वीवीएस लक्ष्मण नागपुर में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ जब अपने 100वें टेस्ट मैच में खेलने के लिए उतरेंगे तो वह टेस्ट मैचों का सैकड़ा पूरा करने वाले भारत के पहले और दुनिया के उन चंद खिलाड़ियों के क्लब में भी शामिल हो जाएँगे जो कभी टीम के कप्तान नहीं रहे।
लक्ष्मण 100 टेस्ट मैच खेलने वाले भारत के आठवें क्रिकेटर बनेंगे लेकिन अन्य सात को जहाँ भारतीय टीम की कप्तानी करने का मौका मिला है, वहीं हैदराबाद के इस स्टायलिश बल्लेबाज को कभी ऐसा अवसर नहीं मिला।
भारत की तरफ से सचिन तेंडुलकर ने सर्वाधिक 153 मैच खेले हैं और इनमें से 25 मैच में वह कप्तान रहे। उनके बाद अनिल कुंबले (132 मैच) का नंबर आता है, जिन्होंने हाल में दिल्ली टेस्ट मैच के बाद अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट को अलविदा कहा। कुंबले 14 मैच में भारत के कप्तान रहे हालाँकि उन्हें यह सम्मान टेस्ट मैचों का सैकड़ा पूरा करने के बाद मिला।
टेस्ट मैचों का सैकड़ा बनाने वाले भारतीय खिलाड़ियों के क्लब में सुनील गावस्कर (125 मैच) और सौरव गांगुली (112 मैच) भी शामिल हैं, जिन्हें देश के सबसे सफल कप्तानों में गिना जाता है। गांगुली तो रिकॉर्ड 49 मैच में कप्तान रहे जबकि गावस्कर ने 47 मैच में टीम की कमान संभाली।
इनके अलावा कपिल देव (131 मैच) ने 34 राहुल द्रविड़ (128 मैच) ने 25 और दिलीप वेंगसरकर (116 मैच) ने दस टेस्ट मैचों में टीम की कमान संभाली थी।
दुनिया में हालाँकि कई ऐसे क्रिकेटर हैं, जिन्होंने 100 टेस्ट मैच खेले लेकिन उन्हें कभी लंबी अवधि के खेल में अपनी राष्ट्रीय टीम की कमान संभालने का मौका नहीं मिला। इनमें सबसे अधिक ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ी हैं क्योंकि वहाँ एक खिलाड़ी को लंबे समय तक कप्तान बनाए रखने का प्रचलन रहा जिससे अन्य खिलाड़ियों को टीम की अगुवाई करने का मौका नहीं मिला।
इस कड़ी में भी शेन वॉर्न सबसे आगे हैं, जिन्होंने ऑस्ट्रेलिया के लिए 145 टेस्ट मैच खेले लेकिन मैदान के बाहर की गतिविधियों के कारण उनका टीम की अगुवाई करने का सपना अधूरा ही रह गया।
ऑस्ट्रेलिया के ही मार्क वा ग्लेन मैकग्रा इयान हीली डेविड बून और जस्टिन लैंगर को भी टेस्ट मैचों का सैकड़ा पूरा करने के बावजूद कभी टीम की कप्तानी का मौका नहीं मिला। ये खिलाड़ी एलन बॉर्डर, मार्क टेलर, स्टीव वॉ और यहाँ तक कि रिकी पोंटिंग की कप्तानी में खेलते रहे। मार्क वॉ ने 128, मैग्राथ ने 124, हीली ने 119, बून ने 107 और लैंगर ने 105 मैच खेले लेकिन इनमें से किसी में वह कप्तान नहीं रहे।
श्रीलंका के मुथैया मुरलीधरन और चमिंडा वास अभी तक क्रमश: 123 और 107 टेस्ट मैच खेल चुके हैं लेकिन उनके नाम के आगे कभी कप्तान नहीं जुड़ा। इंग्लैंड के ग्राहम थोर्प ने भी 100 मैच खेले, लेकिन वह कभी कप्तान नहीं रहे।
इन सबके अलावा कई ऐसे खिलाड़ी भी हैं जो कभी नियमित कप्तान नहीं रहे लेकिन विभिन्न कारणों से किसी न किसी मैच में कप्तानी करने के कारण उनके नाम के आगे कप्तान जुड़ गया। इनमें जाक कैलिस का नाम प्रमुख है जो दक्षिण अफ्रीका की तरफ से 123 टेस्ट मैच खेले हैं लेकिन वह एक टेस्ट में टीम के कप्तान भी रहे हैं।
भारतीय टीम के वर्तमान कोच गैरी कर्स्टन (101 मैच) ने भी एक मैच में टीम की कमान संभाली। दक्षिण अफ्रीका के ही मार्क बाउचर (118 टेस्ट) को चार मैच में कप्तानी का मौका मिला।
वेस्टइंडीज के डेसमंड हेन्स ने 116 मैच खेले, जिसमें से चार उन्होंने कप्तान के तौर पर खेले। उनके सलामी जोड़ीदार गॉर्डन ग्रीनिज ने तो 108 टेस्ट मैच खेले लेकिन उन्होंने केवल एक मैच में कप्तानी का जिम्मा संभाला था।
भारत के जिन तीन खिलाड़ियों को कलात्मक कहा जाता रहा है उनमें लक्ष्मण पहले ऐसे खिलाड़ी होंगे जो 100 टेस्ट मैच खेलेंगे। कभी गुंडप्पा विश्वनाथ को स्टायलिश बल्लेबाज कहा जाता था लेकिन वह 91 टेस्ट ही खेल पाए जबकि लक्ष्मण की तरह हैदराबादी मोहम्मद अजहरुद्दीन मैच फिक्सिंग विवाद के कारण 99 के फेर में फँस गए और कभी टेस्ट मैचों का सैकड़ा पूरा नहीं कर पाए।