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कपिल ने सिखाया दुनिया जीतना-श्रीकांत

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नई दिल्ली (भाषा) , रविवार, 22 जून 2008 (20:03 IST)
विश्वकप 1983 की विजयी टीम के सलामी बल्लेबाज कृष्णमाचारी श्रीकांत का मानना है कि यदि कपिलदेव का करिश्माई नेतृत्व और कभी हार न मानने वाला जज्बा नहीं होता तो टीम इंडिया शायद यह ऐतिहासिक जीत हासिल नहीं कर पाती।

श्रीकांत ने कहा कि कपिल ने टीम में जीत का जज्बा भरा और खिलाड़ियों को अंत तक हार नहीं मानना सिखाया। फाइनल में ब्रेक के दौरान उन्होंने कहा कि हमें आसानी से हार नहीं माननी है। हम उन्हें (वेस्टइंडीज) मुँहतोड़ जवाब देंगे। इससे टीम में नई जान आ गई और हमने वह कर दिखाया, जो किसी ने सोचा भी नहीं था।

विश्वकप विजेता टीम में श्रीकांत के साथी संदीप पाटिल ने भी इस आक्रामक बल्लेबाज के सुर में सुर मिलाते हुए कहा कपिल ने फाइनल में ब्रेक के समय कहा- चलो जवानो लड़ो तो हमें लगा कि हाँ, अब कुछ कर दिखाने का समय आ गया है और फिर जो हुआ वह इतिहास में दर्ज है।

इंग्लैंड में आयोजित 1983 विश्वकप में फाइनल में लार्ड्स में भारतीय टीम पहले बल्लेबाजी करते हुए मात्र 183 रन पर सिमट गई थी, लेकिन कपिल के रणबाँकुरों की धारदार गेंदबाजी के आगे वेस्टंडीज की दिग्गज टीम 140 रन पर ही ढेर हो गई और विश्वकप का ताज टीम इंडिया का सिर सजा।

इस दिग्गज सलामी बल्लेबाज ने कहा कि 1983 की टीम इंडिया सचमुच में एक 'टीम' थी और खिलाड़ी एक दूसरे के काफी करीबी थे और हमेशा एक दूसरे की खिंचाई किया करते थे। फाइनल में दोनों टीमों की ओर से सर्वाधिक 38 रन की पारी खेलने वाले श्रीकांत ने कहा हमारी टीम में काफी एकजुटता थी और सब एक दूसरे के काफी करीब थे, जिसने टीम की जीत में अहम भूमिका निभाई।

श्रीकांत के अनुसार भारतीय टीम 1983 में कभी प्रबल दावेदार नहीं थी और टीम के किसी भी सदस्य ने विश्व कप जीतने की कल्पना नहीं की थी। हम कभी विश्व कप जीतने के दावेदार नहीं थे। हमारे लिए तो विश्व कप छुट्टियों की तरह था क्योंकि जिम्बाब्वे को छोड़कर हमारी टीम बाकी सबसे कमजोर थी। अगर हम उपविजेता भी रहते तो शायद हमें कोई गम नहीं होता क्योंकि सबने फाइनल में वेस्टइंडीज के जीतने की उम्मीद थी।

हम इससे पहले विश्व कप में सिर्फ एक मैच पूर्वी अफ्रीका के खिलाफ जीते थे। हमने जो 40 एकदिवसीय मैच खेले उसमे से सिर्फ 12 में जीत मिली, जबकि 28 में हमें शिकस्त का सामना करना पड़ा।

श्रीकांत ने कहा कि जिम्बाब्वे के खिलाफ कपिल की नाबाद 175 रन की पारी टीम के अभियान में टर्निंग प्वाइंट साबित हुई लेकिन वेस्टइंडीज के खिलाफ मैनचेस्टर के ओल्ड ट्रैफर्ड में हुए टीम के पहले मुकाबले को नहीं भुलाया सकता।

वेस्टइंडीज के खिलाफ विश्व कप के पहले मैच ने सब कुछ बदलकर रख दिया। पहले ही मैच में दो बार की चैम्पियन को शिकस्त देने के बाद टीम को अपनी क्षमता का पता चला।

यह पूछने पर कि फाइनल में किस समय उन्हें लगा कि भारत चैम्पियन बन सकता है। उन्होंने कहा गार्डन ग्रीनिज के विकेट ने टीम में जोश भर दिया, लेकिन हमारा स्कोर इतना कम था कि एक अच्छी साझेदारी भी हमारी हार की नींव रख सकती थी।

उन्होंने कहा विवियन रिचर्ड्स के विकेट के बाद हमारी संभावना 30 प्रतिशत हो गई। क्लाइव लॉयड के विकेट के साथ 50 जबकि जेफरी डूजॉन के विकेट के साथ हमारी संभावना 75 प्रतिशत हो गई।

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