प्रशंसक अपने पर काबू रखें:सचिन
हार से मास्टर ब्लास्टर भी निराश
भारतीय टीम के ट्वेंटी-20 विश्वकप से जल्दी बाहर होने के कारण सचिन तेंडुलकर ने भी प्रत्येक प्रशंसक की तरह निराशा जताई लेकिन स्वदेश में इसको लेकर प्रदर्शन और अन्य तरह की कड़ी प्रतिक्रिया से वे पूरी तरह असहमत हैं।
तेंडुलकर ने कहा कि उन्हें निराशा है कि भारत अपने खिताब का बचाव नहीं कर पाया लेकिन इसके साथ उनका मानना है कि स्वदेश में प्रशंसकों की प्रतिक्रिया 'जिम्मेदाराना और संतुलित' होनी चाहिए।
तेंडुलकर ने कहा मैं मानता हूँ कि जब लोग प्रतिक्रिया करते हैं तो उन पर भावनाएँ हावी रहती हैं, लेकिन क्या इस तरह की प्रतिक्रियाओं से हमें बेहतर प्रदर्शन करने में मदद मिलेगी? कतई नहीं। इससे वास्तव में खिलाड़ियों पर अधिक दबाव बढ़ता है। हमें परिपक्वता दिखाकर टीम का साथ देना चाहिए।
उन्होंने 'टाइम्स नाऊ' चैनल से कहा कि जो बीत गया उसे कोई भी नहीं बदल सकता लेकिन हमेशा इससे सबक लेकर भविष्य में अच्छा प्रदर्शन किया जा सकता है। सफलता और असफलता दोनों पर हमारी प्रतिक्रिया अधिक जिम्मेदारी भरी और संतुलित होनी चाहिए। ऐसा करने से प्रत्येक के लिए आसानी होगी।
तेंडुलकर भारतीय टीम का उत्साह बढ़ाने के लिए अपने परिवार के साथ यहाँ आए हैं लेकिन महेंद्रसिंह धोनी की अगुआई वाली टीम सुपर आठ में एक मैच भी नहीं जीत पाई और टूर्नामेंट से बाहर हो गई, जिससे भारत में धोनी की कप्तानी और टीम के चयन पर सवाल उठाए गए।
यहाँ तक कि धोनी ने भी देशवासियों से माफी माँगी लेकिन इससे गुस्साए प्रशंसकों पर कोई असर नहीं पड़ा। धोनी के गृहनगर राँची में उनका पुतला तक जलाया गया। तेंडुलकर ने कहा कि वे प्रशंसकों की भावनाओं को समझ सकते हैं लेकिन यह टीम की गलती नहीं है क्योंकि उसने अपनी तरफ से सर्वश्रेष्ठ प्रयास किए थे।
उन्होंने कहा कि सभी देशवासियों की तरह मुझे भी निराशा हुई। खिलाड़ियों ने अच्छी योजना बनाई थी और उन्होंने सर्वश्रेष्ठ प्रयास किए लेकिन कई बार परिणाम आपके अनुकूल नहीं आते हैं।
तेंडुलकर ने कहा कि मुझे पूरा विश्वास है कि टीम फिर से लय हासिल करेगी। यदि स्वदेश में प्रत्येक व्यक्ति उनका साथ देता है तो टीम फिर से मजबूत बन सकती है।