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स्टीव वॉ ने भारत में क्रिकेट की दीवानगी को कैमरे में किया कैद

हमें फॉलो करें स्टीव वॉ ने भारत में क्रिकेट की दीवानगी को कैमरे में किया कैद
, शनिवार, 17 अक्टूबर 2020 (18:20 IST)
नई दिल्ली। स्टीव वॉ खेलते ऑस्ट्रेलिया के लिए थे लेकिन जब क्रिकेट को कैमरे में कैद करने की बात आई तो उन्होंने भारत को चुना जहां इस खेल को धर्म माना जाता है। चाहे वह हिमालय की किसी तलहटी में भिक्षुओं द्वारा क्रिकेट खेलना हो या फिर दिव्यांग खिलाड़ी का गेंद पकड़ने के लिए निंजा वारियर्स की तरह हवा में तैरना, वॉ को भारत में क्रिकेट जीवन जीने का एक तरीका लगा।

ऑस्ट्रेलिया के इस पूर्व कप्तान ने समुद्र तटों से लेकर रेगिस्तान और पहाड़ों पर लोगों को क्रिकेट खेलते हुए देखा।मुंबई के मशहूर आजाद मैदान पर धूलभरे मैदान पर कुछ नए सपने संजोकर बल्ला और गेंद थामे युवाओं ने भी वॉ को प्रभावित किया।

एबीसी.नेट.एयू के अनुसार, वॉ ने आजाद मैदान के बारे में कहा, वह स्थान क्रिकेट के लिए बना है और मुझे वह पसंद है। वे अद्भुत हैं। वे निंजा वारियर्स की तरह हवा में तैरते हैं। वॉ ने क्रिकेट के दीवाने देश भारत की अपनी कई यात्राओं के दौरान जो तस्वीरें कैमरे में कैद कीं उनको अब पुस्तक की शक्ल दे दी है जिसका शीर्षक है ‘द स्प्रिट ऑफ क्रिकेट- इंडिया’।

वॉ की खींची गई तस्वीरों में 70 से अधिक की इस महीने के आखिर में सिडनी में प्रदर्शनी लगाई जाएगी। उन्होंने कहा, भारत ने मुझे ताउम्र याद रखने वाली यादें ही नहीं दीं, उसने मुझे जिंदगी बदलने वाले क्षण दिखाए। इस पुस्तक का उद्देश्य यह पता करना है कि भारत में क्रिकेट धर्म क्यों है?

वॉ ने 18 दिन तक हाथ में कैमरा थामे हुए भारत का चक्कर लगाया। वे मुंबई से लेकर जोधपुर की गलियों में गए। उन्होंने कोलकाता की गलियां छानीं तो राजस्थान के मरूस्थल और ऊंचे हिमालय की सैर पर भी गए। उनके इस दौरे पर एक वृत्तचित्र भी तैयार किया गया है जिसका शीर्षक है, ‘कैप्चरिंग क्रिकेट’। इसका प्रसारण 17 नवंबर को एबीसी पर किया जाएगा।

भारत में क्रिकेट पर बात करते हुए वॉ ने कहा, भारत जैसे देश में क्रिकेट को कम करके आंकना मुश्किल है। वहां गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले 80 करोड़ लोग हैं लेकिन क्रिकेट उन्हें कुछ खास से जुड़ने का मौका देता है। यह ऐसा खेल है जिसके लिए बहुत अधिक पैसा नहीं चाहिए। मेरे कहने का मतलब है कि क्रिकेट के लिए अक्सर कहा जाता है कि आपको खेलने के लिए केवल बल्ला और गेंद चाहिए।
वॉ ने कहा, मुझे याद नहीं कि मैं भारत में कभी किसी ऐसे व्यक्ति से मिला हूं जो यह नहीं जानता हो कि मैं क्रिकेट खेलता हूं। वे आपको सीधे पहचान लेते हैं जिससे उनसे बात करने में मदद मिलती है।(भाषा)

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