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अधिक खेलने पर हो सकती है कंधे की परेशानी

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हमें फॉलो करें एंड्रयू वॉलेस आर्थोपेडिक सर्जन चोट
बंगलोर (वार्ता) , रविवार, 28 अक्टूबर 2007 (19:13 IST)
मशहूर आर्थोपेडिक सर्जन एंड्रयू वॉलेस ने कहा कि टेस्ट क्रिकेट की तुलना में सीमित ओवरों के मैचों में खिलाड़ियों को कंधे की चोट लगने की आशंका अधिक रहती है।

डॉ. वॉलेस ने कहा कि सीमित ओवरों के मैचों में खिलाड़ियों पर दबाव अधिक होने के कारण गंभीर चोटों का अंदेशा भी बढ़ जाता है। दूसरी ओर टेस्ट मैचों में बीच-बीच में आराम करने के मौके अधिक होने से यह आशंका कम रहती है।

मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंडुलकर के कंधे का सफल ऑपरेशन करने वाले डॉ. वॉलेस ने कहा कि ज्यादातर गंभीर चोटें क्षेत्ररक्षण या गेंदबाजी के दौरान लगती हैं। गेंदबाजी की तुलना में बल्लेबाजी को काफी सुरक्षित माना जा सकता है।

ऑस्ट्रेलिया में जनमे और लंदन में प्रैक्टिस करने वाले डॉ. वॉलेस ने 10 साल के अपने करियर में रग्बी, फुटबॉल, वालीबॉल, क्रिकेट और वॉटरपोलो खिलाड़ियों की कंधे की चोटों का इलाज किया है।

उन्होंने कहा कि दबाव के अलावा गलत निदान . शुरुआत में तकलीफ को नजरंदाज करने और योग्य फिजियोथेरेपिस्ट की देखरेख के बिना वर्जिश से भी खिलाड़ियों की चोट गहरा जाती है।

डॉ. वॉलेस के अनुसार कंधे की चोट बडी परेशानी का सबब बन सकती है। इससे खिलाड़ी का प्रदर्शन प्रभावित होने के अलावा उसका करियर भी खतरे में पड़ सकता है। मैंने हाल ही में मुंबई में भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच ट्‍वेंटी-20 मैच देखा था।

इस तरह के मैचों में खिलाड़ियों को क्षेत्ररक्षण, गेंदबाजी और बल्लेबाजी के दौरान जितने तनाव से गुजरना पडता है वह सचमुच बहुत ज्यादा है। एक हद से अधिक खेलने से कंधे में परेशानी पैदा हो सकती है, लेकिन किसी खिलाड़ी को कितना खेलना चाहिए यह उसके डीलडौल पर निर्भर करता है।

उन्होंने कहा कि गेंदबाजी और थ्रो के एक्शन में सुधार करके कंधे पर पडने वाले दबाव को घटाया जा सकता है।

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