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ऑस्ट्रेलिया में खेल भावना की कमी:फ्लेचर

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इंग्लैंड के पूर्व कोच डंकन फ्लेचर ने कहा है कि पहला एशेज टेस्ट नहीं जीत पाने से कुंठाग्रस्त ऑस्ट्रेलियाई कप्तान रिकी पोंटिंग इंग्लिश टीम पर खेल भावना के अनुरूप नहीं खेलने का आरोप लगा रहे हैं जबकि सच्चाई इसके बिल्कुल उलट है।

इंग्लैंड कार्डिफ में खेले गए पहले एशेज टेस्ट को ड्रॉ कराने में सफल रहा लेकिन हाथ में आई जीत के फिसलने से बौखलाए पोंटिंग ने मेजबान टीम पर अपनी भड़ास निकालते हुए कहा कि उसने समय बर्बाद करने की रणनीति अपनाई और खेल भावना का परिचय नहीं दिया।

फ्लेचर ने 'द गार्डियन' में अपने कालम में लिखा कि जहाँ तक खेल भावना के अनुरूप खेलने का सवाल है उसमें ऑस्ट्रेलियाई टीम सबसे फिसड्डी रही है। अगर दुनिया की कोई एक टीम खेल भावना के अनुसार नहीं खेलती है तो वह पोंटिंग की टीम है। पोंटिंग को इस बात का गुस्सा है कि उनके गेंदबाज एक अदद विकेट नहीं ले सके और यही वजह है कि वह अपनी भड़ास इंग्लैंड की टीम पर निकाल रहे हैं।

जिम्बाब्वे के पूर्व कप्तान फ्लेचर इंग्लैंड की उस टीम के कोच थे जिसने 2005 में एशेज सिरीज पर कब्जा किया था। हालाँकि उन्होंने स्वीकार किया इंग्लैंड ने समय बर्बाद करने की रणनीति अपनाई थी और अगर वह कोच होते तो कतई ऐसा नहीं करते।

उन्होंने कहा कि मैं यह स्पष्ट कर देना चाहता हूँ कि इंग्लैंड ने जो कुछ किया मैं उसका समर्थन नहीं करता हूँ। बारहवें खिलाड़ी को एक बार मैदान में भेजना जायज थ। लेकिन उसे दूसरी बार ऐसा करना गलत था। अगर मैं कोच होता तो ऐसा नहीं होने देता।

फ्लेचर ने साथ ही कहा कि हो सकता है कि इंग्लैंड की इस रणनीति से एक ओवर का समय बर्बाद हुआ हो। अगर बल्लेबाज ओवरों के बीच में बातचीत करने में इतना समय लेते तो किसी को आपत्ति नहीं होती। इससे ऑस्ट्रेलियाई कप्तान को हम पर हमला करने का मौका मिल गया।

उनका आरोप है कि इंग्लिश टीम ने खेल भावना का प्रदर्शन नहीं किया। यह एक ऐसी धारणा है जो शायद पोंटिंग की समझ से परे है। उन्होंने पोंटिंग पर आरोप लगाते हुए कहा कि वह गलत फैसला देने के लिए अंपायरों पर दबाव डालते हैं। साथ ही उन्होंने कहा कि ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ी लंबे समय से मैदान पर प्रतिद्वंद्वी खिलाड़ियों के खिलाफ अभद्र भाषा का इस्तेमाल करते रहे हैं जो कंगारू टीम की खेल भावना का एक और उदाहरण है।

फ्लेचर ने पूछा कि क्या ऑस्ट्रेलियाई इस बात पर बहस कर सकते हैं कि इंग्लैंड की रणनीति पोंटिंग की अंपायरों पर दबाव बनाने वाली नीति से बदतर है। हमने ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ियों द्वारा मैदान पर की जाने वाली छींटाकशी का तो उल्लेख भी नहीं किया। पाल कोलिंगवुड के खिलाफ कैच की अपील को अंपायर आलिम डार द्वारा ठुकराने जाने पर पोंटिंग ने जिस तरह आपत्ति जताई वह ऑस्ट्रेलियाई टीम की खेल भावना का नमूना थी।

उन्होंने आगे लिखा कि वर्ष 2005 में हुई एशेज सिरीज में पोंटिंग और उनकी टीम ने अंपायरों के प्रति लगातार आक्रामक रवैया अपनाया था और उनकी यही रणनीति अब भी बदस्तूर जारी है। पोंटिंग को सावधान रहने की जरूरत है। कोई उनसे पूछे कि खेल भावना की उनकी परिभाषा क्या है। जिस तरह पोंटिंग खेलते हैं निश्चित रूप से वह खेल भावना के अनुरूप नहीं है।

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