नई दिल्ली। भारतीय स्पिन गेंदबाज युजवेंद्र चहल ने कश्मीर के पुलवामा में केन्द्रीय रिजर्व पुलिसबल (सीआरपीएफ) के जवानों पर हुए आतंकवादी हमले की कड़ी निंदा करते हुए कहा है कि अब इसे सहन नहीं किया जा सकता और पाकिस्तान को मुंहतोड़ जबाव देने का समय अब आ गया है।
दक्षिण कश्मीर में पुलवामा जिले के अवंतीपोरा में सीआरपीएफ जवानों के काफिले पर हुए हमले के बाद पूरे देश में पाकिस्तान को लेकर गहरा रोष है।
सचिन, विराट, गंभीर, सहवाग और अन्य कई भारतीय क्रिकेटरों ने इसको लेकर ट्विटर पर अपना गुस्सा जाहिर किया है। भारत के दाहिने हाथ के लेग स्पिनर चहल ने इस घटना पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा है पाकिस्तान को सबक सिखाया जाना चाहिए भले ही अब आरपार की लड़ाई ही क्यों न हो जाए।
एक निजी टेलीविजन चैनल को दिए साक्षात्कार में 28 वर्षीय चहल ने कहा, यह बार-बार हो रहा है। हम कब तक इसे सहन करते रहेंगे। आए दिन सुनने को मिलता है कि हमारे जवान आतंकवादी हमले में शहीद हो गए। हमें कुछ करना होगा और पाकिस्तान को सबक सिखाना पड़ेगा। अब आरपार की लड़ाई होनी चाहिए।
विश्व कप मुकाबले में पाकिस्तान से नहीं खेलने के सवाल पर चहल ने कहा, विश्व कप में पाकिस्तान के साथ मैच खेलना है कि नहीं यह पूरी तरह सरकार और बीसीसीआई के फैसले पर निर्भर करता है। एक या दो खिलाड़ी इस पर फैसला नहीं कर सकते लेकिन अब यह सही समय है, जब हमें आतंकवाद पर कोई निर्णायक कार्रवाई करनी चाहिए।
चहल से पहले दिग्गज भारतीय स्पिनर हरभजन सिंह ने भी पाकिस्तान को इस घटना के लिए जिम्मेदार ठहराते हुए उसे आड़े हाथों लिया था। उन्होंने पुलवामा हमले की निंदा करते हुए कहा कि भारत को विश्व कप में पाकिस्तान के साथ मैच नहीं खेलना चाहिए।
गौरतलब है कि भारत और पाकिस्तान के बीच 16 जून को ओल्ड ट्रेफर्ड मैदान पर विश्व कप का मैच खेला जाना है। चहल का यह बयान उस समय आया है जब पाकिस्तान ने अपने निशानेबाजों को बुधवार से होने वाले आईएसएसएफ शूटिंग विश्व कप में भाग लेने भारत नहीं भेजा है।
नेशनल राइफल एसोसिएशन ऑफ इंडिया ने हालांकि कहा है कि उसने पाकिस्तान के दो निशानेबाजों के वीजा मिलने की पुष्टि कर दी थी लेकिन पाकिस्तानी अधिकारियों ने कहा कि भारत द्वारा उन्हें वीजा देने में काफी देरी की गई।
उल्लेखनीय है कि गत 14 फरवरी को पुलवामा में सीआरपीएफ जवानों पर हुए फिदायीन हमले में 40 जवान शहीद हो गए थे। इस घटना की जिम्मेदारी पाकिस्तान स्थित आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद ने ली थी।