कानपुर टेस्ट में ऑलराउंडर रविंद्र जड़ेजा के निशाने पर रहेगा गेंद और बल्ले से यह रिकॉर्ड
सुर्खियों से दूर भारत के तारणहार साबित होते रहे हैं रविंद्र जडेजा
अगर आप जसप्रीत बुमराह जैसे विलक्षण नहीं हैं तो फिर रविचंद्रन अश्विन के साथ खेलने वाले गेंदबाजों के लिए इस दिग्गज ऑफ स्पिनर की छाया से बाहर निकलना आसान नहीं होता, फिर भले ही वह रविंद्र जडेजा जैसा प्रतिभाशाली खिलाड़ी ही क्यों ना हो।इस हफ्ते शुरू होने वाले कानपुर टेस्ट में जडेजा के पास टेस्ट क्रिकेट में 300 विकेट और 3000 रन के ग्रैंड डबल को हासिल करने वाले खिलाड़ियों के एलीट क्लब में शामिल होने का मौका होगा। इस ऑलराउंडर के नाम पर अभी 299 विकेट और 3122 रन दर्ज हैं।
भारत के दो खिलाड़ियों अश्विन और कपिल देव सहित अब तक दुनिया के केवल 10 खिलाड़ी ही इस उपलब्धि को हासिल कर पाए हैं। गैरी सोबर्स और जाक कैलिस जैसे महान खिलाड़ी भी इस सूची का हिस्सा नहीं हैं लेकिन इसके बावजूद जडेजा को उतनी सुर्खियां नहीं मिलती जितनी इन्हें मिला करती थी।
एक तरह से जडेजा का काम करने का तरीका इसका मुख्य कारण है। अश्विन बोलने में तेज हैं और वह प्रेस कांफ्रेंस या अपने यूट्यूब चैनल पर अपने कौशल के बारे में बात करने से नहीं डरते। जडेजा इनमें से कुछ भी नहीं करते। वह रडार की पकड़ में नहीं आने वाले लड़ाकू विमान की तरह अपना काम करते हैं।
हालांकि भारत जब भी मुश्किल में होता है तो जडेजा की लड़ाकू प्रवृत्ति तुरंत सामने आ जाती है। यहां बांग्लादेश के खिलाफ पहले टेस्ट में भारत की 280 रन की जीत के दौरान भी इसका नजारा देखने को मिला जब 144 रन पर छह विकेट गंवाने के बाद जडेजा और अश्विन ने सातवें विकेट के लिए 199 रन की साझेदारी करके भारत को 376 रन तक पहुंचाया। जडेजा ने 86 रन बनाए लेकिन चर्चा अश्विन के घरेलू शतक पर केंद्रित रही।
जडेजा ने मैच में पांच विकेट चटकाए लेकिन अश्विन ने दूसरी पारी में छह विकेट हासिल करके यहां भी उन्हें पीछे छोड़ दिया।इस बात पर खूब चर्चा हुई कि अश्विन ने किस तरह से बांग्लादेश के अनुभवी बाएं हाथ के बल्लेबाज शाकिब अल हसन के खिलाफ कोणों का इस्तेमाल करके उन्हें आउट करने की नींव रखी। जडेजा ने भी लिटन दास के साथ ऐसा किया लेकिन उन्हें आउट करने के बारे में शायद ही कोई चर्चा हुई।
अश्विन ने दूसरे छोर पर जडेजा के महत्व को तुरंत स्वीकार किया।उन्होंने पहले टेस्ट के बाद कहा, वह काफी प्रेरणादायक है। कभी-कभी जब आप अपने साथी क्रिकेटरों के साथ दौड़ में होते हैं तो आप एक-दूसरे से आगे निकलना चाहते हैं। और फिर आप धीरे-धीरे एक-दूसरे की प्रशंसा करने लगते हैं।
अश्विन ने कहा, अब यह प्रशंसा एक कदम और बढ़ गई है, यह जानते हुए कि मैं जडेजा को कभी नहीं हरा सकता। इसलिए मैं अपने खेल में सहज हूं, लेकिन उन्होंने जो किया है, उससे पूरी तरह प्रेरित हूं।
वर्ष 2012 में जोड़ी बनाने के बाद से अश्विन और जडेजा स्वदेश में एक साथ 45 टेस्ट खेले जिनमें से भारत ने 34 जीते, तीन में हार और शेष आठ ड्रॉ रहे। इन 45 मैचों में जडेजा ने 218 जबकि अश्विन ने 263 विकेट चटकाए।
भारत के बाएं हाथ के एक पूर्व स्पिनर ने पीटीआई से कहा, यह कहा जा सकता है कि वे एक-दूसरे की मदद करते हैं। मैं कहूंगा कि अश्विन को जडेजा की उपस्थिति से थोड़ा अधिक लाभ हुआ है क्योंकि वह (जडेजा) बल्लेबाजों को रन बनाने के मौके नहीं देता। सपाट विकेटों पर भी बल्लेबाज उसके नियंत्रण के कारण उसके खिलाफ संघर्ष करते हैं।
उन्होंने कहा, इसलिए कई बार उन्हें अश्विन या अन्य गेंदबाजों के खिलाफ जोखिम उठाने के लिए मजबूर होना पड़ता है। लेकिन वे अन्य गेंदबाज कौन हैं - बुमराह और शमी। इसलिए मेहमान बल्लेबाजों के लिए यह आसान स्थिति नहीं होती और उन पर लगातार दबाव बना रहता है।
इस पूर्व स्पिनर ने कहा, वह जो भी करता है, उसमें काफी निस्वार्थ है। वह शायद ही कभी बड़े साक्षात्कार देता है या किसी पद के लिए लड़ता है। वह एक संतुष्ट व्यक्ति लगता है जो टीम में योगदान देने में खुश है। (भाषा)