इंडियन प्रीमियर लीग नीलामी को चुनौती देती एक याचिका पर वडोदरा की एक अदालत ने भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) सभी आठ आईपीएल फ्रेंचाइजी टीमों के मालिकों और केंद्र सरकार को कारण बताओ नोटिस जारी किया है।
याचिका बड़ौदा बार एसोसिएशन के अध्यक्ष नरेंद्र तिवारी ने दाखिल की थी और नीलामी को 'गैरकानूनी' करार देते हुए क्रिकेटरों की नीलामी से संबधित आईपीएल की सभी प्रक्रियाओं पर अंतरिम स्थगन लगाने का अनुरोध किया था।
याचिका पर फरवरी 29 को आंशिक सुनवाई हुई थी। वडोदरा के सिविल जज पीपी शाह ने 11 प्रतिवादियों को नोटिस जारी कर पूछा है क्यों न इस नीलामी के अमल पर अंतरिम रोक लगाई जाए। अदालत ने सुनवाई की अगली तारीख 12 मार्च तय की है जबकि लगभग डेढ़ महीने चलने वाली आईपीएल ट्वेंटी-20 प्रतियोगिता 18 अप्रैल को शुरू होने वाली है।
बीसीसीआई और आईपीएल के पदाधिकारियों तथा केंद्र सरकार के खेल सचिव के साथ-साथ उद्योगपति मुकेश अंबानी, विजय माल्या, बॉलीवुड सुपरस्टार शाहरुख खान और प्रीति जिंटा समेत आईपीएल फ्रेंचाइजी टीमों के मालिकों को ये नोटिस भेजे गए हैं।
तिवारी ने अपनी याचिका में कहा है कि 20 फरवरी को मुंबई में बीसीसीआई की ओर से हुई नीलामी क्रिकेट की खेल भावना और सभी नैतिक मूल्यों के खिलाफ है। उन्होंने अदालत से आईपीएल पर रोक लगाने और नीलामी की प्रक्रिया को खारिज करने का अनुरोध किया है।
खिलाड़ियों को करोड़ों रुपयों में उद्योगपतियों और फिल्मी हस्तियों को 'बेच दिए जाने' पर आपत्ति व्यक्त करते हुए याचिका में कहा गया है कि इस तरह क्रिकेट खिलाड़ी कुछ लोगों की निजी जागीर बन जाएँगे, जिसकी कानूनी रूप से अनुमति नहीं दी जा सकती।
याचिका में आरोप लगाया गया है कि केंद्र सरकार ने इस 'अनुचित' प्रक्रिया को रोकने के लिए कुछ नहीं किया।