ऑस्ट्रेलिया के पूर्व कप्तान एडम गिलक्रिस्ट ने स्पिन जादूगर मुथैया मुरलीधन को 'चकर' करार देकर मधुमक्खियों के छत्ते में हाथ डाल दिया है और साथ ही उन्होंने श्रीलंकाई अधिकारियों पर 90 के दशक में विश्व किकेट को श्वेत और अश्वेत दो भागों में बाँटने का आरोप लगाया।
गिलक्रिस्ट ने अपनी आत्मकथा ट्रू कलर्स में लिखा कि मुरलीधरन ने गेंद 'चक' की थी और आरोप लगाया कि अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद ने श्रीलंकाई अधिकारियों के दबाव में उसका बचाव किया। श्रीलंका ने उसके गेंदबाजी एक्शन के सवाल को नस्ली आक्रमण बताकर आईसीसी पर दबाव बनाया था।
गिलक्रिस्ट ने उनसे पूछे गए एक सवाल के जबाव का हवाला देते हुए अपनी आत्मकथा में बताया कि मुझसे पूछा गया क्या मुरली गेंद को चक करते हैं, मैंने कुछ क्षण के लिए सोच-विचार किया और फिर सतर्कता से कहा कि मुझे लगता है कि वह करता है।
उन्होंने लिखा मैंने ऐसा कहा क्योंकि अगर आप क्रिकेट के नियमों को पढ़ो तो मेरे दिमाग में कोई शक नहीं कि वह और अन्य गेंदबाज भी पूरे क्रिकेट इतिहास में ऐसा करते आए हैं।
ऑस्ट्रेलिया के इस पूर्व विकेटकीपर बल्लेबाज ने कहा कि आईसीसी ने मुरली की गलती को ठीक करने के बजाय उसे ऐसा करने देने के लिए नियमों में बदलाव किया जबकि 90 के दशक के मध्य में जब वह पहली बार पकड़ा गया था तभी उसके एक्शन को ठीक किया जा सकता था।
गिलक्रिस्ट ने कहा कि मैं यह साफ करने का मौका लूँगा कि मैंने मुरली और उसके एक्शन के बारे में विचार किया। मैंने जो कुछ कहा मैं उससे पीछे नहीं हटूँगा लेकिन मुझे नहीं लगता कि उसे व्यक्तिगत रूप से दोषी ठहराया जा सकता। वह उसी तरह से गेंदबाजी करता था जिस तरह से वह करता आया है। इससे ज्यादा करना उसके बस में नहीं था।
गिलक्रिस्ट ने यह भी कहा कि वह सुनिश्चित नहीं हैं कि अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में कितनों ने मुरली को बचाने के लिए अपनाई गई प्रस्तावित ऑप्टिकल इल्यूशन थ्योरी को स्वीकार किया हो।
उन्होंने कहा कि मेरे दिमाग में कोई शक नहीं है कि जब उसने 90 के दशक के मध्य में टेस्ट क्रिकेट खेलना शुरू किया था तो उसकी बाजू आईसीसी द्वारा निर्धारित नियमों से ज्यादा सीधी होती थी। मैंने भी ऑप्टिकल इल्यूशन थ्योरी के बारे में सुना था, लेकिन मैं इनसे सहमत नहीं हूँ। इनका निपटारा 1995-96 में ही किया जाना चाहिए था जब डेरेल हेयर और रास एमर्सन ने उन्हें ऑस्ट्रेलिया में नो बाल करार किया था।