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मुकद्दर के सिकंदर हैं महेन्द्रसिंह धोनी

रन मशीन सचिन और इतिहास पुरुष बिंद्रा चमके

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नई दिल्ली। भारत के ओलिम्पिक इतिहास का सबसे सुनहरा अध्याय लिखने वाले निशानेबाज अभिनव बिंद्रा, टीम इंडिया को अश्वमेधी अभियान पर उतारने वाले करिश्माई क्रिकेट कप्तान महेंद्रसिंह धोनी और टेस्ट क्रिकेट में भी सबसे ज्यादा रन अपने नाम करने वाले सचिन तेंडुलकर बीते बरस भारतीय खेलों के सबसे चमकते सितारों में शुमार रहे।

PTI
बीजिंग ओलिम्पिक की दस मीटर एयर राइफल स्पर्धा में दुनिया भर के दिग्गजों को पछाड़कर बिंद्रा ने जब पीला तमगा भारत की झोली में डाला तो पूरा देश खुशी से झूम उठा। कुछ यही आलम रहा जब धोनी के धुरंधरों ने विश्व चैम्पियन ऑस्ट्रेलिया का उसी की मांद में जाकर मानमर्दन किया।

कैरेबियाई धुरंधर ब्रायन लारा को पछाड़कर तेंडुलकर टेस्ट क्रिकेट में सबसे ज्यादा रन बनाने वाले बल्लेबाज बने तो सचिन सचिर्नं की धूम फिर सुनाई देने लगी।

ओलिम्पिक के पदकवीर पहलवान सुशील कुमार और मुक्केबाज विजेंदरसिंह, बैडमिंटन की 'वंडर गर्ल' साइना नेहवालन, एशियाई टूर ऑर्डर ऑफ मेरिट विजेता गोल्फर जीव मिल्खासिंह, शतरंज के विश्व चैम्पियन विश्वनाथन आनंद और चौथा विश्व खिताब जीतने वाली मुक्केबाज एमसी मेरीकाम ने भी वर्ष 2008 में कई नई ऊँचाइयों को छुआ।

भारतीय क्रिकेट के दो दैदीप्यमान सितारों अनिल कुंबले और सौरव गांगुली ने इसी साल खेल को अलविदा कह दिया। कामयाबी की लंबी दास्तान लिखने वाले इन धुरंधरों को पूरे देश ने किया सलाम।

मिडिलवेट मुक्केबाज विजेंदर ने ओलिम्पिक की मुक्केबाजी स्पर्धा में भारत को पहला कांसा दिलाया तो उनका जलवा रिंग से बाहर रैंप और टीवी चैनलों पर भी नजर आने लगा। कुश्ती में 56 साल बाद भारत को पदक दिलाने वाले पहलवान सुशील कजाखस्तान के लियोनिद स्पिरीदोनोव को हराकर स्टार बन गए।

कुश्ती में भारत के पहला कांस्य पदक 1952 के हेलसिंकी ओलिम्पिक में कशाबा जाधव ने जीता था। बेंटमवेट मुक्केबाज अखिल कुमार और जितेंदर ने भी क्वार्टर फाइनल तक पहुंचकर वाहवाही बटोरी।

क्रिकेट के मैदान पर धोनी ने एक बार फिर साबित कर दिया कि उनका कोई सानी नहीं। ऑस्ट्रेलिया को पर्थ टेस्ट में हराना हो या सीबी वनडे श्रृंखला में शानदार जीत या इंग्लैंड का 5-0 से सफाया। जीत दर जीत दर्ज करके अजेय बनती जा रही टीम इंडिया को इस करिश्माई कप्तान ने विश्व चैम्पियन ऑस्ट्रेलिया के मुकाबिल ला खड़ा किया है।

उन्हें इस साल भारत के सर्वोच्च खेल पुरस्कार राजीव गांधी खेल रत्न से भी नवाजा गया। वह आईसीसी वनडे बल्लेबाजों की रैंकिंग में दो बार शिखर तक पहुँचने वाले पहले भारतीय भी बने। पहले इंडियन प्रीमियर लीग में उनकी कप्तानी में चेन्नई सुपर किंग्स टीम उपविजेता रही। नीलामी में धोनी सबसे महँगे बिकने वाले क्रिकेटर बने, जिनकी कीमत छह करोड़ रुपए के करीब लगाई गई।

ऑस्ट्रेलियाई टीम खासकर कप्तान रिकी पोंटिंग के सिरदर्द बने तेज गेंदबाज ईशांत शर्मा ने भी कभी अपने प्रदर्शन तो कभी हेयर स्टाइल को लेकर खूब सुर्खियाँ बटोरी।

टेनिस की 'ग्लैमर गर्ल' सानिया मिर्जा फिटनेस समस्याओं और खराब फार्म के कारण विश्व रैंकिंग में पहली बार शीर्ष सौ से बाहर हो गई। वहीं बैडमिंटन में विश्व जूनियर चैम्पियन बनी साइना नेहवाल ने दुनिया की दस आला खिलाड़ियों में अपना नाम दर्ज कराया। साइना ने बीजिंग ओलिम्पिक के क्वार्टर फाइनल तक पहुंचकर सभी को चौंका दिया था।

शतरंज की बिसात पर अपनी बादशाहत पहले ही साबित कर चुके आनंद ने जर्मनी में खेले गए विश्व चैम्पियनशिप मुकाबले में रूसी धुरंधर ब्लादीमिर क्रामनिक को हराने के साथ ही अपना नाम महानतम खिलाड़ियों की जमात में शामिल करा लिया। अब खेल के तीनों प्रारूपों नाकआउट (2000), टूर्नामेंट (2007) और मैच-प्ले (2008) में चैम्पियनशिप जीतने वाले दुनिया के पहले खिलाड़ी बन गए।

सिंगापुर ओपन समेत चार बड़े खिताब जीतने वाले गोल्फर जीव मिल्खासिंह ने भी भारत की उपस्थिति अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दर्ज कराई। एशियाई आर्डर ऑफ टूर के अलावा खिलाड़ियों ने उन्हें 'प्लेयर्स ऑफ प्लेयर' चुना।

निशानेबाज गगन नारंग ने जर्मनी और बैंकाक में परफेक्ट स्कोर करके साबित कर दिया कि बीजिंग में पदक नहीं मिलना महज उनकी बदकिस्मती थी। वहीं मुक्केबाज एमसी मेरीकाम ने चौथा विश्व खिताब जीतने के साथ ही खेलरत्न नहीं मिलने का मलाल भी जाहिर कर दिया।

कुल मिलाकर बीते साल भारत के कई खेल सितारे पूरी शिद्दत से चमके तो कई का नूर नजर नहीं आया। कई नए सितारे पैदा हुए तो कई धुरंधर जमींदोज हुए। (भाषा)

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