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रणदीव की 'नो बॉल' क्रिकेट पर कलंक

शराफत खान

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हमें फॉलो करें श्रीलंकाई गेंदबाज सूरज रणदीव नो बॉल वीरेंद्र सहवाग
PTI
धाकड़ बल्लेबाज वीरेंद्र सहवाग को दाम्बुला में श्रीलंकाई गेंदबाज सूरज रणदीव ने खेल भावनाओं के परे जाकर शतक पूरा नहीं करने दिया। आम दर्शक से लेकर क्रिकेट के पूर्व खिलाड़ियों ने रणदीव की इस हरकत को बचकाना और अपरिपक्व कहा है और किसी भी क्रिकेट प्रेमी को उनकी यह हरकत माफी के काबिल नहीं लगती।

टेलीविजन रिप्ले से यह साफ हो गया कि रणदीव ने जानबूझकर नो बॉल फेंकी थी, जिससे कि सहवाग अपना शतक पूरा न कर पाएँ। सहवाग जैसे खिलाड़ी के लिए शतक कोई मायने नहीं रखता, लेकिन इस पूरे प्रकरण में रणदीव की 'बेइमानी' खुलकर सामने आ गई।

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अब तक क्रिकेट इतिहास में कई ऐसी घटनाएँ हुई हैं, जिनसे क्रिकेट कलंकित हुआ है, लेकिन रणदीव ने जानबूझकर यह 'हरकत' की, जिसे माफ नहीं किया जा सकता। श्रीलंका के इस युवा गेंदबाज ने जानबूझकर 'नो बॉल' फेंकते हुए इतना भी नहीं सोचा कि वे नेट्स पर नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय मैच में गेंदबाजी कर रहे हैं।

रणदीव ने दाम्बुला वनडे में क्रिकेट को कलंकित किया और 30 साल पहले हुई एक घटना याद दिला दी, जिसने खेल भावना को तहस-नहस कर दिया था।

1 फरवरी 1981 को मेलबोर्न क्रिकेट ग्राउंड में ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के बीच वनडे मैच में ऑस्ट्रेलियाई कप्तान ग्रेग चैपल ने अपने भाई ट्रेवर चैपल से मैच की आखिरी गेंद अंडरआर्म डालने को कहा। यह पल क्रिकेट इतिहास में सबसे शर्मनाक पलों में से एक है।

मैच की आखिरी गेंद पर न्यूजीलैंड को छह रनों की जरूरत थी और स्ट्राइक पर ब्रायन मैकेंजी थे, लेकिन चैपल ने अंडरआर्म गेंद डालकर खेल भावना को तहस-नहस कर दिया।

इसके बाद ही अंडरआर्म गेंद को क्रिकेट में अमान्य घोषित किया गया। चैपल ने खेल के सारे नैतिक मूल्यों को ताक में रखकर अपने गेंदबाज भाई को अंडरआर्म गेंद फेंकने को कहा, जिसकी क्रिकेट जगत मे बहुत आलोचना हुई।

ऐसा कई बार हुआ है जब खिलाड़ियों ने खेल भावना का परिचय देते हुए विरोधी टीमों या बल्लेबाज, गेंदबाज के रिकॉर्ड बनने में किसी तरह की बेइमानी नहीं की है। ज्यादा पुरानी बात नहीं है। हाल ही में भारत-श्रीलंका टेस्ट सिरीज के पहले टेस्ट में जब श्रीलंका के गेंदबाज मुथैया मुरलीधरन टेस्ट क्रिकेट में 799 विकेट ले चुके थे। तब उन्हें 800 विकेट का जादुई आँकड़ा छूने के लिए केवल एक विकेट की जरूरत थी। भारतीय बल्लेबाज चाहते तो दूसरे छोर के गेंदबाज पर ऊल-झलूल शॉट खेलकर अपना विकेट गँवा सकते थे, लेकिन भारतीय बल्लेबाजों ने खेल भावना का परिचय दिया और मुरली को रिकॉर्ड से रोकने के लिए किसी तरह के हथकंडे नहीं अपनाए। इसके अलावा भी ऐसी कई मिसालें हैं जब विरोधी टीम ने किसी खिलाड़ी का रिकॉर्ड बनने से रोकने के लिए खेल भावना का उलंघन नहीं किया।

रणदीव अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में नए हैं, इसलिए हो सकता कि उन्होंने नो बॉल फेंककर वह करने की कोशिश की हो जो अब तक नहीं हुआ, लेकिन ऐसा करके वे क्रिकेट जगत की नजरों में गिर गए। उन्होंने न केवल खुद की छवि खराब की बल्कि श्रीलंकाई क्रिकेटरों का भी सिर झुकाया है।

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