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कोटला में चल सकता है गेंदबाजों का जादू

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हमें फॉलो करें चैम्पियन्स लीग ट्वेंटी20 टूर्नामेंट फिरोज शाह कोटला भारत ऑस्ट्रेलिया इंडिया ऑस्ट्रेलिया क्रिकेट मैच
नई दिल्ली (भाषा) , गुरुवार, 29 अक्टूबर 2009 (12:15 IST)
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FILE
चैम्पियन्स लीग ट्वेंटी-20 टूर्नामेंट में बल्लेबाजों की कब्रगाह बनी फिरोज शाह कोटला की धीमी और नीची पिच भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच यहाँ 31 अक्टूबर को होने वाले तीसरे एकदिवसीय मैच में एक बार फिर गेंदबाजों के लिए वरदान साबित हो सकती है, हालाँकि शतकवीर धोनी के आग उगलते बल्ले पर अंकुश लगाने के लिए पोंटिंग की फौज को काफी मेहनत करनी होगी।

भारतीय कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने कल दूसरे वनडे में आक्रामक सैकड़ा जड़कर ऑस्ट्रेलिया के लिए खतरे की घंटी बजा दी है। उनका भरपूर साथ दिया सुरेश रैना और गौतम गंभीर ने जो इस प्रदर्शन को बरकरार रखने की जुगत में होंगे।

चैंपियन्स लीग में बल्लेबाजों को कोटला की नई पिच से सामंजस्य बिठाने में काफी परेशानी हुई तथा इस टूर्नामेंट में खेली गई 12 पारियों में केवल दो बार डेढ़ सौ रन से अधिक का स्कोर बना था।

हालाँकि अगर आंकड़ों के लिहाज से देखा जाए तो फिरोजशाह कोटला भारत के लिए भाग्यशाली रहा है और ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ भी यहाँ उसका रिकार्ड अच्छा है। भारत ने यहाँ खेले 12 मैचों में से सात में जीत दर्ज की है, जबकि पाँच में उसे शिकस्त का सामना करना पड़ा।

दूसरी तरफ ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ उसने यहाँ तीन मैच खेले जिसमें से उसने दो में जीत दर्ज की जबकि एक में उसे हार का मुँह देखना पड़ा। ऑस्ट्रेलिया को यहाँ चार मैचों में से दो में जीत जबकि इतने ही मैचों में शिकस्त सामना किया। मेहमान टीम ने यहाँ भारत के अलावा 11 अप्रैल 1998 को जिम्बाब्वे को भी हराया था।

भारतीय बल्लेबाजी का दारोमदार एक बार फिर मास्टर-ब्लास्टर सचिन तेंडुलकर के कंधे पर होगा जबकि टीम में वीरेंद्र सहवाग, गौतम गंभीर, विराट कोहली, आशीष नेहरा और ईशांत शर्मा के रूप में दिल्ली के पाँच खिलाड़ी मौजूद हैं, जो अपने घरेलू मैदान पर उम्मीदों पर खरा उतरना चाहेंगे। टीम को फॉर्म वापसी करने वाले कप्तान महेंद्र सिंह धोनी से भी काफी आस होगी।

श्रृंखला के पहले दो मैचों में विफल रहे तेंडुलकर ने यहाँ छह मैचों में एक शतक और एक अर्धशतक की मदद से 40.16 की औसत के साथ 241 रन बनाए हैं। सहवाग और गंभीर ने इस पिच पर खुद को अंतरराष्ट्रीय स्तर के अनुरूप ढाला, लेकिन उन्होंने यहाँ अंतरराष्ट्रीय टीमों के खिलाफ घरेलू दर्शकों को निराश ही किया है।

सहवाग ने यहाँ तीन मैचों में 23.33 की खराब औसत के साथ 70 रन बनाए हैं, जबकि गंभीर ने यहाँ इंग्लैंड के खिलाफ खेले एकमात्र मैच में 25 रनों की पारी खेली थी। सहवाग ने हाल में संपन्न चैम्पियन्स लीग के दौरान यहाँ जरूर 21 और 66 रनों की पारी खेली लेकिन, गंभीर तीन मैचों में चार, तीन और शून्य रन की पारियाँ खेलकर बुरी तरह विफल रहे। उन्होंने हालाँकि ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ वडोदरा में खेले गए पहले एकदिवसीय मैच में 68 रनों की और नागपुर में दूसरे एकदिवसीय मैच में 76 रनों की पारी खेलकर फॉर्म में लौटने का संकेत दिया है।

ईशांत और कोहली ने कोटला पर कोई अंतरराष्ट्रीय मैच नहीं खेला है और ये दोनों घरेलू दर्शकों के सामने अपने पहले मैच में ही खुद को साबित करना चाहेंगे, जबकि नेहरा ने यहाँ एकमात्र मैच में तीन विकेट चटकाए, लेकिन पाकिस्तानी बल्लेबाजों ने उनके दस ओवर में 72 रन पीट दिए थे।

सहवाग और गंभीर के अलावा ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ दूसरे मैच में 124 रनों की आतिशी पारी खेलने वाले कप्तान महेंद्र सिंह धोनी और युवराज सिंह की आक्रामक बल्लेबाजी के नजारे से दिल्ली के दर्शक अब तक महरूम ही रहे हैं। धोनी ने यहाँ खेले दो मैचों में 44 जबकि युवराज ने इतने ही मैचों में केवल 14 रन बनाए हैं। वड़ोदरा में पहले मैच में 49 रनों की पारी खेलकर भारत को जीत के करीब पहुँचाने वाले हरभजन सिंह ने हालाँकि यहाँ रनों की संख्या के मामले में कप्तान धोनी और युवराज को पीछे छोड़ दिया है। उन्होंने यहाँ दो मैचों में 57 रन बनाए हैं। इस ऑफ स्पिनर ने इसके अलावा 14 की बेहतरीन औसत के साथ यहाँ पाँच विकेट भी चटकाए।

भारत को हालाँकि यहाँ ऑस्ट्रेलियाई कप्तान रिकी पोंटिंग से सावधान रहना होगा, जिन्होंने कोटला की पिच काफी रास आती है और उन्होंने यहाँ खेले दो मैचों में एक शतक की मदद से 93 की बेहतरीन औसत के साथ 186 रन बनाए हैं, जिसमें जिम्बाब्वे के खिलाफ 145 रनों की पारी भी शामिल है।

ऑस्ट्रेलिया के अधिकांश खिलाड़ी हालाँकि कोटला की पिच से अंजान हैं, जिसमें अनुभवी ब्रेट ली और माइक हसी के अलावा शेन वाटसन, मिशेल जॉनसन और पीटर सिडल जैसे अहम खिलाड़ी शामिल हैं।

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