांव पर रहेगी। (वार्ता)