भारत के पूर्व कप्तान राहुल द्रविड़ का मानना है कि सुरेश रैना और रोहित शर्मा जैसे युवा खिलाड़ियों में टेस्ट क्रिकेट में अच्छा प्रदर्शन करने की ख्वाहिश ही नहीं है क्योंकि उनके पास दूसरे विकल्प हैं।
द्रविड़ ने कहा कि युवा खिलाड़ी टेस्ट क्रिकेट को सर्वोपरि मानते हैं लेकिन सीनियर खिलाड़ियों की तरह उनमें खेल के इस पारंपरिक स्वरूप को लेकर जुनून नहीं है।
उन्होंने क्रिक इन्फो के पाक्षिक शो ‘टाइम आउट’ में कहा कि मुझे लगता है कि वे सही बात कहते हैं लेकिन मेरे या मेरी पीढ़ी के क्रिकेटरों की तरह टेस्ट क्रिकेट के लिए उनमें जुनून नहीं है। उन्होंने कहा कि हमारे पास सिर्फ प्रथम श्रेणी या टेस्ट क्रिकेट के ही विकल्प थे लेकिन आज अधिक विकल्प हैं। द्रविड़ ने कहा कि यदि टेस्ट क्रिकेट का प्रचार नहीं किया गया तो हालात बदतर हो जाएँगे।
उन्होंने कहा कि मैं आज के रैना या रोहित शर्मा सरीखे क्रिकेटरों को लेकर चिंतित नहीं हूँ। उन्होंने वह युग देखा है जिसमें टेस्ट क्रिकेट अहम है। लेकिन आज के 14, 15 या 16 साल के लड़कों की क्या सोच होगी। पाँच साल बाद क्या होगा। यही वजह है कि टेस्ट क्रिकेट ज्यादा खेलना जरूरी है।
द्रविड़ ने कहा कि बीसीसीआई को छह सात महीने का घरेलू कैलेंडर बनाना चाहिए, जिसमें भारत अंतरराष्ट्रीय घरेलू मैच खेले और इसमें अधिकांश टेस्ट मैच हों। उन्होंने कहा कि हमारा अपना घरेलू कैलेंडर होना चाहिए। इस दौरान हमें कम से कम छह टेस्ट खेलने चाहिए। बीसीसीआई को दूसरे बोर्ड को भी इस कैलेंडर को मानने के लिए मनाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि द्विपक्षीय श्रृंखलाओं में भारत को दो नहीं बल्कि तीन टेस्ट खेलने चाहिए। तीन टेस्ट सही रहते हैं। मैने अपने पूरे कैरियर में सिर्फ एक श्रृंखला (वेस्टइंडीज के खिलाफ 1997) ऐसी खेली है जिसमें पाँच टेस्ट थे। पहले पाँच टेस्ट ही खेले जाते थे। (भाषा)