पूर्व कप्तान कपिल देव को व्यवसायी सुभाष चंद्रा की बागी इंडियन क्रिकेट लीग (आईसीएल) से हाथ मिलाने के कारण जल्दी ही भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) के कोप का सामना करना पड़ सकता है।
अपने जमाने के दिग्गज ऑलराउंडर कपिल इस समय राष्ट्रीय क्रिकेट एकेडमी (एनसीए) के अध्यक्ष हैं। उन्होंने हाल ही में आईसीएल में शामिल होकर एक बड़े विवाद को जन्म दे दिया है।
आईसीएल की इसी साल अक्टूबर से छह टीमों का ट्वंटी 20 टूर्नामेंट कराने की योजना है, जिसे बीसीसीआई ने मान्यता नहीं दी है।
बीसीसीआई प्रमुख शरद पवार से जब आज यहाँ पूछा गया कि क्या कपिल अब भी एनसीए के अध्यक्ष बने रहेंगे तो उन्होंने कोई सीधा जवाब नहीं दिया।
लेकिन पवार ने कहा कि अगर कोई पूर्व खिलाड़ी मैचों का आयोजन करना चाहे तो कोई दिक्कत नहीं है। कुछ खिलाड़ी पहले से ऐसा करते रहे हैं, लेकिन यदि कोई बीसीसीआई की इजाजत के बिना ऐसा करना चाहे तो उसे इसकी अनुमति नहीं दी जाएगी।
पवार ने आई सी एल के बारे में कहा कि यदि कोई पूर्व खिलाड़ियों को धन देना चाहता है तो बीसीसीआई को एतराज नहीं होगा, लेकिन अगर कोई नियमित तौर पर मैचों या टूर्नामेंटों का आयोजन करता है तो दिक्कत होगी। उन्होंने कहा कि इस तरह की स्थिति में बी सी सी आई मूक दर्शक बना नहीं रह सकता।
1983 की विश्व कप विजेता टीम के कप्तान कपिल ने गुरुवार को आरोप लगाया था कि आईसीएल में भाग लेने के इच्छुक खिलाड़ियों को बीसीसीआई डरा धमका रहा है। कपिल ने कहा था कि आईसीएल अपना टूर्नामेंट कराकर ही रहेगा और उसके पास इसके लिए मैदान से लेकर खिलाड़ी तक मौजूद हैं।
आईसीएल से जुड़ने के कारण एनसीए के अध्यक्ष पद से खुद को हटाने जाने की संभावना पर चुटकी लेते हुए कपिल ने कहा बीसीसीआई राजा है और हम प्रजा। वह हमें अगर अकादमी से हटाना चाहता है तो हम उसे रोक नहीं सकते।