Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

द्रविड़ के कोच बनने से एक के बाद एक रवाना होंगे सीनियर खिलाड़ी, युवा ब्रिगेड़ को मिलेगा मौका

हमें फॉलो करें द्रविड़ के कोच बनने से एक के बाद एक रवाना होंगे सीनियर खिलाड़ी, युवा ब्रिगेड़ को मिलेगा मौका
, शनिवार, 16 अक्टूबर 2021 (11:37 IST)
पूर्व दिग्गज बल्लेबाज राहुल द्रविड़ यूएई (संयुक्त अरब अमीरत) में खेले जाने वाले टी20 विश्व कप के बाद भारतीय क्रिकेट टीम के कोच बनने के लिए तैयार हो गये हैं।द्रविड़ हालांकि पहले इस जिम्मेदारी के लिए तैयार नहीं थे लेकिन बीसीसीआई (भारतीय क्रिकेट बोर्ड) की ओर जोर देने के बाद उन्होंने इसके लिए हामी भर दी।

भारत के सबसे महानतम खिलाड़ियों में से एक 48 वर्षीय द्रविड़ पिछले छह वर्षों से भारत ए और अंडर -19 प्रणाली के प्रभारी हैं। उनकी देखरेख मे ऋषभ पंत, अवेश खान, पृथ्वी साव, हनुमा विहारी और शुभमन गिल जैसे खिलाड़ियों ने जूनियर स्तर से राष्ट्रीय टीम का सफर तय किया है।वह फिलहाल बेंगलुरु स्थित राष्ट्रीय क्रिकेट अकादमी के प्रमुख है।

बीसीसीआई के एक अधिकारी ने गोपनीयता की शर्त पर कहा, ‘‘हां, राहुल 2023 विश्व कप तक भारतीय टीम को कोचिंग देने के लिए सहमत हो गए हैं। शुरू में, वह अनिच्छुक थे, लेकिन यह समझा जाता है कि अध्यक्ष सौरव गांगुली और सचिव जय शाह ने राहुल के साथ आईपीएल फाइनल के दौरान बैठक की थी और जिम्मेदारी के लिए उन्हें मनाने में सफल रहे।’’उन्होंने कहा, ‘‘ यह अंतरिम जिम्मेदारी नहीं होगी।’’

यह समझा जा रहा है कि द्रविड़ के भरोसेमंद पारस महाम्ब्रे टीम के गेंदबाजी कोच होंगे जबकि विक्रम राठौर के बल्लेबाजी कोच के रूप में बने रहने की संभावना है।यह पता चला है कि बीसीसीआई अब भी इस पद के लिए एक विज्ञापन देगा ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि उचित प्रक्रिया का पालन किया गया है।

कप्तान कोहली की टीम को कोचिंग देने से परहेज हैं पूर्व क्रिकेटरों को

रवि शास्त्री के कार्यकाल में भारतीय टीम की सफलता को देखने के बाद बीसीसीआई फिर से भारतीय कोच नियुक्त करना चाहता है लेकिन उस कद के कम ही विकल्प है।एक पूर्व भारतीय कप्तान और दिग्गज ने पहले ही मौजूदा टीम प्रणाली में कोच बनने से इनकार कर दिया था क्योंकि विराट कोहली अभी भी टेस्ट और एकदिवसीय कप्तान बने हुए हैं।

यह पता चला है कि कुछ पूर्व दिग्गज खिलाड़ी कोहली के नेतृत्व वाली टीम को कोचिंग देने से कतराते थे। उनके पितृत्व अवकाश के दौरान ऑस्ट्रेलिया में भारतीय टीम की शानदार जीत के बाद हालांकि इस स्थिति में बदलाव हुआ है।

शास्त्री को बीसीसीआई से उनकी सेवाओं के लिए लगभग साढ़े आठ करोड़ रुपये मिलता है। यह समझा जाता है कि बीसीसीआई द्रविड़ को भी बड़ी राशि की पेशकश कर रहा है, जो उनके एनसीए पारिश्रमिक के साथ-साथ शास्त्री के वर्तमान वेतन से अधिक होगा।

सीनियर खिलाड़ी होंगे रवाना, युवाओं को मिलेगी तरजीह

भारतीय टीम में द्रविड़-म्हाम्ब्रे संयोजन होने के पीछे मूल विचार यह सुनिश्चित करना है कि अगले दो वर्षों में जब इस टीम में बदलाव का दौर शुरू होगा तो सुचारू रूप से हो सके।बीसीसीआई सूत्र ने कहा, ‘‘ रोहित अगले साल 35 साल के हो जाएंगे, विराट अपने 33वें जन्मदिन से कुछ दिन दूर हैं। उनके अलावा मोहम्मद शमी, इशांत शर्मा, चेतेश्वर पुजारा और अजिंक्य रहाणे सभी शानदार खिलाड़ी हैं, लेकिन अगले दो वर्षों के दौरान उन्हें चरणबद्ध तरीके से राष्ट्रीय टीम बाहर किया जाएगा।’’

उन्होंने कहा, ‘‘ इन खिलाड़ियों की जगह जिन खिलाड़ियों का आना तय है, वे ज्यादातर अंडर-19 प्रणाली से हैं। इसलिए जरूरी है कि द्रविड़ को नियुक्त किया जाए।’’

बतौर कोच गाड़ चुके हैं झंडे पर झंडे

वैसे देखा जाए तो राहुल द्रविड़ के लिए फैंस की यह मांग जायज भी है। ‘द वॉल’ द्रविड़ जितने महान खिलाड़ी रहे, उतना ही नाम उन्होंने बतौर कोच के रूप में भी कमाया। इंडिया ए और अंडर-19 टीमों ने द्रविड़ की कोचिंग की लगातार सफलता के झंडे गाड़े।
 
webdunia

जानकारी के लिए बता दें कि, साल 2016 और 2019 के अंडर-19 वर्ल्ड कप में भारतीय टीम ने फाइनल तक का सफर तय किया था और दोनों बार टीम के कोच राहुल द्रविड़ थे। 2016 में ईशान किशन की कप्तानी में भारत रनर-अप रहा था, जबकि 2019 में पृथ्वी शॉ की अगुवाई में चैंपियन बनकर सामने आया था।

बतौर खिलाड़ी द्रविड़ ने एक नहीं, दो नहीं, बल्कि पूरे तीन एकदिवसीय विश्व कप खेले लेकिन एक बार भी वर्ल्ड कप का खिताब नहीं जीत सके। मगर 2019 में आखिरकार बतौर कोच उनका अपने हाथों में वर्ल्ड कप ट्रॉफी उठाने का सपना पूरा हुआ।

कभी दादा ने ही मनाया था विकेटकीपिंग के लिए

जब सौरव गांगुली कप्तान थे तो राहुल द्रविड़ को उन्होंने उनकी इच्छा के विरुद्ध विकेटकीपिंग कराई थी। शुरुआत में द्रविड़ ने खूब गलतियां की, कभी कभी तो सामने की गेंद ही नहीं पकड़ पाते थे लेकिन धीरे धीरे उनमें सुधार आता रहा। इसका टीम इंडिया को फायदा भी हुआ।
webdunia

दरअसल सौरव गांगुली चाहते थे कि एक विकेटकीपर टीम में रखने से बेहतर है कि एक बल्लेबाज ही विकेटकीपिंग करे जिससे टीम को एक अतिरिक्त बल्लेबाज, गेंदबाज या ऑलराउंडर खिलाने की जगह मिली। सौरव की इस जिद के कारण 2003 वनडे विश्वकप में भारत फाइनल तक पहुंचा।

20 जून 1996 को लॉर्ड्‍स के मैदान पर इंग्लैंड के खिलाफ अपने टेस्ट करियर की शुरुआत करने वाले द्रविड़ ने 164 टेस्ट में 52.31 की औसत से 13288 रन बनाए हैं, वहीं 344 वनडे में उन्होंने 39.16 की औसत से 10889 रन बनाए। दोनों तरह के क्रिकेट में 406 कैच लपकने के साथ ही उन्होंने 14 स्टम्पिंग भी किए। ये आंकड़े द्रविड़ की महानता को दर्शाते हैं।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

IPL 2021 जीतने के बाद धोनी ने दिल भी जीता, कहा कोलकाता थी ट्रॉफी जीतने की हकदार