इंग्लैंड के पूर्व कप्तान माइक एथरटन के मुताबिक एंड्रयू फ्लिंटॉफ की विश्वसनीयता एक ‘सेकंड हैंड’ कार की तरह हो गई है और इंग्लैंड को उनकी फिटनेस को लेकर ज्यादा हायतौबा मचाने की जरूरत नहीं है क्योंकि यह ऑलराउंडर चार साल पहले ही तरह करिश्माई नहीं रह गया है।
घुटने की चोट के बाद फ्लिंटॉफ के दूसरे एशेज टेस्ट में खेलने पर सवालिया निशान लग गया है लेकिन एथरटन ने कहा कि इसका मतलब यह नहीं है कि मेजबान टीम के लिए दुनिया का अंत हो गया है। उन्होंने कहा एंड्रयू फ्लिंटॉफ की चोट जरूरी नहीं कि इंग्लैंड के लिए बुरी खबर हो।
एथरटन ने ‘द टाइम्स’ में अपने कॉलम में लिखा कि यह अब उतनी बुरी खबर नहीं है जितनी एक समय में हुआ करती थी। अब यह आम भावना है कि चार साल पहले का यह करिश्माई ऑलराउंडर अब इंग्लैंड की सफलता में पहले की तरह अहम नहीं है।
एथरटन ने फ्लिंटॉफ की तुलना सेकेंड हैंड गाड़ी से की जिसे बार-बार परीक्षण के लिए परिवहन मंत्रालय के पास भेजा जाता है। मीलों चल चुकी सेकेंड हैंड कार की तरह फ्लिंटॉफ का शरीर भी अब भरोसेमंद नहीं रहा। आप इसे जितनी मर्जी बार परीक्षण के लिए भेज दें लेकिन यह सच्चाई है कि जब आप लंबी यात्रा पर निकलेंगे तो इस बात की गारंटी नहीं है कि आप निर्धारित स्थल पर पहुँच जाएँगे। यह ऑलराउंडर हालाँकि अभी लॉर्ड्स टेस्ट से बाहर नहीं हुआ है लेकिन एथरटन ने दूसरे टेस्ट में अनफिट फ्लिंटॉफ को उतारने के प्रति चेताया।
इंग्लैंड ने स्टीव हार्मिसन को टीम में शामिल कर लिया है। हालाँकि फ्लिंटॉफ के नहीं खेलने पर मेजबान टीम की बल्लेबाजी कमजोर होगी लेकिन इंग्लैंड स्टुअर्ट ब्रॉड या ग्राहम आनियंस की जगह अतिरिक्त बल्लेबाज इयान बेल को मैदान पर उतारकर इसकी भरपाई कर सकता है। यह दोनों गेंदबाज कार्डिफ में लय में नहीं दिखे थे।