मुंबई। दिग्गज बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर ने सोमवार को अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) से निर्णय समीक्षा प्रणाली (डीआरएस) में 'अंपायर्स कॉल' की संपूर्ण समीक्षा करने का आग्रह किया। ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ मेलबर्न में दूसरे टेस्ट मैच के दौरान भारत को इस नियम का खामियाजा भुगतना पड़ा।
'अंपायर्स कॉल' तब मुख्य रूप से सामने आता है, जबकि पगबाधा के लिए रिव्यू की मांग की गई हो। इस स्थिति में अगर अंपायर ने नॉट आउट दिया है तो रिव्यू में यह पता चलने पर कि गेंद स्टंप पर लग रही है, टीवी अंपायर के पास फैसला बदलने का अधिकार नहीं होता है। गेंदबाजी टीम के लिए यही अच्छी बात होती है कि वह अपना रिव्यू नहीं गंवाती है।
तेंदुलकर ने ट्वीट किया, खिलाड़ी इसलिए रिव्यू लेते हैं क्योंकि वे मैदानी अंपायर के फैसले से नाखुश होते हैं। आईसीसी को डीआरएस प्रणाली विशेषकर अंपायर्स कॉल की संपूर्ण समीक्षा करने की जरूरत है।
ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाज जो बर्न्स और मार्नस लाबुशेन के खिलाफ पगबाधा की अपील के बाद रीप्ले में लगा कि गेंद गिल्लियों को स्पर्श करके जाती, लेकिन अंपायर्स कॉल के कारण दोनों बल्लेबाज क्रीज पर बने रहे।
ऑस्ट्रेलियाई स्पिन दिग्गज शेन वार्न ने सबसे पहले इस नियम की आलोचना की थी जिसे अनिल कुंबले की अगुवाई वाली आईसीसी क्रिकेट समिति ने तैयार किया है।
वार्न लगातार कहते रहे हैं कि वह अंपायर्स कॉल को कभी नहीं समझ पाए। उन्होंने पिछले साल कहा था, अगर गेंद स्टंप को हिट कर रही हो तो यह आउट भी हो सकता है और नॉट आउट भी।(भाषा)