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राहुल द्रविड़ : क्रिकेट की किताब नहीं, बल्कि पूरा साहित्य

हमें फॉलो करें राहुल द्रविड़ : क्रिकेट की किताब नहीं, बल्कि पूरा साहित्य
, शनिवार, 10 मार्च 2012 (13:37 IST)
राहुल द्रविड़ को आप किस तरह के खिलाड़ी के रूप में जानते हैं? एक मजबूत तकनीक वाला बल्लेबाज, कभी धैर्य न खोने वाला खिलाड़ी, हमेशा खेल की एबीसी फॉलो करने वाला गंभीर बल्लेबाज या फिर हमेशा खेल में ूबा रहने वाला क्रिकेट का मस्ताना।

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क्रिकेट में आदर्श बल्लेबाज उसे कहा जाता है जो परिस्थिति के अनुसार अपना खेल बदल सके या फिर अपनी बल्लेबाजी को परिस्थिति के अनुरूप ढाल सके। लेकिन द्रविड़ ऐसे बल्लेबाज के रूप में कभी नहीं जाने गए, बल्कि जब वे बल्लेबाजी के लिए क्रीज पर आते थे तो परिस्थितियां उनके अनुरूप हो जाया करती थीं। वहीं शांत चेहरा, मजबूत स्टांस और बल्लेबाजी में गजब का आत्मविश्वास, बस इसी वजह से द्रविड़ के क्रीज पर आते ही विरोधियों में मायूसी तारी हो जाती कि अब कुछ नहीं हो सकता। द्रविड़ बल्लेबाजी कर रहे हैं। दूसरे छोर से ही विकेट निकालो।

नंबर तीन पर बल्लेबाजी करते हुए दस हजार से ज्यादा रन बनाने वाले बल्लेबाज द्रविड़ को कभी इस बात से फर्क नहीं पड़ा कि टीम का पहला विकेट कितने स्कोर पर गिरा है। चाहे पहले ओवर में ही उन्हें बल्लेबाजी के लिए आना हो या फिर खेल के दूसरे सत्र में, उनकी एकाग्रता एक सी रहती। और इस एकाग्रता को कोई आसानी से भंग भी नहीं कर सकता था।

1997 में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ उसी की धरती पर टेस्ट सिरीज में भारतीय बल्लेबाज दक्षिण अफ्रीकी गेंदबाजों की तेज और उछाल भरी गेंदों पर चकमा खा रहे थे, लेकिन द्रविड़ के धैर्य के सामने एलेन डोनाल्ड, ब्रायन मैकमिलन और शान पोलाक जैसे गेंदबाजों का साहस जवाब दे गया। इन गेंदबाजों की आग उगलती गेंदों को द्रविड़ बैकफुट और फ्रंटफुट पर बिना किसी खौफ के खेल रहे थे। जोहिन्सबर्ग टेस्ट में जब डोनाल्ड द्रविड़ की अचूक तकनीक के सामने कुछ न कर पाए तो उन्होंने इस 'वॉल' को अपशब्द भी कहे, जिससे कि द्रविड़ का ध्यान भंग किया जा सके, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ और द्रविड़ ने इस टेस्ट में 148 रनों की यादगार पारी खेली। द्रविड़ के अलावा अन्य भारतीय बल्लेबाज विकेट की तेजी और गेंद की गति से मात खा गए, लेकिन द्रविड़ ने अपनी बल्लेबाजी से परिस्थितियों को अपने अनुरूप कर लिया।

इसी तरह 1999 के न्यूजीलैंड दौरे पर द्रविड़ ने अपनी बल्लेबाजी कला से विरोधियों को भी अपना दीवाना बना लिया। न्यूजीलैंड मीडिया में तब सचिन तेंडुलकर ही छाए थे, लेकिन द्रविड़ की बल्लेबाजी देखने के बाद मिस्टर रिलायबल की बल्लेबाजी शैली मीडिया में प्रमुखता से छाई रही। तब न्यूजीलैंड के एक बड़े अखबार की हैडिंग थी ' सचिन महान, लेकिन हमारी पसंद राहुल द्रविड़'।

द्रविड़ को सिर्फ टीवी पर खेलते हुए देखकर कई युवा खिलाड़ियों ने अपनी बल्लबाजी तकनीक में सुधार किया। द्रविड़ की बल्लेबाजी खेल के बुनियादी उसूलों को बयान करती है। द्रविड़ एक ऐसे बल्लेबाज रहे जिससे सपने में भी गलती करने की उम्मीद नहीं की जा सकती। द्रविड़ न केवल क्रिकेट की टैक्स्ट बुक हैं, बल्कि वे अपने आप में क्रिकेट का पूरा साहित्य हैं।

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