टीम इंडिया के जाँबाज रणबांकुरे माने जाने वाले मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंडुलकर और हरभजनसिंह ने मानेसर स्थित राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (एनएसजी) के मुख्यालय में एक समूचा दिन बिताते हुए असली दुनिया में हौसला दिखाने वालों के साथ प्रशिक्षण में हिस्सा भी लिया।
दोनों क्रिकेटर आतंकवादी हमलों तथा किसी आपदा या विपरीत परिस्थितियों में त्वरित कार्रवाई करने वाले कमांडो के कौशल से रूबरू हुए। इन्होंने कमांडो के प्रशिक्षण की विभिन्न गतिविधियों जैसे ऊँचाई से कूदना, ऊँची चढ़ाई करना और लंबी दूरी तक दौड़ने में हाथ आजमाया।
कमांडो की काली पोशाक में सजे-धजे सचिन और हरभजन ने आतंकवादी विरोधी पाठ्यक्रम के बारे में भी जानकारी हासिल की, जिसमें कमांडो को आग, धुएँ और गोलियों की बौछार के बीच मुकाबला करना होता है।
इस दौरान एक ऐसा वक्त भी आया, जब 26 नवंबर में मुंबई में हुए हमलों के दौरान आतंकवादियों के छक्के छुड़ाने वाले कमांडो सैनिकों से मिलकर सचिन और हरभजन की आँखें नम हो गईं।
जब सचिन से यह पूछा गया कि आपका असली हीरो कौन है तो उन्होंने कहा इसमें कोई शक नहीं कि मेरे असली हीरो आप लोग हैं। हम सिर्फ क्रिकेट खेलते हैं, लेकिन आप अपनी जिंदगी से खेलते हैं। इसकी वजह से हम सुरक्षित हैं। मैं आपको और आपके परिवार वालों को सलाम करता हूँ, क्योंकि आपकी कुर्बानी में उनका भी योगदान है।
सचिन और हरभजन को मुंबई हमले में शहीद एनएसजी कमांडो हवलदार गजेन्द्रसिंह की पत्नी और बच्चों तथा मेजर संदीप उन्नीकृष्णन के माता-पिता से भी मिलने का मौका मिला। इस दौरान सचिन ने संदीप के पिता को सांत्वना देते हुए कहा आप बहादुर हैं और आपका बलिदान सर्वोपरि है।
सैनिकों ने इस दौरान क्रिकेटरों पर सवालों की झड़ी लगा दी। जैसे किसी ने हरभजन से पूछा कि आप शादी कब रहे हैं, किसी ने पूछा कि सचिन अपने बेटे को क्या बनाना चाहते हैं तो सचिन ने कहा मैंने अपने बेटे पर ही छोड़ दिया है कि वह आगे चलकर क्या बनना चाहता है, चाहे वह क्रिकेटर बनना चाहे या फिर कमांडो। कमांडो यह जानने को इच्छुक थे कि सचिन मुंबई ऑपरेशन और कमांडो की कार्रवाई के बारे में क्या सोचते हैं।
कमांडो सैनिकों ने इस मौके को भुनाते हुए अपने पसंदीदा क्रिकेटरों के साथ ठुमके भी लगाए। दिन के आखिर में सचिन एकादश और भज्जी एकादश की टीम के बीच चार-चार ओवरों का एक क्रिकेट मैच भी खेला गया, जिसमें सचिन एकादश की जीत हुई।