नई दिल्ली। सचिन तेंदुलकर और शेन वॉर्न जब खेला करते थे तो उनके बीच की जंग बहुचर्चित हुआ करती थी और अब ऑस्ट्रेलिया के पूर्व तेज गेंदबाज ब्रेट ली ने स्वीकार किया इसमें अधिकतर भारतीय स्टार ही अव्वल साबित हुआ जिन्होंने उनके साथी गेंदबाज को कई बार अपने इशारों पर नचाया।
तेंदुलकर ने वॉर्न के खिलाफ कई यादगार पारियां खेली। उन्होंने वॉर्न के रहते हुए ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ जो 12 टेस्ट मैच खेले उनमें 60 से अधिक औसत से रन बनाए। इसमें पांच शतक और पांच अर्धशतक भी शामिल है। वॉर्न की मौजूदगी वाले 17 वनडे में उन्होंने 58.70 की औसत और पांच शतकों की मदद से 998 रन बनाएब्रेट ली ने वॉर्न और तेंदुलकर के बीच मुकाबले के अलावा खुद इस स्टार बल्लेबाज का विकेट लेने की खुशी को भी बयां किया।
ली ने स्टार स्पोर्ट्स के कार्यक्रम ‘क्रिकेट कनेक्टेड’ में कहा, ‘वह (तेंदुलकर) कुछ अवसरों पर विकेट से आगे आकर वॉर्न को शॉर्ट पिच गेंद करने के लिए मजबूर करते थे। कुछ अवसरों पर वह बैकफुट पर जाकर गेंद का इंतजार करते और खूबसूरत शाट खेलते थे।’
उन्होंने कहा, ‘यह वॉर्न को अपने इशारों पर नचाने जैसा था। शेन वॉर्न के साथ बहुत कम बल्लेबाज ऐसा कर सकते थे क्योंकि वह बेहद प्रतिभाशाली था। लेकिन कई अवसरों पर सचिन तेंदुलकर ऐसा करता था।’
ली ने कहा कि तेंदुलकर को आउट करने के लिए वॉर्न कई तरह के वैरीएशन भी अपनाते थे लेकिन भारतीय दिग्गज गेंदबाज के हाथ से गेंद छूटते ही उसका सही अनुमान लगाने में माहिर थे और ऐसे में दुनिया भर के बल्लेबाजों को परेशान करने वाले वॉर्न उनके सामने नाकाम रहे।
इस तेज गेंदबाज ने कहा, ‘सचिन जिस तरह गेंदबाज के हाथ से गेंद छूटते ही उसे समझ जाता था और भिन्न तरह की गेंदों को खेलने के लिए भिन्न तकनीक का उपयोग करता था वह लाजवाब था। वॉर्न कई बार हवा में गेंद को दिशा देने की कोशिश करता था तो कई बार नहीं। जब भी वह गेंद में वैरीएशन लाता था कि सचिन उसे समझ लेता था।’
उन्होंने कहा, ‘वॉर्न ने दुनिया भर के अन्य बल्लेबाजों को परेशानी में डाला लेकिन सचिन अन्य बल्लेबाजों की तुलना में गेंद का सही अनुमान लगाता था। वॉर्न को इससे नफरत थी। वह वापस आकर कहता था कि उसने सचिन को आउट करने के लिए अपनी तरफ से हर संभव प्रयास किए लेकिन वह ऐसा नहींकर पाया।’ वॉर्न 12 टेस्ट मैचों में केवल तीन बार तेंदुलकर को आउट कर पाए थे।
ली ने 2003 मेलबर्न में खेले गए ‘बाक्सिंग डे’ टेस्ट मैच का भी जिक्र किया जब उन्होंने पहली बार तेंदुलकर का सामना किया और पहली गेंद पर ही उन्हें विकेटकीपर एडम गिलक्रिस्ट के हाथों कैच कराया।
उन्होंने कहा, ‘मैं तब 22 साल का था जब मुझे लिटिल मास्टर के खिलाफ खेलने का पहला अवसर मिला। मेरी गेंद उनके बल्ले का किनारा लेकर गयी और मुझे लगा कि मैंने अपना काम कर दिया। मुझे टेस्ट मैच की परवाह नहीं थी क्योंकि मैं सचिन तेंदुलकर को आउट करके बहुत खुश था।’ (भाषा)