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गूँजता रहा बंदर और थप्पड़ का मामला

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नई दिल्ली (भाषा) , गुरुवार, 25 दिसंबर 2008 (22:51 IST)
सात साल पहले 2001 में माइक डेनेस और दो साल पूर्व 2006 में डेरेल हेयर विवाद के बाद इस सदी में यह वर्ष यानी 2008 तीसरा ऐसा साल रहा जब दो टीमों के बीच विवाद के कारण अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट दो धड़ों में बँटने की स्थिति में पहुँचते-पहुँचते बचा।

यदि वर्ष 2008 में क्रिकेट में विवादों का जिक्र करें तो यह कहानी काफी हद तक दो खिलाड़ियों ऑस्ट्रेलिया के एंड्रयू साइमंड्स और भारत के हरभजनसिंह के इर्द-गिर्द ही घूमेगी, जिसके कारण भद्रजनों के खेल में चौकों-छक्कों के अलावा बंदर और थप्पड़ जैसे शब्दों को भी जगह मिली।

असल में क्रिकेट में इस वर्ष की शुरुआत ही विवाद से हुई और यह ऐसा विवाद था, जिसने पूरे क्रिकेट जगत को बुरी तरह से हिला दिया। भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच सिडनी में दो जनवरी से शुरू हुआ टेस्ट मैच वेस्टइंडीज के अंपायर स्टीव बकनर की खराब अंपायरिंग के कारण ही नहीं, बल्कि खिलाड़ियों के व्यवहार के कारण क्रिकेट में काला अध्याय जोड़ गया।

बकनर की अंपायरिंग के कारण भारत यह मैच हार गया और बीसीसीआई के दबाव में आईसीसी ने उन्हें पर्थ में तीसरे टेस्ट मैच से बाहर कर दिया। लेकिन हरभजन का साइमंड्स को कथित तौर पर बंदर कहने का मसला इससे बड़ा बन गया।

भारतीय ऑफ स्पिनर को छह जनवरी को जब नस्ली टिप्पणी करने का दोषी बताकर मैच रेफरी माइक प्राक्टर ने उन पर तीन टेस्ट मैच का प्रतिबंध लगाया तो वह सिडनी क्रिकेट ग्राउंड से उठे बवंडर के भीषण तूफान में तब्दील होने की शुरुआत थी।

अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में 70 प्रतिशत राजस्व देने वाले भारत को अपने खिलाड़ी पर नस्ली टिप्पणी का आरोप पचा नहीं। बीसीसीआई ने भारतीय टीम और प्रत्येक भारतीय के सम्मान की बात कही और अपने खिलाड़ियों को सिडनी में रहने और अभ्यास मैच के लिए कैनबरा न जाने की हिदायत देकर दौरे पर सवालिया निशान लगा दिया। दौरा अधर में लटक गया।

जिस तरह से मैच रेफरी डेनेस में 2001 में कई भारतीय क्रिकेटरों पर प्रतिबंध लगाकर और 2006 में अंपायर हेयर ने ओवल टेस्ट में पाकिस्तान पर जुर्माना करके क्रिकेट को हिला दिया था, उसका का नया रूप देखने को मिल रहा था। बकनर को बदला गया और हरभजन को खेलने की अनुमति मिली, जिससे श्रृंखला के बाकी दो टेस्ट मैच हो गए, लेकिन त्रिकोणीय श्रृंखला पर तलवार लटकी रही।

बीसीसीआई ने हरभजन के खिलाफ प्रतिबंध के खिलाफ अपील की और फिर अदालतों में गवाही दी गई। आखिर में आईसीसी के आयुक्त ने हरभजन को अपशब्द कहने का दोषी पाया और उन्हें मैच फीस का 50 प्रतिशत जुर्माना करके छोड़ दिया।

यह विवाद आगे भी खूब चर्चा में रहा। साइमंड्स को जब बांग्लादेश के खिलाफ वन डे श्रृंखला के दौरान मछली पकड़ने में व्यस्त रहने के कारण टीम से बाहर किया गया तो फिर बात चली कि वह पुराने विवाद से नहीं उबरे हैं।

साइमंड्स को इसके बाद भारत दौरे के लिए भी नहीं चुना गया, लेकिन जब उन्होंने फिर टीम में वापसी की तो वह पब में एक प्रशंसक से भिड़कर चर्चा में आ गए। बाद में एडम गिलक्रिस्ट ने अपनी आत्मकथा ट्रू कलर्स माइ लाइफ में इसका जिक्र करके इसे और हवा दी।

हरभजन का भी विवादों से साथ सिडनी में नहीं छूटा। उन्होंने इंडियन प्रीमियर लीग के एक मैच के दौरान भारतीय टीम के अपने साथी एस श्रीसंत पर थप्पड़ जड़ दिया। यह थप्पड़ हालाँकि उन्हें तीन करोड़ रुए का पड़ा क्योंकि आईपीएल ने इस ऑफ स्पिनर को बाकी मैचों से बाहर कर दिया।

आईपीएल के दौरान ही विवादों से घिरे रहने वाले शेन वार्न और सौरव गांगुली एक मैच के दौरान आपस में भिड़ गए जबकि पाकिस्तान के मोहम्मद आसिफ को इसी लीग में प्रतिबंधित दवा सेवन के कारण पीसीबी ने प्रतिबंधित कर दिया। पाकिस्तान के ही एक अन्य तेज गेंदबाज शोएब अख्तर पर पहले 18 महीने का प्रतिबंध और फिर 70 लाख रुपए का जुर्माना भी खूब चर्चा का विषय बना।

वैसे पाकिस्तान सुरक्षा के कारण अधिक परेशान रहा, जिससे वह पिछले एक साल से कोई टेस्ट मैच नहीं खेल पाया। बीसीसीआई की आईसीएल को लेकर हठी रवैया पंजाब क्रिकेट संघ का स्टेडियम की गैलरी से कपिल देव का पोस्टर हटाना आदि मैदान के बाहर के विवाद बने रहे।

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