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टीम इंडिया में शामिल विजय शंकर 'मैच फिनिशर' की भूमिका में नजर आएंगे

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, रविवार, 13 जनवरी 2019 (17:35 IST)
नई दिल्ली। हरफनमौला विजय शंकर को श्रीलंका में खेले गए निदाहस ट्रॉफी टी-20 अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट के फाइनल में उस समय भारतीय प्रशंसकों की आलोचना झेलनी पड़ी थी, जब वे मुस्ताफिजुर रहमान की गेंदों को समझने में विफल रहे थे। लेकिन 'मैच फिनिशर' के तौर पर उनकी उपयोगिता पर राहुल द्रविड़ के विश्वास जताने से उनका आत्मविश्वास बढ़ा और भारतीय टीम में उन्हें दूसरा मौका मिला।
 
 
तमिलनाडु का 27 साल का यह हरफनमौला ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड दौरे पर टीम का हिस्सा रहेगा। वे हार्दिक पांड्या की जगह टीम से जुड़े हैं जिन्हें टीवी कार्यक्रम में महिलाओं को लेकर अनुचित टिप्पणी करने के कारण बीसीसीआई ने जांच लंबित रहने तक निलंबित कर दिया है। पिछले साल फरवरी में बांग्लादेश टीम के शानदार गेंदबाजी आक्रमण के सामने बड़े मैचों में उनकी मानसिकता को लेकर सवाल उठे थे।
 
शंकर ने कहा कि मुझे लगता है कि मानसिक तौर पर मैं ज्यादा मजबूत हुआ हूं और मुझे पूरा विश्वास है कि मैं करीबी मैचों को खत्म कर सकता हूं। भारत 'ए' के न्यूजीलैंड दौरे ने मुझे मेरे खेल को अच्छे से समझने में मदद की। उन्होंने कहा कि 'ए' टीम के कोच राहुल द्रविड़ ने न्यूजीलैंड में उन्हें 5वें नंबर पर बल्लेबाजी के लिए भेजा जिससे उन्हें काफी फायदा हुआ।
 
भारत के लिए 5 टी-20 मैच खेलने वाले शंकर ने कहा कि राहुल सर (द्रविड़) ने मुझे कहा था कि उन्हें मेरी मैच खत्म करने की क्षमता पर भरोसा है। मुझे लगता है कि 5वें क्रम पर बल्लेबाजी करना मेरे खेल के अनुकूल है, क्योंकि मैं 2 मैचों में नाबाद रहा था।
 
उन्होंने कहा कि न्यूजीलैंड में 300 से ज्यादा का लक्ष्य का पीछा करते हुए मैंने 87 रन बनाए थे जिससे मेरा आत्मविश्वास काफी बढ़ा। एक अन्य मैच में लक्ष्य का पीछा करते समय मैंने 60 रन बनाए थे। इन मैचों में मैं जब भी 5वें क्रम पर बल्लेबाजी करने उतरा, उस समय टीम को जीत के लिए 150-160 रन की जरूरत थी और यह जरूरी था कि मैं अच्छी पारी खेलूं और फिनिशर की भूमिका निभाऊं।
 
इस हरफनमौला खिलाड़ी ने कहा कि वे बल्लेबाजी के साथ गेंदबाजी पर भी बराबर ध्यान दे रहे हैं। मैं खेल के दोनों पहलुओं पर बराबर ध्यान देता हूं। विजय हजारे ट्रॉफी के ज्यादातर मैचों में मैंने अपने 10 ओवर के कोटे को पूरा किया। रणजी ट्रॉफी में भी इस सत्र में मैंने काफी गेंदबाजी की। सबसे अच्छी बात यह है कि मैंने जो मेहनत की है, उससे अब मानसिक तौर पर ज्यादा मजबूत महसूस कर रहा हूं।
 
पांड्या के टीम से बाहर होने के कारण शंकर को मौका मिला लेकिन उन्हें इस बात की परवाह नहीं। उन्होंने कहा कि मैं विश्व कप और दूसरी चीजों के बारे में नहीं सोच रहा हूं। जब आप ऐसी बाते सोचते हैं तो खुलकर नहीं खेल सकते। मुझे तैयार रहना होगा और अगर मौका मिलता है तो उसे लपकना होगा।

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