आलोचक भले ही कह रहे हों कि भारत और पाकिस्तान के बीच लगातार क्रिकेट श्रृंखलाओं से इनका रोमांच खत्म हो जाएगा, लेकिन तूफानी गेंदबाज शोएब अख्तर का मानना है कि द्विपक्षीय संबंध सुधारने के लिए दोनों टीमों को नियमित रूप से एक-दूसरे से खेलना चाहिए।
अख्तर ने आज यहाँ मानसिक रूप से विकलांग और मूक बधिर छात्रों के 'चेतना संस्थान' में पत्रकारों से कहा कि हम भविष्य में भी दोनों देशों के बीच क्रिकेट श्रृंखलाएँ जारी रखना चाहते हैं क्योंकि इससे दोनों देशों के संबंध सुधारने में मदद मिलेगी।
पाकिस्तान के इस तेज गेंदबाज ने कहा कि लगातार खेलने से दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक आदान प्रदान को बढ़ावा मिलेगा, जिससे द्विपक्षीय संबंधों में भी सुधार होगा।
'रावलपिंडी एक्सप्रेस' के नाम से मशहूर शोएब ने मानसिक रूप से विकलांग और मूक बधिर बच्चों के बीच काफी वक्त गुजारा। कई बच्चों को ऑटोग्राफ दिए तो कई बच्चों के साथ तस्वीरे उतारी।
एक बच्चे ने तो उन्हें गोद में लेने को मजबूर कर दिया। यही नहीं, जब वे बच्चों के बीच बिना किसी औपचारिकता के बैठ गए तो कुछ बच्चे उनकी मसल्स पर हाथ फेरकर यह देख रहे कि इसमें कितनी ताकत है।
शोएब ने 'चेतना संस्थान' में करीब 20 मिनट गुजारे और विकलांग बच्चों से गुफ्तगू की1 उनका कहना था कि इन प्यारे-दुलारे बच्चों के साथ समय बिताना बहुत अच्छा लगता है।
शोएब के अनुसार मुझे यहाँ आकर अपनापन महसूस हो रहा है। इन बच्चों की सेवा करना अपना नैतिक दायित्व समझता हूँ और मैं इनसे बहुत नजदीक से जुड़ा हुआ हूँ।
हाल में चंडीगढ़ स्थित विकलांग बच्चों के इसी तरह के एक स्कूल में उनके साथ गई भारत की जानी-मानी टेनिस स्टार सानिया मिर्जा का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि मैंने सानिया से लखनऊ के चेतना संस्थान में आने और विकलांग बच्चों के लिए कुछ करने का अनुरोध किया था, मगर वह इस समय चंडीगढ़ में व्यस्त हैं लिहाजा नहीं आ सकीं।
मूक-बधिर बच्चों के साथ संक्षिप्त बातचीत के दौरान पाकिस्तानी क्रिकेट खिलाड़ी ने उनकी हर छोटी-बड़ी हरकत को तरजीह दी और वह उनके बीच बैठे1 इस दौरान बच्चों ने शोएब को कई छोटे उपहार भी भेंट किए।
इसके पूर्व सहारा परिवार की निदेशक कुमकुम रॉय चौधरी ने पाकिस्तान के तेज गेंदबाज का चेतना संस्थान में स्वागत किया।