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कानूनी लड़ाई जारी रखेगा पीसीबी

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आगामी विश्वकप के मैचों के आयोजन में पाकिस्तान की हिस्सेदारी का मसला सुलझ नहीं पाने की स्थिति में पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड (पीसीबी) ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) के खिलाफ कानूनी लड़ाई जारी रखने की धमकी दी है।

पीसीबी के अध्यक्ष एजाज बट्ट ने वर्ष 2011 में होने वाले विश्व कप के सह मेजबान देशों के प्रतिनिधियों के साथ शनिवार को लंदन में एक बैठक की। बैठक का मकसद लाहौर में हुए आतंकवादी हमलों से उत्पन्न समस्या के हल, विश्व कप के दौरान सुरक्षा सुनिश्चित करने और इस मसले से निपटने की वजह से करार टूटने के लिए आईसीसी के खिलाफ कानूनी कार्यवाही करने पर विचार करना था।

बट्ट ने कहा कि हमारी बातचीत में कोई बड़ा नतीजा नहीं निकल सका और शनिवार की वार्ता भी असफल रही, इसलिए विश्व कप से जुडे सभी मुद्दे अनसुलझे रह गए और अब पीसीबी आईसीसी के खिलाफ दुबई और लाहौर में अमल में लाई गई कानूनी कार्यवाही को जारी रखेगा।

इससे पहले आईसीसी की एक घोषणा के मुताबिक आईसीसी अध्यक्ष डेविड मोर्गन, आईसीसी के उपाध्यक्ष शरद पवार और पीसीबी अध्यक्ष बट्ट के बीच शुक्रवार को हुई बैठक के दौरान विश्व कप में पाकिस्तान के हिस्से वाले मैचों से जुडे मसलों के समाधान के लिए संभावित उपायों पर सहमति हो गई थी।

लेकिन पीसीबी अध्यक्ष के इस बयान के बाद 24 घंटों के भीतर ही स्थिति पूरी तरह बदल गयी है। बट्ट ने कहा कि वह बातचीत विफल रहने से निराश हैं। पीसीबी ने पाकिस्तान के तत्वावधान में किसी तटस्थ देश में इन मैचों के आयोजन के लिए सह मेजबान देशों भारत, श्रीलंका और बांग्लादसे भी सहयोग माँगा था।

बट्ट ने कहा कि हमने सह-मेजबान देशों से भी इस मसले पर मदद की उम्मीद की थी लेकिन आईसीसी अध्यक्ष और उपाध्यक्ष की ओर से दलखअंदाजी के अलावा इस मामले में कोई प्रगति नहीं हुई। इससे मुझे काफी निराशा हुई है।

उन्होंने कहा इसका मतलब है कि विश्व कप के सह मेजबान देशों के बीच आपसी सद्भाव की भावना होने के बावजूद हमारे बीच असहमति और कानूनी विवाद हैं। मैं उम्मीद करता हूँ कि वे अपने फैसले पर पुनर्विचार करेंगे ताकि कानूनी विवादों को निपटाया जा सके और 2011 में विश्व कप का भव्य आयोजन किया जा सके।

गौरतलब है कि आईसीसी ने पाकिस्तान की सुरक्षा स्थितियों को ध्यान में रखकर अप्रैल माह में पाकिस्तान से विश्वकप की सह-मेजबानी वापस ले ली थी, लेकिन पाकिस्तान ने इसका कड़ा विरोध करते हुए तटस्थ मैदानों पर इन मैचों का आयोजन अधिकार वापस दिए जाने की माँग रखी है।

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