इंग्लैंड ने हाल ही में श्रीलंका को उस के ही घर में 2-0 से पटखनी दी थी। यह सीरीज इसलिए भी जरूरी थी क्योंकि अगली सीरीज इंग्लैंड को भारत के खिलाफ ही खेलनी थी जो उपमहाद्वीप का हिस्सा है।
बेन स्टोक्स को छोड़ दिया जाए तो श्रीलंका में ज्यादातर इंग्लैंड के बल्लेबाजों को स्पिन खेलने का अभ्यास कर लिया। कहा तो यह जाता है कि श्रीलंका की पिचें भारत से ज्यादा स्पिन की मददगार हैं। वह तो लंका के स्पिनर इतने कुशल और अनुभवी नहीं है नहीं तो सीरीज का नतीजा कुछ और होता।
बहरहाल श्रीलंका में खेलने का फायदा इंग्लैंड के बल्लेबाजों को भारत में भी दिखा। स्पिन गेंदबाजी के विरुद्ध कोई भी बल्लेबाज नहीं घबराया। आर अश्विन को रोर बर्न्स का विकेट मिला वह भी खराब शॉट खेलकर। बाकी सारे स्पिनर्स विकटों के लिए तरसते रह गए।
इंग्लैंड के लिए अच्छी बात यह रही की श्रीलंका के बाद उन्हें दो टेस्ट चेन्नई में खेलने थे। श्रीलंका और चेन्नई के मौसम की कंडीशन भी मिलती जुलती है। इससे देर तक गर्मी में रहने का अभ्यास भी हो गया। लंका का यह दौरा इंग्लैंड ने एक दम समय पर किया है। इस दौरे से इंग्लैंड की भारत में आधी समस्या (चेन्नई की चेपॉकपिच) सुलझ सकती है। तीसरा और चौथा टेस्ट अहमदाबाद में खेला जाना है।
सिर्फ बल्लेबाजों के लिए ही नहीं स्पिन की मददगार पिचों पर बेस और लीच ने 12 और 10 विकेट झटके थे। इससे दोनों ही स्पिनर का आत्मविश्वास बढ़ा होगा जो भारत में उच्च श्रेणी के बल्लेबाजों के खिलाफ कारगर साबित हो सकता है। (वेबदुनिया डेस्क)