जश्न में शामिल नहीं हुए धोनी के माता-पिता
उत्तराचंल समाज के भीतर ही जाकर मिठाई बाँटेंगे
राँची से अनिल जुनेजा
मंगलवार को जब पूरा देश और दुनिया के कोने-कोने में बसे भारतीय ब्रिस्बेन में विश्व विजेता को हराने वाली 'टीम इंडिया' की जीत का जश्न मना रहे थे, वहीं दूसरी तरफ राँची के 'श्यामली' स्थित आवास पर कप्तान महेन्द्रसिंह धोनी के माता-पिता अपने आपको घर में ही कैद किए रहे। उन्होंने घर के बाहर जमा सैकड़ों क्रिकेटप्रेमियों की शुभकामनाएँ भी स्वीकार नहीं कीं और पूरा समय टीवी के सामने मैच देखते हुए बिताया।
दरअसल धोनी के माता-पिता को मीडिया से सख्त परहेज है। वे यहाँ के स्थानीय लोगों से भी बेहद खफा हैं। वजह यह है जब हाउसिंग बोर्ड ने हरमू में धोनी को आवास उपलब्ध कराया था, तब कुछ शरारती तत्वों ने उनका निर्माणाधीन मकान ध्वस्त कर दिया था। कारण यह था कि तब धोनी विश्वकप क्रिकेट टूर्नामेंट में अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाए थे। घर तोड़े जाने की टीस आज भी धोनी के माता-पिता के मन में कायम है। यहाँ तक कि जब धोनी की कप्तानी में भारत ने ट्वेंटी-20 विश्व कप जीता था, तब भी उन्होंने राँची में आयोजित 'जीत के जश्न' से अपनी दूरियाँ बनाए रखीं थीं।
सुदूर ब्रिस्बेन में जैसे ही ऑस्ट्रेलिया का अंतिम विकेट आउट हुआ, वैसे ही धोनी के आवास के आसपास रहने वाले बच्चे-युवा बैट व बल्ले के साथ भारतीय कप्तान के घर के सामने पहुँच गए लेकिन उनकी शुभकामनाएँ स्वीकार करने वाला कोई नहीं था। कुछ देर बाद धोनी के बड़े भाई नरेन्द्रसिंह अपनी बुलेट मोटरसाइकिल से घर पहुँचे और सीधे कमरे में चले गए।
कुछ दिन पूर्व जब उनसे बातचीत हुई थी तो उन्होंने कहा था कि माही (धोनी के घर का नाम) जब अच्छा खेलता है तो राँची के लोग उसे पलकों पर बैठा लेते हैं और राँची का लाल कहने लगते हैं लेकिन जब टीम हारती है तो गुस्सा हमारे परिवार पर टूटता है। जब हमारा निर्माणाधीन मकान तोड़ा गया तो वहाँ ईंटें नहीं टूटीं, हमारे दिल के कई टुकटे हुए।
इस टूटे हुए दिल को आज तक हम जोड़ नहीं पाए हैं। हमने तभी फैसला ले लिया था कि अब हम किसी जश्न में शामिल नहीं होंगे। धोने के पिता पानसिंह ने कहा था कि हमने ट्वेंटी-20 विश्व कप की जीत का जश्न शहरवासियों के साथ नहीं मनाया, बल्कि हम यहाँ बसे उत्तरांचल के लोगों के बीच गए। वहाँ हमने खुशियाँ बाँटी। अब जब भी धोनी का अच्छा करेगा, तब हम अपने समाज के लोगों के बीच ही जाकर मिठाइयाँ बाँटेंगे।
बहरहाल, धोनी का परिवार भले ही राँची से खफा हो लेकिन यहाँ के लोग अब भी उन्हें बहुत चाहते हैं। यही कारण है कि राँची में मंगलवार की शाम से शुरू हुआ 'विजयी उत्सव' देर रात तक जारी रहा। जैसे ही ब्रिस्बेन में भारत ने 23 साल बाद ऑस्ट्रेलिया को हराकर त्रिकोणीय सिरीज जीती, वैसे ही विजयी जुलूस लेक रोड से शुरू होकर अपर बाजार होते हुए शहर के दिल कहे जाने वाले अल्बर्ट चौक एक्का (ठीक इंदौर के राजवाड़े की तरह) पहुँचा। यहाँ पर 'चावला बैंड' की धुन पर सैकड़ों युवा तिरंगे के साथ नाचते-गाते रहे। इस मौके पर बीजेपी नेता कँवलजीतसिंह उर्फ संटी के नेतृत्व में बड़ी संख्या में लोगों ने भांगड़ा करते हुए जश्न मनाया।
चौक के आसपास दुकानदारों ने होली के पहले ही 'जीत की होली' मना ली। सड़क गुलाल से पट गई और व्यापारियों ने जमकर होली खेली। बुधवार की सुबह यहाँ से प्रकाशित होने वाले समाचार-पत्रों के मुखपृष्ठ भी भारतीय जीत और धोनी के धमाके से पटे पड़े हैं। 'हिन्दुस्तान' की हेडलाइनें थीं -'क्रिकेट के एवेस्ट पर इंडिया', 'धोनी की सेना ने ऑस्ट्रेलिया को उसके घर में घुसकर धूल चटाई', 'माही पर राँची निहाल'।