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जब रेलवे ने ठुकराया धोनी को

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हमें फॉलो करें महेंद्रसिंह धोनी रेलवे
नई दिल्ली (भाषा) , मंगलवार, 25 मार्च 2008 (18:53 IST)
रेलवे के अधिकारियों को आज भी वह गलती सालती होगी जब उन्होंने वर्तमान समय में भारतीय क्रिकेट के चमकते सितारे और एकदिवसीय टीम के कप्तान महेंद्रसिंह धोनी का केवल तीन गेंद में आकलन करके उन्हें अपनी टीम के काबिल नहीं समझा नहीं था।

धोनी ने इसका खुलासा करते हुए कहा कि इस घटना का उन पर गहरा असर पड़ा और इससे वह कुछ कर दिखाने के लिए प्रतिबद्ध हुए। धोनी ने 'क्रिकइन्फो' को दिए साक्षात्कार में कहा कि मुझे साल का पता नहीं है लेकिन तब करनैलसिंह स्टेडियम (दिल्ली में रेलवे का मैदान) पर ट्रॉयल था। मैंने कुछ गेंद खेली और विकेटकीपिंग की लेकिन मुझे काबिल नहीं समझा गया।

उन्होंने कहा कि इससे मैं हतोत्साहित नहीं हुआ। बाद में जब मेरा दलीप ट्रॉफी के लिए चयन हुआ तो रेलवे ने मुझसे खेलने के लिए कहा लेकिन मैंने कहा कि नहीं मैं नहीं आ रहा हूँ। हो सकता है कि मैं अशिष्ट था लेकिन इसका मुझ पर गहरा असर पड़ा।

इस विकेटकीपर बल्लेबाज ने कहा कि इस घटना ने वास्तव में मुझे बेहतर प्रदर्शन करने के लिए प्रेरित किया। ट्रॉयल में मुझे नकार दिया गया था। मैं उस स्तर पर पहुँचने के लिए अधिक प्रतिबद्ध हुआ, जहाँ पर आपके प्रदर्शन को सभी आँकते हैं।

धोनी भारतीय क्रिकेट के उन चंद सितारों में शामिल हैं, जो छोटे शहरों से बड़े स्तर तक पहुँचे और झारखंड के इस क्रिकेटर ने भी कहा कि रणजी ट्रॉफी टीम में जगह बनाना उनके लिए बड़ी बात थी।

धोनी ने कहा कि सौभाग्य से हमारे चयनकर्ता ऐसे थे जो युवाओं पर विश्वास करते थे। हमने उस साल अंडर- 19 के लिए क्वालीफाई किया और फाइनल तक पहुँचे और इसके बाद अचानक ही काफी बदलाव आए और पाँच युवा खिलाड़ियों को बिहार रणजी टीम में चुन लिया गया। यह मेरी शुरुआत थी।

धोनी ने स्वीकार किया कि छोटे शहरों के लड़कों के लिए बड़े स्तर पर आना बहुत मुश्किल होता है क्योंकि उन्हें तमाम बाधाओं से पार पाना पड़ता है जिसमें आधारभूत ढाँचा भी शामिल है और इससे उनके खेलने की शैली भी प्रभावित होती है।

उन्होंने कहा कि यदि आप छोटे शहर के हैं जहाँ क्रिकेट का आधारभूत ढाँचा सही नहीं है तो आपको बहुत संघर्ष करना पड़ता है। आपको अभ्यास की सुविधा नहीं मिलती और टर्फ विकेट पर अधिक मैच नहीं खेलते और अपनी टीम में चयन पर भी आपको संघर्ष करना पड़ता है।

धोनी ने कहा कि इसका एक खिलाड़ी की खेल शैली और क्रिकेट के बारे में उसकी सोच पर प्रभाव पड़ता है। एक बात को लेकर उसकी सोच साफ होती है कि वह अच्छा प्रदर्शन करने पर ही टीम में बना रह सकता है।

राँची में पले-बढ़े धोनी को लगता है कि विकेटकीपर होने से उन्हें क्षेत्रीय टीम में जगह बनाने में मदद मिली। उन्होंने कहा कि ऐसे में आपको केवल विकेटकीपरों से प्रतिस्पर्धा करनी पड़ती है और इस तरह अपने क्षेत्र में आपकी केवल चार अन्य खिलाड़ियों से प्रतिस्पर्धा रहती है।

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