भारत और पाकिस्तान के बीच क्रिकेट मैदान की प्रतिद्वंद्विता इतनी कट्टर है कि पाकिस्तानी खिलाड़ी भारत से हार को कभी बर्दाश्त नहीं कर पाते। पूर्व कप्तान इमरान खान के शब्दों में भारत से क्रिकेट मैच हारना पाकिस्तान में सबसे बड़ा अपराध माना जाता है।
पाकिस्तान के सबसे बड़े क्रिकेट स्टार इमरान के जीवन पर फ्रेंक हुजूर की लिखी किताब 'इमरान वर्सेस इमरान द अनटोल्ड स्टोरी' में खुद इमरान का कहना है ..भारत के खिलाफ हार हमारे लिए एक राष्ट्रीय आपदा जैसी है। इसका एहसास हमें उस समय हुआ था जब 1979-80 में हम भारत से टेस्ट सिरीज हारकर लौटे थे।
इमरान ने कहा जब हमारी टीम स्वदेश लौटी तो हमारे आगमन को गुप्त रखा गया। आशंका थी कि हमारे साथ दुर्व्यवहार हो सकता है लेकिन कस्टम अधिकारियों ने इस हार को लेकर जनता के बीच जो भावना थी उसे हमारे सामने जाहिर कर दिया। हमें हवाई अड्डे से बाहर निकलने में लगभग एक घंटे का समय लग गया था।
उन्होंने कहा हमारी कुछ किताबें भी जब्त कर ली गई जबकि हम कोई अच्छा दौरा करके लौटते तो हमें बहुत जल्दी और आराम से निकाल दिया जाता। भारत से हार की हमें ऐसी कीमत चुकानी पड़ी। भारत से हारना निश्चित रूप से पाकिस्तानी क्रिकेट में सबसे बड़ा अपराध माना जाता है।
भारत दौरा इमरान के करियर का सबसे खराब वर्ष था। पाकिस्तानी जनता की इस दौरे में रूचि बिल्कुल ही खत्म हो गई थी। इस दौरे में आसिफ इकबाल टीम के नए कप्तान थे और जब दौरा समाप्त हुआ तो आसिफ को जनाक्रोश से बचने से पहले ही अपने संन्यास की घोषणा करनी पड़ी।
हालांकि इमरान इससे पहले 1978 में पाकिस्तान में खेली गई भारत-पाक श्रृंखला में सबसे बड़े स्टार बनकर उभरे थे। दोनों देशों के बीच लंबे अंतराल के बाद यह सिरीज खेली गई थी। पाकिस्तान का हर खिलाड़ी इस सिरीज में खेलने को बेताब था। उस समय पाकिस्तान के शासक जनरल जिया उल हक थे। भारतीय टीम का पाकिस्तान दौरा जनरल जिया के शासन के लिए एक बड़ी राहत माना जा रहा था।
जनरल जिया ने पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड (पीसीबी) को निर्देश दिया था कि टीम में उन सभी खिलाड़ियों को चुना जाए जो कैरी पैकर सिरीज में खेली पाकिस्तानी टीम का हिस्सा थे। कैरी पैकर सिरीज उस समय अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट की बागी सिरीज थी।
इमरान को जब टीम में अपने चयन के बारे में पता लगा तो उन्होंने मन ही मन में अल्लाह का शुक्रिया अदा किया। पाकिस्तान के सभी खिलाड़ी इस सिरीज में खेलने के लिए किस कदर बेताब थे जिसका उदाहरण इमरान के इन शब्दों से मिलता है।
इमरान ने कहा मैं सादिक मोहम्मद और जहीर अब्बास के 1978 के इंग्लिश सत्र की समाप्ति के समय किए गए आग्रह को कभी नहीं भूल सकता। मैं ग्लोसेस्टरशायर के खिलाफ ससेक्स के लिए खेल रहा था। दोनों ने मुझसे आग्रह किया कि कोई ऐसी बाउंसर न फेंके जिससे वे चोटिल हो जाएं और भारत के खिलाफ सिरीज में न खेल पाएं। यह सिरीज दो महीने दूर थी और कोई भी खिलाड़ी चोटिल होने का जोखिम नहीं उठाना चाहता था।
भारत-पाक क्रिकेट संबंधों में ऐतिहासिक घटना मानी जाने वाली इस सिरीज ने इमरान को रातोंरात पाकिस्तान का सबसे बड़ा स्टार बना दिया था। कराची टेस्ट में इमरान ने भारतीय कप्तान बिशन सिंह बेदी के ओवर में दो छक्के और एक चौका मारकर अपनी टीम को जीत दिलाई थी। पाकिस्तान ने यह ऐतिहासिक सिरीज 2-0 से जीती थी। हालांकि इमरान ने बाद में माना कि इस सिरीज में अंपायरिंग के कुछ विवादास्पद फैसले हुए थे जो पाकिस्तान के पक्ष में थे।
हालांकि इसके बाद जब पाकिस्तानी टीम 1979 में भारत खेलने पहुंची तो उनका भारत में ऐसा स्वागत हुआ जिसे इमरान आज भी याद करते हैं। इमरान ने कहा ..हवाई अड्डे से ही हमें यह एहसास हो गया था कि यह सिरीज कितनी अहम है। पूरा भारत जैसे क्रिकेट के उन्माद में डूबा हुआ था। हम जहां भी जाते थे सिर्फ क्रिकेट की ही बातें सुनते थे। इमरान को याद है कि जब वह दिल्ली के फिरोजशाह कोटला मैदान में अभ्यास कर रहे थे तो हिन्दू कॉलेज, सेंट स्टीफंस, मिरांडा, श्रीराम कॉलेज ऑफ कॉमर्स, हंसराज और किरोड़ीमल कॉलेज की छात्राएं उन्हें देखने स्टेडियम पहुंचती थीं।
हालांकि इस दौरे में इमरान पर यह भी आरोप लगा था कि वह बॉलीवुड की अभिनेत्रियों से मिलने-जुलने में ज्यादा मशगूल रहे थे जिससे उनका ध्यान पूरी तरह सिरीज पर नहीं था। पाकिस्तानी प्रेस में भी उस समय पूरी तरह इमरान के खिलाफ थी। इमरान का बॉलीवुड अभिनेत्रियों के साथ मिलना-जुलना और सिरीज में पीठ की समस्या के कारण एकाध टेस्ट से बाहर होना उन्हें रास नहीं आ रहा था।
लेकिन इमरान ने इन आलोचनाओं पर कहा किसी ने यह नहीं देखा कि 1971 में टेस्ट पदार्पण करने के बाद से मैं पहली बार किसी सिरीज में कुछ मैचों से बाहर हुआ। टेस्ट क्रिकेट में कोई भी तेज गेंदबाज लगातार इतने समय मैच नहीं खेला था। उन्होंने कहा यह सही है कि मैं जहां भी जाता था लोग मुझे घेर लेते थे। लेकिन मैं स्पष्ट कर देना चाहता हूं कि मैं कभी भी लड़कियों के पीछे नहीं भागा था या कभी ऐसी स्थिति का फायदा उठाने की कोशिश की।
हम रात साढ़े दस बजे के बाद ही होटल के कमरों में बंद हो जाते थे और हमारे लिए ऐसी आजादी ले पाना मुश्किल था। मैनेजमेंट ने नियम बहुत सख्त कर रखे थे। हमारे पास देर रात की पार्टियों के कई निमंत्रण होते थे लेकिन हम कहीं नहीं जाते थे। इमरान की लोकप्रियता इस दौरे में लचर प्रदर्शन के बावजूद चरम पर पहुंच चुकी थी। जनरल जिया उस समय मजाक में कहा करते थे कि 14 करोड़ पाकिस्तानियों के राष्ट्रपति के मुकाबले इमरान भारत में कहीं ज्यादा लोकप्रिय हैं। (वार्ता)