भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) के पूर्व अध्यक्ष जगमोहन डालमिया अदालत में जाली और झूठा हलफनामा पेश किए जाने के आरोप में इस संस्था के खिलाफ शुक्रवार को यहाँ उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर सकते हैं।
डालमिया के करीबी सूत्रों के मुताबिक बीसीसीआई के मुख्य प्रशासनिक अधिकारी रत्नाकर शेट्टी ने देश की इस शीर्ष क्रिकेट संस्था से डालमिया के निलम्बन के मामले में अदालत में एक हलफनामा पेश कर यह दावा किया था कि बीसीसीआई के नियमों में 29 सितम्बर 2000 को जो संशोधन किए गए थे, उन्हें 22 मार्च 2007 को रजिस्ट्रार ऑफ सोसायटीज, सेंट्रल चेन्नई ने पंजीकृत कर दिया था।
बीसीसीआई इन्हीं संशोधनों के आधार पर डामलिया को संस्था से निलम्बित किए जाने को सही ठहरा रहा था, जबकि अदालत ने इन संशोधनों के पंजीकरण दस्तावेजों को प्रामाणिक नहीं मानते हुए डालमिया के निलम्बन पर गत शुक्रवार को रोक लगा दी है।
बीसीसीआई के अध्यक्ष शरद पवार, सचिव निरंजन शाह, कोषाध्यक्ष निरंजन शाह, उपाध्यक्ष शशांक मनोहर और चिरायु अमीन एवं उसके वकीलों ने प्रो. शेट्टी द्वारा दायर किए गए हलफनामे के आधार पर तर्क-वितर्क किए थे।
प्रो. शेट्टी ने कोलकाता उच्च न्यायालय के समक्ष एक अनुपूरक हलफनामा पेश कर कहा था कि रजिस्ट्रार ऑफ सोसायटीज सेंट्रल चेन्नई ने संशोधनों को विलम्ब के लिए माफी के साथ पंजीकृत कर दिया है।
इस दावे के आधार पर एक दस्तावेज भी प्रस्तुत किया गया, जिसे पंजीकरण की प्रामाणिक प्रति बताया गया। इसके बाद डालमिया ने रजिस्ट्रार ऑफ सोसायटी से पत्रों के आधार पर एक हलफनामा दायर कर कहा था कि संशोधनों का पंजीकरण नहीं किया गया है, क्योंकि विलम्ब के लिए माफी का मामला लटका हुआ है।
इसके बाद सरकार की ओर से जारी किए गए दस्तावेज की प्रमाणित प्रतियाँ पेश कर अदालत को बताया गया कि शेट्टी और उनका समर्थन करने वाले अन्य व्यक्तियों की तरफ से पेश किया गया दस्तावेज जाली था।
अदालत ने कहा था कि डालमिया को जिस नियम के तहत निलम्बित किया गया था, वह पंजीकृत नहीं है और इसलिए अवैध है। इसी के आधार पर डालमिया ने बोर्ड के खिलाफ मामला दर्ज करने के लिए याचिका दायर करने जा रहे है।