फटाफट क्रिकेट में अपने फन का लोहा मनवा चुके महेंद्रसिंह धोनी भले ही कोच गैरी कर्स्टन की नजर में टेस्ट कप्तानी के लिए तैयार हों, लेकिन पूर्व चयनकर्ताओं की मानें तो माही को अभी इसके लिए कम से कम एक साल और इंतजार करना होगा।
पूर्व मुख्य चयनकर्ता अंशुमान गायकवाड़ का कहना है कि धोनी में अच्छे कप्तान के सारे लक्षण हैं लेकिन अभी टेस्ट टीम की बागडोर संभालने के लिए तैयार होने में उन्हें एक साल लग जाएगा। वहीं पूर्व विकेटकीपर और चयनकर्ता किरण मोरे की राय है कि भविष्योन्मुख टीम बनाने की जुगत में लगी बीसीसीआई अब ज्यादा दिन टेस्ट कप्तानी से धोनी को वंचित नहीं रख सकती।
पूर्व चयनकर्ता कीर्ति आजाद भी धोनी की कप्तानी के कायल हैं, लेकिन उनका कहना है कि टेस्ट टीम की बागडोर झारखंड के इस युवा विकेटकीपर बल्लेबाज को सौंपने से पहले एक बार वीरेंद्र सहवाग के नाम पर भी विचार होना चाहिए।
दरअसल इस पूरी बहस का आगाज श्रीलंका में वनडे श्रृंखला में मिली जीत के बाद कोच कर्स्टन के उस बयान से हुआ कि धोनी अब टेस्ट कप्तानी संभालने को तैयार हैं। बीसीसीआई ने हालाँकि कोच को गैर जरूरी बयानबाजी से बाज आने की ताकीद की और टेस्ट कप्तान अनिल कुंबले पर भरोसा जताया।
पिछले साल ट्वेंटी20 टीम के कप्तान बने धोनी को राहुल द्रविड़ के अचानक इस्तीफा देने के बाद सितंबर 2007 में एक दिवसीय टीम की भी कमान सौंप दी गई थी। उनकी कप्तानी में भारतीय टीम ने अब तक 36 वनडे में से 19 जीते जबकि 14 में पराजय का सामना करना पड़ा। तीन मैच बेनतीजा रहे।
धोनी ने इस साल अप्रैल में एकमात्र टेस्ट में भारत की कप्तानी की। कुंबले के चोटिल होने के कारण कानपुर में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ धोनी की कप्तानी में भारत ने महज तीन दिन में टेस्ट आठ विकेट से जीतकर श्रृंखला 1-1 से बराबर की थी।
धोनी को अच्छा कप्तान बताते हुए गायकवाड़ ने कहा धोनी ने सिर्फ अच्छी कप्तानी की है बल्कि बतौर बल्लेबाज भी इसका दबाव अपने पर नहीं बनने दिया। इसमें कोई शक नहीं कि वह आने वाले समय में अच्छ टेस्ट कप्तान साबित होगा।
वर्ष 2004 में वनडे क्रिकेट में पदार्पण के बाद से धोनी 120 वनडे में 47.41 की औसत से 3793 रन बना चुके हैं। उन्होंने 121 कैच लपके और 38 स्टम्पिंग भी की। वहीं 29 टेस्ट में उन्होंने 33.76 की औसत से 1418 रन बनाए।
उन्होंने यह भी कहा लेकिन उसने खुद ही थकान के कारण श्रीलंका में हालिया टेस्ट श्रृंखला से नाम वापस ले लिया था। उसे जरूरत से ज्यादा जिम्मेदारियों से लादना ज्यादती होगी। वैसे भी अनिल का बतौर कप्तान प्रदर्शन अच्छा रहा है और अभी टेस्ट कप्तान बदलने की कोई जरूरत नहीं है।
वहीं युवा ब्रिगेड को कमान सौंपने के धुर समर्थक मोरे का कहना है कि टेस्ट और वनडे टीम का कप्तान एक ही होना चाहिए।
मोरे ने कहा जब धोनी 50 और 20 ओवरों के मैच में अच्छी कप्तानी कर रहे हैं तो फिर टेस्ट क्रिकेट क्यों नहीं। उन्होंने ऑस्ट्रेलिया में वनडे श्रृंखला जीती, ट्वेंटी-20 विश्व कप जीता और हमें किस कसौटी पर उन्हें परखना होगा।
उन्होंने कहा धोनी मानसिक रूप से बेहद मजबूत है और मैदान पर अपना आपा नहीं खोता। उसके हाव भाव भी संतुलित रहते हैं जो एक अच्छे कप्तान के लक्षण हैं। इसके अलावा उससे बेहतर कोई विकल्प भी नहीं है। आजाद हालाँकि इस बात से इत्तेफाक नहीं रखते और उन्हें लगता है कि सहवाग को एक मौका दिया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा सहवाग टीम इंडिया के उपकप्तान थे लेकिन खराब फार्म की वजह से उनसे यह जिम्मेदारी वापिस ले ली गई थी। अब वह फार्म में हैं लिहाजा उनके नाम पर पहले विचार होना चाहिये। वैसे भी अनिल का करियर एक या दो साल ही बाकी है तो उनके वारिस पर विचार तो होना ही चाहिए।
पिछले साल नवंबर में कुंबले को जब टेस्ट टीम की कमान सौंपी गई तो उनकी उम्र 36 बरस से अधिक थी। उनकी कप्तानी में हालाँकि भारतीय टीम ने 27 बरस में पहली बार पाकिस्तान के खिलाफ घरेलू श्रृंखला जीती।