भारत पर भारी पड़ा नए सत्र में बैटिंग पावर-प्ले
नई दिल्ली (भाषा) , मंगलवार, 27 अक्टूबर 2009 (18:41 IST)
बल्लेबाजी पावर-प्ले के पिछले साल सितंबर में लागू होने के बाद से शुरुआती 16 मैच में इसका जमकर फायदा उठाने वाला भारत पिछले कुछ मैचों से इन महत्वपूर्ण पाँच ओवरों में सही उपयोग नहीं कर पाया, जिससे कप्तान महेंद्र सिंह धोनी खासे चिंतित हैं।भारत ने इस नियम के लागू होने के बाद वीरेंद्र सहवाग, सचिन तेंडुलकर, युवराज सिंह, महेंद्र सिंह धोनी जैसे धाकड़ बल्लेबाजों के दम पर शुरुआती 16 मैच में इन पाँच ओवरों का भरपूर फायदा उठाया। इस दौरान भारतीय टीम ने इन ओवरों में लगभग 6.85 रन की प्रति ओवर की दर से रन बटोरे जिससे वह 13 मैच जीतने में सफल रही और केवल दो में उसे हार मिली।लेकिन इसके बाद एकदम से तस्वीर बदल गई। भारत को पिछले नौ मैच में से पाँच में बल्लेबाजी पावर-प्ले लेने का मौका मिला और इनमें में उसने प्रति ओवर पाँच रन से भी कम दर से रन बनाए तथा इस बीच नौ विकेट गँवाए। इन पाँच में से चार मैच में भारत को हार का मुँह देखने को मिला और धोनी की चिंता का असली कारण यही है।ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ वड़ोदरा में पहले वन डे में भारत बल्लेबाजी पावर-प्ले में केवल 32 रन बना पाया लेकिन इस बीच उसने तीन महत्वपूर्ण विकेट गँवाए जिसके बाद धोनी ने कहा कि उन्हें इन पाँच ओवरों में विकेट गँवाना महँगा पड़ा।भारतीय कप्तान ने कहा कि हमने पावर-प्ले के दौरान काफी विकेट गँवा दिए। यह टर्निंग प्वाइंट रहा। अगर आपके पास काफी विकेट नहीं होते तो आप पावर-प्ले का फायदा नहीं उठा सकते।भारत ने बल्लेबाजी पावर-प्ले का अच्छा उपयोग वेस्टइंडीज पर किंग्सटन में खेले गए पहले एकदिवसीय मैच की 20 रन की जीत में किया था। तब युवराज और धोनी क्रीज पर थे और इन दोनों ने मिलकर पाँच ओवर में 62 रन जोड़ दिये थे। युवराज ने इस दौरान चार चौके और इतने ही छक्के जड़कर 47 रन बनाए थे। इसके बाद भारतीय टीम ने अमूमन तब बल्लेबाजी पावर-प्ले लिया जब शीर्ष क्रम लड़खड़ाने से टीम दबाव में रही या फिर निचले क्रम के बल्लेबाज क्रीज पर थे। वेस्टइंडीज के खिलाफ किंग्सटन में ही दूसरे वनडे में भारत ने 23वें ओवर से तब पावर-प्ले लिया, जब स्कोर आठ विकेट पर 82 रन था और अगले पाँच ओवर में केवल 18 रन बने।श्रीलंका के खिलाफ कोलंबो में त्रिकोणीय श्रृंखला में उसने नौ विकेट गिरने के बाद 38वें ओवर में पावर-प्ले लिया और अजंता मेंडिस ने दूसरी गेंद पर ईशांत शर्मा को आउट कर अपनी टीम को जीत दिलाई। इसी टूर्नामेंट के फाइनल में भारतीय टीम ने पावर-प्ले के 35वें से लेकर 39वें मैच तक एक विकेट पर 33 रन बनाए। भारत यह मैच और खिताब जीतने में सफल रहा।चैंपियन्स ट्रॉफी में पाकिस्तान के खिलाफ भारत ने 42वें ओवर से पावर-प्ले लिया। तब राहुल द्रविड़ और हरभजन क्रीज पर थे लेकिन भारतीय टीम ने 3.5 ओवर में केवल 12 रन जोड़े और बचे हुए चारों विकेट गँवाकर उसे हार का कड़वा घूँट पीना पड़ा।इस साल के शुरू में न्यूजीलैंड दौरे में भारत की जीत में हालाँकि बल्लेबाजी पावर-प्ले ने अहम भूमिका निभाई थी। भारतीय टीम ने श्रृंखला के जिन तीन मैच में जीत दर्ज की उसमें उसके बल्लेबाजों ने क्षेत्ररक्षण में पाबंदी का भरपूर फायदा उठाया।