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टेस्ट क्रिकेट ही सर्वश्रेष्ठ

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नई दिल्ली (वार्ता) , मंगलवार, 14 जुलाई 2009 (17:04 IST)
ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड के बीच ड्रॉ समाप्त हुए पहले एशेज टेस्ट में आखिरी गेंद तक रोमांच बरकरार रहने से यह साबित हो गया है कि टेस्ट क्रिकेट ही सर्वश्रेष्ठ है और ट्वेंटी-20 से इसके लिए खतरा उत्पन्न होने को लेकर जो आशंकाएँ उठाई जा रही हैं वे सब इस टेस्ट के रोमांच के बाद खारिज हो गई हैं।

टेस्ट क्रिकेट को ट्वेंटी-20 के दो विश्वकप और इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) के दो टूर्नामेंटों की जबरदस्त कामयाबी के बाद खतरे में माना जा रहा है और यह बात भी उठाई जा रही है कि टेस्ट मैच को भी ट्वेंटी-20 के अंदाज में ही दो-दो पारियों का कर दिया जाए। लेकिन एशेज सिरीज के पहले टेस्ट में दो परंपरागत प्रतिद्वंद्वियों ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड ने जिस रोमांचक क्रिकेट का प्रदर्शन किया उसने यह साबित कर दिया है कि असली क्रिकेट सिर्फ टेस्ट है और इस खेल की खूबसूरती टेस्ट के अंदर ही है।

महान सलामी बल्लेबाज सुनील गावस्कर ने एक दिन पहले जब यह बात कही कि क्रिकेट की खूबसूरती अब कहीं खो गई है तो उनका सीधा इशारा टेस्ट क्रिकेट की तरफ था। इस खेल की जिस खूबसूरती की वह बात कर रहे थे वह एशेज के पहले टेस्ट में पूरी तरह दिखाई दी। गेंद और बल्ले का जो रोमांचक संघर्ष इस मैच में देखने को मिला वह कभी ट्वेंटी-20 या वनडे में दिखाई नहीं दे सकता।

ऑस्ट्रेलिया को यह टेस्ट जीतने के लिए एक अदद विकेट की तलाश थी और इंग्लैंड को मैच बचाने के लिए लगभग 12 ओवर निकालने थे। जेम्स एंडरसन और मोंटी पनेसर की आखिरी जोड़ी मैदान में थी। ऑस्ट्रेलियाई कप्तान रिकी पोंटिंग ने इस जोड़ी को तोड़ने के लिए अपने तरकश के हर तीर का इस्तेमाल किया लेकिन उन्हें कामयाबी हाथ नहीं लगी।

कार्डिफ के मैदान में आखिरी गेंद फेंके जाने तक कोई दर्शक अपनी जगह से नहीं हिला था। मैच ड्रॉ समाप्त होने पर जब एंडरसन और पनेसर पवेलियन की तरफ लौट रहे थे तो खचाखच भरे स्टेडियम में दर्शकों ने खड़े होकर तालियाँ बजाते हुए उनका इस तरह स्वागत किया मानो उन्होंने टेस्ट ही जीत लिया हो।

इतना रोमांच ट्वेंटी-20 या वनडे में देखने को नहीं मिल सकता। बल्लेबाज के चारो तरफ फील्डर खडे थ। हर गेंद पर खिलाड़ियों और दर्शकों की साँसे थमी हुई थी। एंडरसन और पनेसर में से कोई भी आउट होता तो जीत ऑस्ट्रेलिया के हाथ लग जाती। लेकिन क्रिकेट की अनिश्चितता के क्या कहने। दोनों ही बल्लेबाज ऐसे खेल रहे थे मानो कि वे सलामी विशेषज्ञ बल्लेबाज हों। सीधे बल्ले से दोनों ने स्पिन और तेज गेंदबाजों को बखूबी खेला।

अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) टेस्ट मैचों में दर्शकों की संख्या में गिरावट और ट्वेंटी-20 की बढ़ती लोकप्रियता से खासी चिंतित थी। लेकिन इस मैच के बाद उसे जरूर राहत मिली होगी और साथ ही उसे विश्वास हो गया होगा कि इस तरह के मैच टेस्ट क्रिकेट को जिंदा रख सकते हैं।

एशेज ही क्यों पाकिस्तान और श्रीलंका के बीच पहला टेस्ट भी नाटकीय उतार चढ़ाव से भरपूर रहा था। एक समय तक हर कोई पाकिस्तान को जीत का दावेदार मान रहा था लेकिन मैच के चौथे दिन की सुबह अचानक खेल ने ऐसा पलटा खाया कि श्रीलंका ने 50 रन से यह मैच जीतकर सबको हतप्रभ कर दिया। क्रिकेट की ऐसी अनिश्चितता के बारे में केवल टेस्ट क्रिकेट में ही देखा और सुना जा सकता है। ट्वेंटी-20 में फैसला तीन घंटे में होता है इसलिए ऐसा रोमांच उसमें देखने को नहीं मिल सकता।

कई मौजूदा और पूर्व खिलाडी भी यह मानते हैं कि टेस्ट क्रिकेट ही असली क्रिकेट है। टेस्ट और वनडे के विश्व रिकॉर्डधारी सचिन तेंदुलकर ने कहा है कि क्रिकेटर की अग्निपरीक्षा केवल टेस्ट में ही होती है। जहाँ उसे पाँच दिन तक खेलने का जज्बा दिखाना होता है। बल्लेबाज को जहाँ लंबी पारी खेलनी होती है वहीं गेंदबाज को लंबे स्पेल डालने होते हैं।

मौजूदा ऑस्ट्रेलियाई कप्तान पोंटिंग ने टेस्ट क्रिकेट पर अपना ध्यान केन्द्रित करने के लिए आईपीएल के दूसरे संस्करण में खेलने का मोह ही त्याग दिया था। जहाँ दुनियाभर के खिलाड़ी आईपीएल में खेलने को बेताब थे वहीं पोंटिंग का यह फैसला साबित करता है कि वह टेस्ट क्रिकेट को कितना महत्व देते हैं।

पूर्व ऑस्ट्रेलियाई कप्तान इयान चैपल ने भी टेस्ट को ज्यादा अहमियत देने की बात कही थी। उन्होंने कहा कि टेस्ट में बल्लेबाजों की असली परीक्षा होती है जबकि ट्वेंटी-20 क्रिकेट तुरंत फुरत क्रिकेट है जिसमें न तकनीक की जरूरत होती है और ना ही कौशल की। टेस्ट क्रिकेट लंबी रेस का घोड़ा है।

वहीं पूर्व भारतीय कप्तान अनिल कुंबले ने भी टेस्ट क्रिकेट को सबसे बेहतरीन संस्करण बताया था। उन्होंने कहा कि ट्वेंटी-20 क्रिकेट भले ही मनोरंजक हो सकता है, लेकिन असली मजा तो टेस्ट क्रिकेट में ही है।

एक समय वनडे को टेस्ट क्रिकेट के लिए खतरा माना गया था लेकिन टेस्ट मैचों ने वह तूफान भी बखूबी झेल लिया था। अब ट्वेंटी-20 को जब टेस्ट और वनडे दोनों के लिए खतरा माना जा रहा है तो विशेषज्ञों का कहना है कि टेस्ट मैच अपने परंपरागत स्वरूप के साथ बने रहेगी। लेकिन पचास ओवर के मैचों को बीस ओवर के मैचों से ही ज्यादा खतरा हो सकता है। टेस्ट का असली मजा सिर्फ पाँच दिन के मैचों में है उसे यदि ट्वेंटी-20 के स्वरूप में बदलकर दो दो पारियाँ खेलने का कोई विचार हो तो यह टेस्ट के स्वरूप के साथ एक भयानक खिलवाड़ होगा।

लेकिन इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया के बीच खेले गए पहले टेस्ट और पाकिस्तान और श्रीलंका के बीच खेले गए पहले टेस्ट में जो रोमांच देखने को मिला, उससे इतना तो जरूर साबित हुआ कि टेस्ट क्रिकेट ही असली क्रिकेट है।

इसके अलावा क्रिकेट इस लंबे संस्करण में छेड़छाड़ पर भी अब विराम लगना चाहिए क्योंकि किसी फारमेट में अगर आप बदलाव करते हैं तो उसका उल्टा असर भी पड़ सकता है। बहरहाल इन दो टेस्टों ने इतना तो साबित कर ही दिया कि 'टेस्ट इज बेस्ट।'

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