अहमदाबाद में गुरुवार से होने वाली एनकेपी साल्वे चैलेंजर श्रृंखला के दौरान चयन समिति की उपस्थिति के कारण टीम इंडिया के दावेदारों पर अच्छे प्रदर्शन का दबाव रहेगा।
भले ही कई दिग्गज खिलाड़ी इस स्पर्धा में नजर नहीं आएँगे, लेकिन वहाँ खेलने वाले 42 खिलाड़ी यह बात जानते हैं कि इस स्पर्धा का प्रदर्शन उन्हें भारतीय टीम में स्थान दिलवा सकता है।
दिलीप वेंगसरकर की अगुवाई वाली चयन समिति जब 27 अक्टूबर को पाकिस्तान के खिलाफ पहले दो वनडे मैचों के लिए टीम चुनेगी, तब उसे कई कठिन निर्णय लेने पड़ेंगे।
उनके द्वारा लिए जाने वाले प्रमुख निर्णयों में से एक भारत का नया टेस्ट कप्तान चुनना होगा। इस सत्र में भारत को 10 टेस्ट (3-3 टेस्ट पाकिस्तान तथा दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ और 4 टेस्ट ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ) मैच खेलने हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या भारतीय क्रिकेट बोर्ड दो कप्तानों की प्रणाली को अपनाता है?
महेंद्रसिंह धोनी जहाँ वनडे तथा ट्वेंटी-20 क्रिकेट में यह जिम्मेदारी अच्छी तरह निभा रहे हैं, वहीं संकेत इस बात के मिल रहे हैं कि सचिन तेंडुलकर की टेस्ट कप्तान के रूप में वापसी होने वाली है।
उन्होंने अंतिम बार वर्ष 2000 में भारत का नेतृत्व किया था। चयनकर्ता जहाँ तेंडुलकर के अनुभव को प्राथमिकता देने के पक्ष में दिख रहे हैं, वहीं कप्तान के रूप में धोनी की दावेदारी को भी बोर्ड में समर्थन मिलता दिख रहा है। यदि चयन समिति पीछे मुड़कर नहीं देखे, तो धोनी की संभावना नजर आती है।
तेंडुलकर ने दो कार्यकाल (1996-97 तथा 1999-2000) के दौरान 25 टेस्ट मैचों में नेतृत्व किया, जिसमें भारत ने 4 मैच जीते तथा 9 में हार झेलनी पड़ी। ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ घरेलू श्रृंखला में 2-4 की पराजय के बाद वनडे के लिए भारतीय टीम को लेकर चयनकर्ताओं का नजरिया स्पष्ट होगा। इस बात की संभावना कम ही दिख रही है कि चयनकर्ता टीम में कोई बड़ा बदलाव करें।
चयनकर्ताओं पर इस बात का भारी दबाव रहेगा कि अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पा रहे सीनियर खिलाड़ियों के साथ क्या किया जाए। पूर्व भारतीय कप्तान राहुल द्रविड़ को मुंबई में हुए अंतिम वनडे में विश्राम देकर आने वाले समय के संकेत दे दिए गए थे।
भारतीय बल्लेबाजी पंक्ति के आधार स्तंभ रहे द्रविड़ पर सितंबर 1998 के बाद पहली बार टीम से बाहर किए जाने के कारण टीम में अब अपना स्थान बचा पाने का भारी दबाव रहेगा। यदि इस परिप्रेक्ष्य में देखा जाए, तो द्रविड़ के स्थान के दावेदारों में युवा मनोज तिवारी, एस. बद्रीनाथ और रोहित शर्मा शामिल हैं, जिन्होंने विभिन्न अवसरों पर चयनकर्ताओं को अपने प्रदर्शन से प्रभावित किया है।
चयनकर्ताओं का भी मानना है कि शोएब मलिक की टीम के खिलाफ अपनी युवा ब्रिगेड उतारने का यह सुनहरा मौका है। एक अन्य पूर्व कप्तान सौरव गांगुली का ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ श्रृंखला के दौरान मिश्रित प्रदर्शन रहा हैं, लेकिन ट्वेंटी-20 विश्वकप तथा मुंबई ट्वेंटी-20 मैच में बेहतर प्रदर्शन के जरिये गौतम गंभीर ने उनके विकल्प के तौर पर अपनी मजबूत दावेदारी पेश की है।
चैलेंजर श्रृंखला में इंडिया ब्ल्यू के कप्तान के रूप में धमाकेदार प्रदर्शन के जरिये विस्फोटक बल्लेबाज वीरेंद्र सहवाग भी अपनी दावेदारी पेश कर सकते हैं। गेंदबाजी क्षेत्र में सिर्फ एक खिलाड़ी टीम में जुड़ सकता हैं, वह है युवा लेग स्पिनर पीयूष चावला।
चावला चोट के कारण पिछले कुछ समय से टीम से बाहर हैं। इस दृष्टि से देखा जाए, तो यह पिछले कुछ वर्षों की सबसे महत्वपूर्ण चैलेंजर श्रृंखला साबित होगी।