इंग्लैंड के खिलाफ उसकी जमीन पर मिली शर्मनाक पराजय के बाद आलोचनाओं में घिरी महेन्द्र सिंह धोनी की सेना शुक्रवार को जब यहां पांच मैचों की वनडे सिरीज में उतरेगी तो उसका लक्ष्य इंग्लिश टीम से हार का बदला चुकता करना होगा।
टीम इंडिया इंग्लैंड दौरे पर एक भी मैच नहीं जीत पाई थी। टेस्ट सिरीज में 0-4 से उसका सूपडा साफ हो गया था जबकि वनडे सिरीज में उसे 0-3 से शिकस्त झेलनी पड़ी थी। एकमात्र ट्वंटी-20 मैच में भी टीम इंडिया को जीत नसीब नहीं हुई थी।
कई दिग्गज खिलाडियों की अनुपस्थिति में कप्तान धोनी पर युवा तुर्कों के दम पर इंग्लैंड की आत्मविश्वास से लबरेज टीम पर जीत हासिल करनी की बड़ी चुनौती है। मास्टर-ब्लास्टर सचिन तेंडुलकर, जहीर खान, युवराज सिंह, वीरेन्द्र सहवाग तथा मुनाफ पटेल चोट को चोटिल होने के कारण पहले दो वनडे में जगह नहीं मिली है।
अनुभवी ऑफ स्पिनर हरभजन सिंह को खराब फॉर्म के कारण टीम से बाहर किया गया है। इन दिग्गज खिलाडियों की जगह टीम में नए युवा खिलाडियों को शामिल किया गया है, जिनके पास घरेलू परिस्थितियों में खुद को साबित करने का अच्छा मौका है।ो
विश्वकप में खिताबी जीत के बाद धोनी की कप्तानी की यह पहली घरेलू सिरीज है। उनके लिए इस सिरीज में काफी कुछ दांव पर लगा है। धोनी अच्छी तरह जानते हैं कि इस सिरीज में हार से उनकी कप्तानी पर भी सवाल खड़े कर सकती है।
भारत को हैदराबाद के राजीव गांधी इंटरनेशनल स्टेडियम में अपने सभी तीन वनडे में हार का सामना करना पड़ा है। इंग्लैंड ने भारत दौरे पर अपने दोनों अभ्यास मैच इसी मैदान पर बड़ी आसानी से हैदराबाद एकादश को हराकर जीते थे। अब भारत की अपेक्षाकृत युवा और अनुभवहीन टीम को इसी मैदान पर इंग्लैंड से पहले वनडे में लोहा लेना है।
इस मैदान पर दक्षिण अफ्रीका ने 16 नवंबर 2005 को भारत को पांच विकेट से, ऑस्ट्रेलिया ने पांच अक्टूबर 2007 को 47 रन से और फिर पांच नवंबर 2009 को भारत को तीन रन से हराया था। पहले दो मैचों में युवराज ने शतक बनाए थे जबकि तीसरे मैच में सचिन के शानदार 175 रन के बावजूद भारत को हार का सामना करना पड़ा था।
यह मैदान रनों के मामले में बल्लेबाजों के लिए स्वर्ग माना जाता है। चैंपियंस लीग के दौरान इसी मैदान पर टीमों ने बड़े स्कोर खड़े किए थे, जबकि इंग्लैंड ने दूसरे अभ्यास मैच में यहां पर 367 रन का विशाल स्कोर बनाया था।
ओपनिंग में गौतम गंभीर के साथ पार्थिव पटेल पर टीम को ठोस शुरुआत देने की जिम्मेदारी रहेगी जबकि मध्यक्रम में विराट कोहली, सुरेश रैना, धोनी और रवीन्द्र जडेजा को बड़ी पारियां खेलनी होंगी। विराट ने हाल में संपन्न चैंपियंस ट्रॉफी में शानदार प्रदर्शन किया था लेकिन रैना और धोनी अपनी प्रतिष्ठा के अनुरूप प्रदर्शन नहीं कर पाए थे।
गेंदबाजी में केवल प्रवीण कुमार ही ऐसे तेज गेंदबाज हैं जो अंतरराष्ट्रीय मैचों का अच्छा खासा अनुभव रखते हैं जबकि वरुण आरोन, श्रीनाथ अरविंद, विनय कुमार, उमेश यादव, राहुल शर्मा और रविचंद्रन अश्विन को अभी खुद को साबित करना है।
हरभजन की अनुपस्थिति में स्पिन विभाग में राहुल शर्मा या रविचंद्रन अश्विन में से किसी एक को खेलने का मौका मिलेगा। राहुल ने आईपीएल के चौथे संस्करण में शानदार प्रदर्शन किया था जिसकी बदौलत वह टीम इंडिया में जगह पाने में सफल रहे।
जहां तक इंग्लिश टीम का सवाल है तो भारत के खिलाफ घरेलू जमीन पर मिली धमाकेदार जीत से उसके हौसले सातवें आसमान पर हैं। अभ्यास मैचों में गेंदबाजों और बल्लेबाजों के शानदार प्रदर्शन से उसका आत्मविश्वास काफी बढ़ चुका है। पहले अभ्यास मैच में गेंदबाजों ने टीम को जीत दिलाई जबकि दूसरे मैच में टीम ने हर विभाग में बेहतरीन प्रदर्शन किया।
कप्तान एलेस्टेयर कुक, क्रेग क्रिसवेटर, केविन पीटरसन, जोनाथन ट्रॉट, रवि बोपारा और जॉनी बेयरस्ट्रो जैसे बल्लेबाजों की मौजूदगी किसी भी विपक्षी टीम के गेंदबाजों में सिहरन पैदा करने के लिए काफी है। भारत की अनुभवहीन गेंदबाजी के सामने ढेरों रन जुटान में इंग्लिश बल्लेबाजों को कोई ज्यादा परेशानी नहीं होनी चाहिए।
स्टुअर्ट ब्रॉड और जेम्स एंडरसन जैसे गेंदबाजों की अनुपस्थिति में इंग्लिश टीम की धार थोड़ी कुंद जरूर पड़ गई है लेकिन टिम ब्रेसनन और स्टीवन फिन इस कमी को पूरा करने में सक्षम हैं। जेड डर्नबाख और स्टुअर्ट मीकर अभ्यास मैचों में अच्छा प्रदर्शन करके अपनी उपयोगिता साबित कर चुके हैं।
दोनों टीमें इस प्रकार -
भारत- महेन्द्र सिंह धोनी (कप्तान), गौतम गंभीर, पार्थिव पटेल, अजिंक्या रहाणे, विराट कोहली, सुरेश रैना, मनोज तिवारी, रवीन्द्र जडेजा, रविचंद्रन अश्विन, राहुल शर्मा, विनय कुमार, प्रवीण कुमार, वरुण आरोन, श्रीनाथ अरविंद और उमेश यादव। इंग्लैंड- एलेस्टेयर कुक (कप्तान), क्रेग क्रिसवेटर, केविन पीटरसन, जोनाथन ट्रॉट, इयान बेल, रवि बोपारा, जॉनी बेयरस्ट्रो, ग्रीम स्वान, स्कॉट बोर्थविक, समित पटेल, टिम ब्रेसनन, स्टीव फिन, क्रिस वोक्स, जेड डर्नबाख और स्टुअर्ट मीकर। (वार्ता)