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गाय के सीगों ने बनाया सटीक गेंदबाज

मखाया एंतिनी की रोचक दास्तान

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जोहानसबर्ग (भाषा) , शुक्रवार, 14 दिसंबर 2007 (18:33 IST)
कभी गाय बछड़ों को चराने वाला चरवाहा और अब दक्षिण अफ्रीकी आक्रमण का अगुआ मखाया एंतिनी ने विकेटों के बीच अपनी सटीकता का श्रेय बचपन में गायों के सीगों पर निशाने साधने में अपनी निपुणता को देते हैं।

एंतिनी ने कहा कि बचपन में गायों को चराते समय हम गाय के सीगों पर निशाना लगाने का खेल खेला करते थे। जो लड़का गाय के सींग पर निशाना मार देता था, उसे अंक मिलते थे और इसमें मैं कभी नहीं चूका।

अब 30 वर्षीय एंतिनी दुनिया में नंबर दो गेंदबाज हैं और पहले कभी क्रिकेट में दिलचस्पी न दिखाने वाली दक्षिण अफ्रीका की अश्वेत जनसंख्या के लिए 'आदर्श नायक' हैं।

एंतिनी ने एक साक्षात्कार में कहा कि उन्होंने देखा कि कई अश्वेत खिलाड़ी उनके पदचिन्हों पर चल रहे हैं। उन्होंने अपने करियर के उतार-चढ़ावों पर बात की। वह संन्यास लेने से पहले अपने देश की तरफ से सर्वाधिक विकेट लेने वाले गेंदबाज बनना चाहते हैं।

एंतिनी के मुताबिक मेरा मानना है कि यदि आज बारिश हो रही है तो कल सूरज निकलेगा और फिर से चमकेगा। यही मेरे जीवन का मूलमंत्र है, जिसके सहारे मैं आगे बढ़ा।

एंतिनी की क्रिकेट में आने की कहानी भी बड़ी रोचक है। वह जब 15 साल के थे तब एक दिन अपने साथी चरवाहों के साथ उन्होंने ईस्टर्न केप प्रोविन्स के ग्रामीण इलाके में अपने घर के करीब मैदान के बाहर ढेर सारी कारें देखी और यहीं से उनका क्रिकेट से जुड़ने का रास्ता खुला। एंतिनी ने कहा कि यह ईश्वर का ही वरदान है जो मैं क्रिकेटर बना नही तो क्रिकेटर बनने की मेरी कोई संभावना ही नहीं थी।

उन्होंने डेढ़ दशक पुरानी घटना को याद करते हुए कहा कि मैं गाय बछड़ों और घोड़ों को चराने वाले लड़कों के साथ था और हमने ढेर सारी कारें देखी। हम यह देखने पहुँच गए कि वहाँ क्या हो रहा है। हमें गेंद फेंकने के लिए दी गऔर मैंने वहाँ मौजूद लड़कों से तेज और बेहतर गेंद फेंकी जिससे मेरा चयन हो गया।

इसके तुरंत बाद युवा मखाया को क्रिकेट के स्कूल डेल कालेज में भर्ती कर दिया गया और 1995 में उन्होंने एलन बॉर्डर की प्रांतीय टीम से खेलना शुरू करके जल्द ही राष्ट्रीय चयनकर्ताओं का ध्यान खींचना शुरू कर दिया।

वह दिसंबर 1997 में ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड दौरे के लिए टीम में चयन से चूक गए, लेकिन एक खिलाड़ी के घायल होने के कारण उन्हें टीम में बुला लिया गया। उन्होंने जनवरी 1998 में पर्थ में न्यूजीलैंड के खिलाफ अपना पहला एकदिवसीय मैच खेला।

एंतिनी ने कहा मुझे याद है कि मेरा पहला विकेट न्यूजीलैंड के पूर्व कप्तान स्टीफन फ्लेमिंग था। तब मैं कैसा महसूस कर रहा था, उसे मैं शब्दों में बयाँ नहीं कर सकता।

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