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बीसीसीआई को डर किस बात का?

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नई दिल्ली , बुधवार, 31 अगस्त 2011 (23:29 IST)
राष्ट्रीय खेल विकास विधेयक को केन्द्रीय मंत्रिमंडल में मंजूरी नहीं मिलने के एक दिन बाद केन्द्रीय खेल मंत्री अजय माकन ने बुधवार को भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) पर करारे प्रहार करते हुए कहा कि उसे डर किस बात का है जो वह सूचना के अधिकार से बचने की कोशिश कर रहा है।

माकन ने कहा जनता को यह जानने का हक है कि बीसीसीआई के पास जो पैसा आ रहा है, वह कहां से आ रहा है। यदि बोर्ड को लगता है कि वह इस मामले में पाक साफ है तो फिर उसे डर किस चीज का है?

विधेयक के नामंजूर होने से खासे भड़के नजर आ रहे खेल मंत्री ने बीसीसीआई के अधिकारियों के सरकार से कुछ भी नहीं लेने के दावे पर सवाल उठाते हुए कहा वे कैसे कह सकते हैं कि सरकार से कोई मदद नहीं लेते हैं। आखिर जमीन जिन पर स्टेडियम बने हैं, वह किसकी है?

उन्होंने कहा बोर्ड अपने मैचों के लिए जो कर छूट लेता है, पुलिस से सुरक्षा बंदोबस्त लेता है, अन्य सुविधाएं लेता है, वह सब आखिर कहां से आती है? किस तरह से बीसीसीआई यह दावा करती है कि वह सरकार से कुछ नहीं लेती है? बोर्ड को अपनी कार्यशैली को लेकर जनता के प्रति ज्यादा जवाबदेह होने की जरूरत है।
खेल मंत्री ने कहा प्रस्तावित खेल विधेयक का उद्देश्य खेल संघों को अधिक पारदर्शी और सक्षम बनाना है। हमारा इस विधेयक के जरिये राष्ट्र्रीय खेल महासंघों पर नियंत्रण बनाने का कोई इरादा नहीं है।

माकन ने कहा मंत्रिमंडल की बैठक में कल जो हुआ मैं उस पर कुछ नहीं कहना चाहता। मैं सिर्फ खेल मंत्रालय और अपना रूख दोहरा रहा हूं। हम किसी भी तरह से खेल महासंघों या खेल निकायों पर नियंत्रण बनाने की कोई कोशिश नहीं कर रहे हैं।

उन्होंने कहा हम यह भी नहीं चाहते कि हमारा कोई प्रतिनिधि इन खेल संघों के प्रबंधन में किसी रप में मौजूद रहे। हम उन्हें दिशा निर्देशित भी नहीं करना चाहते। मैं यह नहीं कहता कि माकन को अध्यक्ष बना दो। वे अपने प्रबंधन में किसी को भी रख सकते हैं चाहे वे सांसद हो या फिर मंत्री लेकिन वे जनता के प्रति अपनी जवाबदेही से बच नहीं सकते हैं। (वार्ता)

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