क्रिकेटर महेंद्रसिंह धोनी की बढ़ती लोकप्रियता के बीच पिछले दिनों उत्तराखंड में भी अनेक नेता धोनी को सरकारी सम्मान दिलाने के लिए भरसक प्रयास कर रहे थे। दरअसल मूल रूप से उत्तराखंड का होने के कारण विधानसभा में यह मामला उठाया गया था, लेकिन राज्य के खेलमंत्री ने हाल ही में धोनी को सम्मानित करने की अटकलों को यह कहकर विराम दे दिया कि धोनी उत्तराखंड के स्थायी निवासी नहीं हैं।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खूब नाम कमाने के बाद और खासतौर पर ट्वेंटी-20 क्रिकेट विश्वकप में भारत के चैंपियन बनने के बाद माही का सितारा बुलंदियों पर है। उनकी इस चमक के बीच ही उत्तराखंड की खंडूरी सरकार से भी धोनी को सम्मानित करने की माँग काफी दिनों से उठ रही थी।
इसके पीछे कारण यही बताया जा रहा था कि महेंद्रसिंह धोनी के माता-पिता मूल रूप से उत्तराखंड के थे। राज्य के अल्मोड़ा जिले में धोनी का पैतृक गाँव होने के कारण यह माँग उठती रही, लेकिन राज्य सरकार को यह बात कुछ हजम नहीं हुई।
रिश्ते जगजाहिर नहीं करते : राज्य के खेलमंत्री राजेंद्र भंडारी ने कहा कि धोनी ने कभी भी उत्तराखंड राज्य से अपने पैतृक रिश्तों को जगजाहिर नहीं किया है।
राज्य सरकार देश के अनेक खिलाड़ियों को सम्मानित करती रही है और आगे भी करती रहेगी। यदि महेंद्रसिंह धोनी उत्तराखंड आते हैं तो उनका स्वागत भी किया जाएगा, लेकिन यह जरूरी नहीं कि धोनी को उत्तराखंड सरकार पैसों से तौले।
भंडारी का कहना था कि धोनी पर झारखंड सरकार पहले ही काफी धनवर्षा कर चुकी है। साथ ही सभी क्रिकेटरों को समय-समय पर बीसीसीआई भी पैसा और सम्मान देती है।
विधायकों का विरोध : राज्य सरकार के इस फैसले पर विपक्षी विधायकों ने काफी हंगामा किया है। उनका कहना है कि धोनी को सम्मानित करने से राज्य का नाम रोशन होगा।