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बीसीसीआई ने दिखाई अपनी ताकत

हमें फॉलो करें बीसीसीआई ने दिखाई अपनी ताकत
नई दिल्ली , बुधवार, 31 अगस्त 2011 (23:09 IST)
बहुप्रतीक्षित राष्ट्रीय खेल विकास विधेयक का भविष्य आगे चाहे कुछ भी हो लेकिन भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) ने इस विधेयक को लेकर अपनी ताकत का अहसास करा दिया है।

इस खेल विधेयक को कल केन्द्रीय मंत्रिमंडल में मंजूरी नहीं मिल पाई थी और मंत्रिमंडल ने खेल मंत्रालय को नया ड्राफ्ट तैयार करने को कहा था। विधेयक को मंजूरी नहीं मिल पाने के बाद मीडिया में इसको लेकर जितनी भी खबरें आई उससे यही झलक सामने आ रही थी कि यह खेल विधेयक बनाम बीसीसीआई का मामला बन गया।

मंगलवार की बैठक में जो पांच मंत्री मौजूद थे उनमें से चार तो बीसीसीआई की विभिन्न इकाइयों से किसी न किसी रूप में जुडे हुए हैं। इनमें शरद पवार बीसीसीआई के पूर्व और आईसीसी के मौजूदा अध्यक्ष, विलासराव देशमुख (मुंबई क्रिकेट संघ), फारुख अब्दुल्ला (जम्मू कश्मीर क्रिकेट संघ) और सीपी जोशी राजस्थान क्रिकेट संघ के अध्यक्ष हैं।

समझा जाता है कि पवार को विधेयक के 70 साल की सेवानिवृति के प्रावधान को लेकर काफी आपत्ति है। उनका कहना है कि खेल निकायों का अध्यक्ष बनने के लिए उम्र कोई सीमा नहीं होनी चाहिए।

बीसीसीआई के अध्यक्ष शशांक मनोहर का भी कहना है कि बीसीसीआई एक गैरसरकारी संगठन है जिसका अपना संविधान है और यह अपना खर्च खुद जुटाता है।

उम्र सीमा के ऊपर मनोहर ने कहा यह बड़ी दिलचस्प बात है कि उम्र सीमा 70 वर्ष रखी जा रही 65 या 60 नहीं। प्रशासक के साथ वैसे भी उम्र का कोई बंधन नहीं होना चाहिए, जब तक कि वह पूरी तरह स्वस्थ है।

विधेयक पर बैठक में कोई सहमति न बन पाने और इसके लिए नया ड्राफ्ट तैयार करने की बात सामने आने के बाद मीडिया में जितनी भी चर्चा हुई वह सिर्फ बीसीसीआई पर केन्द्रित थी। अन्य खेल महासंघों को तो किसी ने पूछा तक नहीं।

यहां तक कि राष्ट्रीय ओलिम्पिक समिति भारतीय ओलिम्पिक संघ (आईओए) भी इस चर्चा में कहीं शामिल नहीं था। जो भी मुद्दा था वह इतना था कि बीसीसीआई को विधेयक खासकर सूचना के अधिकार (आरटीआई. के दायरे में लाया जाए या नहीं।

मनोहर का कहना है कि देश के मुख्य सूचना आयुक्त ने दो आदेश पारित किए थे, जिनमें साफ कहा गया है कि आरटीआई कानून बीसीसीआई पर लागू नहीं होता है।

विधेयक नामंजूर किए जाने के अगले दिन केन्द्रीय खेल मंत्री अजय माकन ने बीसीसीआई पर ही निशाना साधते हुए कहा कि उसे ज्यादा जवाबदेह होने की जरूरत है।

मंत्रिमंडल की बैठक से पहले ही कल बीसीसीआई के उपाध्यक्ष राजीव शुक्ला ने साफ कर दिया था कि बोर्ड आरटीआई के तहत सूचना देने की बाध्यता को स्वीकार नहीं करेगा।

शुक्ला ने कहा था कि आरटीआई के तहत सिर्फ उन संगठनों को आना चाहिए जो सरकार से धन लेते हैं और बोर्ड कोई सरकारी धन नहीं लेता इसलिए उस पर आरटीआई लागू नहीं होना चाहिए। (वार्ता)

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